कोरोना के चलते महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई, राज्य में निवेश लगातार कम हो रहा है। कुछ साल पहले तक निवेशकों की पहली पसंद माना जाने वाला राज्य महाराष्ट्र खिसकर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। इसकी चिंता अब राज्य सरकार के साथ कट्टर मराठी मानुष की राजनीति करने वालों को भी सताने लगी है। निवेशकों को राज्य की तरफ आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने बिजली दरों में कटौती की है और उम्मीद की जा रही है कि 8 मार्च को पेश होने वाले बजट में भी निवेशकों के हितों का ध्यान रखा जाएगा।
निवेश और निवेशकों की पहली पसंद होने का दम भरने वाला महाराष्ट्र अब निवेशकों की पहली पसंद नहीं रहा। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट-2021 के अनुसार 2020-21 के दौरान राज्य में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 27,143 करोड़ रुपये था। एफडीआई के मामले में गुजरात और कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर है। जून, 2020 में मैगनेटिक महाराष्ट्र 2.0 के दौरान राज्य ने 1.13 लाख करोड़ के निवेश प्रस्तावों को आकर्षित किया है। जिससे 2.50 लाख से अधिक रोजगार उत्पन्न होने की उम्मीद जताई गई। दिसंबर, 2020 के अंत तक राज्य में 7,603 स्टार्टअप थे।
कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचा है। शुक्रवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट-2021 के अनुसार सकल घरेलु उत्पाद में 1 लाख 56 हजार 926 करोड़ की कमी का अनुमान है। 2020-21 में राज्य की अर्थव्यवस्था में आठ फीसदी नकारात्मक ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है। आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान राज्य सरकार का राजस्व बुरी तरह प्रभावित हुआ हैं। अप्रैल और दिसंबर 2020 के बीच राजस्व संग्रह 147450 करोड़ रुपये (50.8 फीसदी) था, जो 2020-21 में 347457 करोड़ रुपये का था। राजस्व में गिरावट की वजह से राज्य के विकास कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं। प्रति व्यक्ति आय में भी कमी आई है, महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय 2011-12 के स्थिर मूल्य पर इस आर्थिक वर्ष में घटकर 1,88,784 रुपये रहने का अंदाज है। 2019-20 में महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति आय 2,02,130 रुपये थी।
निवेश कम होने की चिंता मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में व्यक्त करते हुए कहा था कि कंपनियां मोलभाव करती है राज्यों के भीतर गलाकाट प्रतिस्पार्ध बंद होनी चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकार ने बिजली की दरें कम करने की घोषणा भी कर दी है। राज्य सरकार के मुताबिक मार्च 2020 से इंधन समायोजन उपकर (एफएसी) के माध्यम से जनता को राहत देने की शुरुआत की गई थी। मार्च 2020 से मार्च 2021 तक घरेलू, व्यावसायिक और उद्योगों में इस्तेमाल में लाई जाने वाली बिजली की दर 10 फीसदी तक कम की गई। अब 1 अप्रैल से पूरे साल के लिए टाटा, अडानी, बेस्ट और महावितरण को बिजली दर कम करने का आदेश दे दिया गया है।
महाराष्ट्र में घटते निवेश से शिवसेना के धुर विरोधी भी सरकार को निवेश बढ़ाने के लिए सरकार को सलाह देने लगे हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने कहा है कि कोकण में प्रस्तावित रत्नागिरी-राजापुर रिफाइनरी परियोजना का हाथ से जाना राज्य और कोकण के लिए नुकसानदेह साबित होगा। इस परियोजना के समर्थन में उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार व विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि महाराष्ट्र इस प्रोजेक्ट को गवाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए सरकार इस मामले में सकारात्मक भूमिका अपनाएं। उनकी पार्टी सरकार को हर संभव सहयोग प्रदान करेगी। राज ने कहा है कि कोरोना के चलते पैदा हुई परिस्थितियों ने सारे संदर्भ बदल दिए हैं। देश के सभी राज्यों में निवेश लाने को लेकर गलाकाट स्पर्धा जारी है। अतीत में अंतराष्ट्रीय स्तर का एक बड़ा प्रोजेक्ट यहां से बेंगलुरु चला गया है जिसे फिर वापस लाने की राज्य सरकार की तैयारी चल रही है। अब ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जिससे महाराष्ट्र को तीन लाख करोड़ रुपए का रत्नागिरी-राजापुर रिफाइनरी प्रोजेक्ट से हाथ न धोना पड़े। उन्होंने कहा है स्थानीय लोग पर्यावरण व दूसरी चिंताओ को लेकर इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं लेकिन बातचीत के जरिए उनकी शंकाओ व सवालों को खत्म करना चाहिए। यदि यह प्रोजेक्ट यहां से बाहर गया तो उद्योग के लिए अग्रणी के रुप में बनी महाराष्ट्र की पहचान खत्म होने में समय नहीं लगेगी। इस प्रोजेक्ट से बड़ी संख्या में यहां के लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। गौरतलब है कि शिवसेना इस परियोजना के विरोध में रही है।
8 मार्च को पेश होने वाले राज्य के बजट में निवेशकों को लुभाने के लिए सरकार कुछ कदम उठा सकती है हालांकि इस बार का बजट पिछले साल के अपेक्षा छोटा रहने वाला है। महाराष्ट्र का वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में एक लाख करोड़ रुपये की कमी रह सकती है। इसके संकेत पिछले महीने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने दिये थे। राज्य विधानसभा का बजट सत्र शुरु होने के पहले उप मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें साढ़े चार लाख करोड़ रुपये के सालाना बजट में से वेतन और पेंशन पर साल भर में डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च करना होगा। ऐसे में हमारे पास सिर्फ तीन लाख करोड़ रुपये बचते हैं। इस स्थिति में आगामी वित्त वर्ष का बजट एक लाख करोड़ रुपये की कमी वाला रह सकता है।
