चीनी मिल मजदूरों की हड़ताल के कारण गन्ना पेराई सीजन शुरु होने के बावजूद अब तक गन्ने की कटाई का काम शुरू नहीं हो सका है। चीनी मिलों और श्रमिक यूनियनों के बीच जारी तकरार खत्म करने के लिए महाराष्ट्र सरकार, चीनी मिल मालिकों और श्रमिक संगठनों के बीच हुई बैठक में एक महीने में सभी समस्याओं को हल करने के निर्देश दिए गए हैं। इस बैठक में मजदूरों की समस्याएं तो हल नहीं हुई, लेकिन राजनीतिक हलचल जरूर तेज हो गई।
गन्ना मजदूरों की हड़ताल के मुद्दे को लेकर पुणे के वसंतदादा शुगर इंस्टिट्यूट में आयोजित बैठक में भाजपा नेत्री पंकजा मुंडे, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, राज्य के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात, सहकार व विपणन मंत्री बाला साहेब पाटिल, चीनी मिलों (साखर संघ) के अध्यक्ष जय प्रकाश दांडेगावकर सहित राज्य के विभिन्न गन्ना कटाई मजदूरों के संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। इसमें तय हुआ कि एक महीने के अंदर स्व. गोपीनाथ राव मुंडे ऊसतोड कामगार कल्याण महामंडल को पंजीकृत करने को कहा गया जो आगे मजदूरों की मांग को रखेगा। शरद पवार कहा कि निगम के माध्यम से गन्ना श्रमिकों की अधिकतम समस्याओं को हल करने के लिए निगम को नवंबर के अंत तक पंजीकृत करके दिसंबर से पूरी क्षमता से निगम का काम शुरू करने का निर्देश दिया।
यह बैठक हुई तो थी गन्ना मजूदरों की मांग को लेकर, लेकिन किसानों और मजदूरों से कही ज्यादा यह बैठक राजनीतिक हलचल पैदा कर दी। भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी व पूर्व मंत्री पंकजा ने इस बैठक के बाद ट्वीट कर शरद पवार की प्रशंसा की है। मुंडे ने कहा कि पवार साहब हैट्स ऑफ, कोरोना संक्रमण की परिस्थिति में आपके एक के बाद एक दौरे व मीटिंग और काम करने की क्षमता वाकई सराहनीय है। उन्होंने अपने पिता गोपीनाथ मुंडे का जिक्र करते हुए कहा कि पार्टी, विचार और राजनीति अलग-अलग हैं, फिर भी काम करने वालों का आदर मुंडे जी ने हमेशा सिखाया है। पंकजा मुंडे ने जिस तरह से खुले दिल से शरद पवार की तारीफ की है। उससे अब राजनीतिक हलके में नए कयास भी लगने शुरू हो चुके हैं, क्योंकि पंकजा मुंडे विधानसभा चुनाव के बाद से पार्टी में साइड लाइन चल रही है। गौरतलब है कि हाल ही में ओबीसी नेता एकनाथ खड़से ने भाजपा छोड़कर राकांपा का दामन थामने के बाद दावा किया था कि कई और भाजपा नेता और विधायक भाजपा छोड़ दूसरे दल में शामल होने वाले हैं।
इस बैठक में सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे भी मौजूद थे। महाराष्ट्र की राजनीति में ये दोनों भाई बहन एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं। लेकिन गन्ना मजदूरों के लिए पंकजा और धनंजय एक साथ एक मंच पर दिखाई दिए। इस मीटिंग में गन्ना मजदूरों की हड़ताल के मुद्दे को हल करने के लिए चर्चा हुई। इसके बाद धनंजय मुंडे के स्व.गोपीनाथ कामगार महामंडल को और मजबूत करने का ऐलान भी कर दिया।
महाराष्ट्र में गन्ने की पेराई का सीजन 15 अक्टूबर से शुरू हो जाता है लेकिन राज्य के लगभग 15 लाख गन्ना मजदूर ज्यादा मजदूरी की मांग को लेकर हड़ताल है जिसके कारण पेराई सत्र प्रभावित हो रहा है। गन्ना श्रमिक अपनी मजदूरी में कटाई मशीनों की तरह 400 रुपये प्रति टन की वृद्धि की मांग कर रहे हैं। मजदूरों ने दावा किया कि कोरोनो वायरस महामारी ने उनकी वित्तीय स्थितियों को प्रभावित किया है। ट्रांसपोर्टर्स एंड कॉन्ट्रैक्ट्स ऑर्गनाइजेशन और गोपीनाथ मुंडे गन्ना मज़दूर संगठन के संयोजक केशव आन्धले ने कहा कि प्रति टन चीनी कटाई मशीन की दर 350-400 रुपये बनती है, जबकि दी जाने वाली दर 239 रुपये प्रति टन है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस पर फैसला हो जाएगा। बेहतर मानसून के कारण पिछले वर्ष की तुलना में गन्ना की रोपाई क्षेत्र में लगभग 33 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। महाराष्ट्र चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल कुल 8.22 लाख हेक्टेयर गन्ने की कटाई की गई थी। इस वर्ष रोपा गया क्षेत्र 33 फीसदी बढक़र 11 लाख हेक्टेयर हो गया है।
