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उप्र ने पकड़ी बायो-डीजल की राह

Last Updated- December 07, 2022 | 4:01 PM IST

अगर सब कुछ योजनाबध्द तरीके से चलता रहा तो उत्तर प्रदेश में डीजल की किल्लत कोई बड़ी समस्या नहीं रह जाएगी।


राज्य सरकार बंजर भूमि को बायो-डीजल फर्मों में तब्दील करने की योजना विकसित कर रही है। उत्तर प्रदेश में 40 फीसदी से भी अधिक बंजर भूमि पर सरकार द्वारा जटरोफा की खेती कराई जाएगी।

राज्य जटरोफा मिशन सेल के सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने भारत पेट्रोलियम लिमिटेड के साथ गठजोड़ कर भारत अक्षय ऊर्जा लिमिटेड (बीआरईएल) नाम से एक संयुक्त उपक्रम की स्थापना की है। राज्य के 30 जिलों में जैव-डीजल के उत्पादन के लिए संयुक्त उपक्रम द्वारा 2031 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे।

संयुक्त उपक्रम से स्थापित नई कंपनी जटरोफा और पोनगामिया जैसी फसलों का उत्पादन, खरीदारी, खेती आदि के लिए उत्तरदायी होगी। इसके अलावा नई कंपनी उत्तर प्रदेश में जैव-ईंधन सहित फसलों की व्यापार अनुसंधान, विकास और प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार होगी।

सूत्रों ने बताया कि जटरोफा की खेती के लिए राज्य में करीब 15.86 लाख हेक्टर बंजर भूमि की पहचान की गई है और अकेले आगरा में करीब 26,721 हेक्टेयर बंजर भूमि को जैव-डीजल की खेती के लिए चिन्हित किया गया है। बहरहाल, राज्य सरकार द्वारा अगले पांच सालों में आवंटित कुल बंजर भूमि में से कम से कम 40 फीसदी बंजर भूमि को जटरोफा की खेती के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक अभी तक राज्य सरकार द्वारा बंजर भूमि को नहीं लिया है। हालांकि जटरोफा की खेती के लिए बीआरईएल और गांव पंचायत के सहयोग से किसान को जमीन आवंटित कराई जाएगी। कंपनी किसानों को  तकनीकी सहायता भी देगी।

First Published - August 8, 2008 | 10:06 PM IST

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