facebookmetapixel
Bihar Exit Polls of Poll: NDA को बंपर बहुमत, पढ़ें- किस पार्टी को कितनी सीटों का अनुमानBihar Election 2025: बिहार में दूसरे चरण में रिकॉर्ड 67.14% मतदान, सीमांचल में हुईं भारी वोटिंगPhysicsWallah IPO: फिजिक्सवाला के आईपीओ को पहले दिन 7% सब्सक्रिप्शन, रिटेल इनवेस्टर्स से मिला तगड़ा रिस्पॉन्सStock Market: सेंसेक्स-निफ्टी में जोरदार उछाल! अमेरिका-भारत डील से बाजार में जोश7.6% ब्याज दर पर कार लोन! जानिए कौन सा बैंक दे रहा है सबसे सस्ता ऑफरLenskart IPO Listing: अब क्या करें निवेशक? Buy, Sell या Hold?बैंक खाली हो रहे हैं! कहां जा रहा है पैसा?Torrent Power Q2 results: मुनाफा 50% बढ़कर ₹741.55 करोड़, रिन्यूएबल एनर्जी से रेवन्यू बढ़ाFY26 में नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 7% बढ़कर ₹12.92 लाख करोड़ पर पहुंचा, रिफंड में सुस्ती का मिला फायदाDelhi Red Fort Blast: लाल किला धमाके से पुरानी दिल्ली के बाजारों में सन्नाटा, कारोबार ठप

शिक्षकों को शिक्षा की जरूरत!

Last Updated- December 07, 2022 | 1:05 AM IST

छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए विषयों पर आधारित प्रदर्शनात्मक परीक्षा में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले गणित के लगभग 67 फीसदी शिक्षकों के फेल हो जाने के बाद राज्य में शिक्षा के बुरे स्तर का ज्ञान अपने आप हो जाता है।


शिक्षा विभाग द्वारा पिछले साल दिसंबर के महीने में राज्य के प्रत्येक जिले के एक ब्लॉक में इस तरह की परीक्षा आयोजित कराई गई थी। सूत्रों ने बताया कि यह परीक्षा यूरोपियन आयोग के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत आयोजित की गई थी। इस परीक्षा के लिए तात्कालिक तौर पर ब्लाकों का चयन किया गया था।

जिला स्तर के  शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान के आलोक शर्मा का कहना है कि प्राथमिक स्तर के शिक्षकों को कक्षा 1 से कक्षा 5 और माध्यमिक स्तर के  शिक्षकों को कक्षा 6 से कक्षा 8 की गाणित की किताबों में दिए गए सवालों को हल करने के लिए दिया गया था। शिक्षकों द्वारा पूरी किताब के सवालों को हल करने की मनाही करने पर उन्हें केवल सम और विषम संख्याओं में आधारित सवालों को हल करने को कहा गया था। लेकिन ज्यादातर शिक्षकों ने इन सवालों को भी हल न कर सकें।

शर्मा ने बताया कि इस परीक्षा के लिए गणित विषय का चयन इसलिए किया गया था। क्योंकि ज्यादातर छात्रों को अंग्रेजी के अलावा इस विषय में परेशानी महसूस होती है। इस परीक्षा को आयोजित कराने का मंतव्य शिक्षकों की योग्यता और ज्ञान की परख करना था। इस परीक्षा में लगभग 67 फीसदी से ज्यादा शिक्षक उतीर्ण होने के लिए आवश्यक नंबरों को पाने में सफल नहीं हो पाये।

इसके अलावा इस परीक्षा में उतीर्ण होने वाले ज्यादातर शिक्षक 60 फीसदी नंबरों को भी प्राप्त नहीं कर सकें। यहीं नहीं कांकेर और धर्मजयगढ़ ब्लाकों से एक भी अध्यापक इस परीक्षा को उतीर्ण नहीं कर पाया। राज्य के शिक्षा विभाग के नंदकुमार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस परीक्षा के परिणाम बहुत ही आश्चर्य करने वाले है। इससे साफ पता चलता है कि राज्य में शैक्षिक सुधार की कितनी जरुरत हैं। इन परिणामों पर राज्य के शिक्षक एसोसिएशनों ने चुप्पी साध ली है।

First Published - May 23, 2008 | 10:44 PM IST

संबंधित पोस्ट