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यहां कौन है तेरा, मुसाफिर जाएगा कहां

Last Updated- December 05, 2022 | 6:57 PM IST

पंजाब में ढांचागत सुविधाओं के चरमराने का सबसे ज्यादा असर यहां के उद्योगों पर पड़ा है।


पड़ोसी राज्यों में मिल रही सुविधाओं के कारण हालत यहां तक बिगड़ चुके हैं कि बड़े-बड़े उद्योग तालाबंदी की बाट जोहने लगे हैं। अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे उद्योग अब तक जम्मू-कश्मीर और हिमाचल जैसे राज्यों का रुख तो कर ही रहे थे, अब उद्योगों ने बड़े पैमाने पर गुजरात और मध्य प्रदेश में भी ठौर जमाने की तैयारी कर ली है।


सूत्रों के मुताबिक राज्य में बुनियादी ढांचे की बदहाली के कारण 20 से 30 बड़ी इकाइयां राज्य से पलायन करने के लिए तैयार खड़ी हैं। इनमें फर्नेस इकाइयां, रोलिंग मिल्स, आटो कंपोनेंट विनिर्माता और हैंडटूल विनिर्माता इकाइयां शामिल हैं। ये सभी इकाइयां गुजरात में कारोबार का विस्तार करने जा रहीं हैं। लुधियाना के करीब 80 से 90 प्रतिशत इकाइयां गुजरात में अपना कारोबार जमा रहीं हैं।


उन्होंने बताया उद्योग बुनियादी ढांचे के अभाव के अलावा बिजली की बुरी स्थिति के कारण भी गुजरात जाने को मजबूर हो रहे हैं। बिजली की समस्या के चलते फैक्ट्री में कई कई घंटे काम बंद रहता है। ऐसे में मजदूर भी राज्य में नहीं रुकना चाहते हैं क्योंकि काम बंद रहने से उनकी मजदूरी भी मारी जाती है। हाल के दिनों में पंजाब में मजदूरों की कमी भी एक बड़ी समस्या बन गई है।


गुजरात में अपने कारोबार को ले जा रहे एक उद्यमी ने कहा कि राज्य में बिजली की स्थिति बेहत खराब है और इसमें सुधार की भी कोई संभावना नहीं है। इसके कारण हमें राज्य से बाहर जाने को मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में इकाइयों को गुजरात ले जाना महंगा साबित हो सकता है लेकिन बाद में इसके असर को कम किया जा सकता है। इसके अलावा पंजाब में जमीन की काफी कमी है।


ज्यादातर इकाइयों को अपने बिक्री मूल्य की 6 से 7 प्रतिशत तक राशि मालभाड़े के तौर पर देनी पड़ती है। राज्य सरकार इस इकाइयों को रोकने के लिए मालभाड़ा सब्सिडी देने में नाकाम रही है। इसलिए हमने अब ऐसी जहग पर कारोबार को ले जाना तय किया है जहां मालभाड़े को कम से कम किया जा सके और मार्जिक अधिक हो।


इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) के क्षेत्रीय अध्यक्ष सी एस रलहान ने बताया कि अहमदाबाद-राजकोट हाईवे पर पहले ही 250 एकड़ जमीन की पहचान कर ली गई है। इस जमीन पर 20 से 30 इकाइयों का क्लस्टर तैयार किया जाएगा। इस सौदे को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा।


उन्होंने कहा कि बिजली न होने के कारण इंजीनियरिंग और अन्य इकाइयां गुजरात जा रही हैं। गुजरात में बिजली की आपूर्ति काफी बेहतर है। इसके अलावा गुजरात में ढांचागत सुविधाएं और गैस की आपूर्ति काफी बेहतर है। इंजीनियरिंग इकाइयों को इसका भी फायदा मिलेगा।


ईईपीसी के विदेश पैनल के संयोजक अविनाश गुप्ता ने बताया कि गुजरात में इकाइयों को ले जाने पर गैस की उपलब्धतता बढ़ने से कई समस्याएं हल हो जाएंगी। ऊर्जा के तौर पर गैस का इस्तेमाल करना अन्य स्रोतों के मुकाबले अच्छा और सस्ता है। इस कारण लागत में कटौती की जा सकती है। इससे पहले पंजाब के टेक्सटाइल उद्योग ने दूसरे राज्यों का रुख करना शुरू कर दिया है।


लुधियाना बुनकर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत लाकड़ा ने बताया कि एसोसिएशन इस समय मध्य प्रदेश सरकार के एक प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। मध्य प्रदेश ने उन्हें राज्य में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना करने के लिए आमंत्रित किया है। सूत्रों ने बताया है कि वर्दमान, नाहर और अभिषेक इंडस्ट्रीज अपने कारोबार का मध्य प्रदेश में विस्तार कर रहे हैं। इस बीच लुधियाना की अन्य टेक्सटाइल कंपनियों ने भी लुधियाना से बाहर कारोबार का विस्तार करने की योजना बनाई है।


लाकड़ा ने बताया कि 10 से 15 सदस्यों का एक दल जल्द ही मध्य प्रदेश का दौरा करेगा। इस दौरान यह दर राज्य में बुनियादी ढांचा तथा अन्य सुविधाओं का अध्ययन करेगा। उन्होंने बताया कि यह दौरा अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में हो सकता है।

First Published - April 2, 2008 | 10:08 PM IST

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