जमीन अधिग्रहण को लेकर सहमति नहीं बन पाने कारण वाघा सीमा के पास इंटीग्रेटेड चैक पोस्ट (आईसीपी) बनाने की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। इस परियोजना के लिए जिन किसानों की जमीन ली जानी है वे अब जमीन के लिए ढ़ाई गुना अधिक कीमत मांग रहे हैं।
पाकिस्तान के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार वाघा सीमा के पास एक इंटीग्रटेड चैक पोस्ट बनाना चाहती है। इसमें बड़े ट्रकों की आवाजाही के लिए 6 लेन वाला ट्रेड कॉरिडोर बनाने की योजना है। तकरीबन 200 करोड़ की लागत की इस परियोजना में बेहतरीन ढांचागत सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। केंद्र सरकार की ओर से पंजाब सरकार को इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम करना था। मामला अब यहीं आकर अटक गया है।
दरअसल इस परियोजना के लिए खेतिहर जमीन का एक निश्चित मूल्य तय किया गया था। अब ये किसान उस मूल्य से लगभग ढाई गुना अधिक कीमत की मांग कर रहे हैं। किसानों और जिला प्रशासन के बीच बनी सहमति में जमीन की कीमतें तीन श्रेणियों में बनाई गई थीं।
इसमें मुख्य सड़क के पास की जमीन की कीमत 45 लाख रुपये प्रति एकड़, लिंक रोड के पास की जमीन की कीमत 24 लाख रुपये प्रति एकड़ और तीसरी श्रेणी में जमीन की कीमत 20 लाख रुपये एकड़ तय की गई थी। इस बाबत उपायुक्त के एस पन्नू ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि किसान पहले तो तय कीमत पर जमीन देने को सहमत थे पर अब प्रति एकड़ ढाई गुना अधिक कीमत मांग रहे हैं।
अटारी में प्रस्तावित इंटीग्रेटेड चैक पोस्ट लगभग डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएगा। केंद्र सरकार ने रेल इंडिया टेकि्कलएंड इकोनॉमिक सर्विस से परियोजना का खाका तैयार करने को कहा है।
पन्नू कहते हैं कि जमीन अधिग्रहण की वजह से परियोजना में देरी हो रही है शायद केंद्र सरकार परियोजना का स्थान बदल दे। एक सर्वेक्षण के अनुसार पाकिस्तान को किए जाने वाले कुल निर्यात का 2 प्रतिशत अटारी-वाघा सड़क मार्ग के जरिये होता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच 1 अक्टूबर 2007 से ट्रकों की आवाजाही बढ़ी है। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ा है। इस समय वाघा से प्रतिदिन औसतन 30 ट्रक गुजरते हैं।