उत्तर प्रदेश में जमीन की बढ़ती कीमतें अब कोल्ड स्टोरेज मालिकों की भी रिझाने लगी हैं। कोल्ड स्टोरेज मालिक इन्हें आवासीय और वाणिज्यिक परिसरों में तब्दील कर मोटा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं। बीते वर्षो के दौरान उत्तर प्रदेश में करीब 240 कोल्ड स्टोर बंद हो
चुके हैं। इनमें से ज्यादतर शहरी और कस्बाई क्षेत्रों में हैं।
शहर के अंदर कोल्ड स्टोर का परिचालन करना काफी चुनौती भरा है क्योंकि यातायात के बढ़ने के कारण माल को चढ़ाना और उतारना काफी मुश्किल हो गया है। ‘नो इंट्री’ के कारण कृषि उत्पादों से लदे ट्रक दिन में शहर के अंदर नहीं आ पाते हैं। उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र स्वरूप ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘यह कहना गलत होगा कि मालिकों की मुनाफा कमाने की इच्छा के कारण कोल्ड स्टोरेज रियल एस्टेट परिसंपत्ति में तब्दील हो रहे हैं … दिन में नो एंट्री जैसी अड़चने इसकी वजह हैं।’
केवल लखनऊ में ही 14 कोल्ड स्टोर बंद हो चुके हैं। कानपुर में करीब 10 कोल्ड स्टोर बंद हैं। आने वाले समय में इस रुझान के जारी रहने का अनुमान है। शहरी क्षेत्रों में जहां कोल्ड स्टोर बंद हो रहे हैं वहीं खेतिहर जमीन पर नए कोल्ड स्टोरों को खोलने की बात चल रही है।
कानपुर में एक कोल्ड स्टोर के मालिक जी पी तिवारी ने बताया कि वह पहले ही एक बिल्डर के साथ कोल्ड स्टोर को रियल एस्टेट प्रापर्टी में तब्दील करने के लिए समझौता कर चुके हैं। इस समय उत्तर प्रदेश में करीब 1,400 कोल्ड स्टोर हैं और चालू वित्त वर्ष के दौरान करीब 200 नए कोल्ड स्टोरों को खोले जाने का अनुमान है। इनमें से ज्यादातर इकाइयों की स्थापना पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाएगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आलू और सब्जियों के उत्पादन की अधिकता कारण कोल्ड स्टोरों का काफी मांग है।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत राज्य सरकार नए कोल्ड स्टोरों की स्थापना पर 50 लाख रुपये या कुल लागत की 25 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है। राज्य में मुजफ्फरनगर, सुल्तानपुर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़, इटावा, बलिया, गाजीपुर, प्रतापगढ़, लखनऊ, बाराबंकी, हरदोई और कानपुर जिलों में नए कोल्ड स्टोरों की स्थापना की जा रही है। राज्य बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के नोडल अधिकारी एस के चौहान ने बताया कि राज्य में कोल्ड स्टोरों को आधुनिक बनाए जाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ‘कोल्ड स्टोरों से संग्रह इकाइयों, प्रसंस्करण इकाइयों और पैक हाउस जैसी सप्लाई श्रृंखला का बेहतर संपर्क होना चाहिए।’ स्वरूप ने दावा किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पिछले दो वर्षो से नए कोल्ड स्टोरों को कर्ज देने के लिए ज्यादा उत्सुक नहीं दिख रहे हैं।