सिंगुर के किसानों को टाटा मोटर्स या फिर उसकी नैनो परियोजना से कोई ऐतराज नहीं था और वे यह नहीं चाहते थे कि कंपनी लखटकिया कार परियोजना को समेट कर वापस चली जाए।
यह कहना है पश्चिम बंग खेत मजूर समिति (पीबीकेएमएस) की अध्यक्ष अनुराधा तलवार का। उन्होंने बताया कि किसानों का विरोध केवल उनकी जमीन के लिए सरकार की ओर से दिए जा रहे मुआवजे को लेकर था, जो उन्हें काफी कम लग रहा था।
साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों ने कभी भी इस परियोजना को लेकर विरोध नहीं जताया। तलवार ने कहा, ‘सिंगुर के किसान यह नहीं चाहते थे कि टाटा मोटर्स वह जगह छोड़ कर चली जाए, वे तो बस राज्य सरकार की ओर से दिए जा रहे मुआवजे से खुश नहीं थे और उसे लेने से मना कर रहे थे।’
याद रहे कि टाटा मोटर्स के इंजीनियरों और विदेश से आए विशेषज्ञों को सिंगुर में नैनो के परियोजना स्थल पर पिछले साल 29 अगस्त आधी रात को जिस समूह ने कैद कर रखा था, उसकी अध्यक्षता तलवार ने ही की थी। दरअसल इसी घटना के बाद सिंगुर में परियोजना को लेकर विरोध की गतिविधि और तेज हो गई थी।
इसी दिन टाटा मोटर्स ने सिंगुर इकाई में काम रोकने का फैसला लिया था और बाद में परियोजना को यहां से हटाकर दूसरी जगह ले जाया गया था। नैनो परियोजना को यहां से हटाने के लिए तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी को दोषी ठहराया गया था। और तृणमूल कांग्रेस के विरोध में पीबीकेएमएस ने भी उसका साथ दिया था।
तलवार ने बताया कि उनका संगठन आज भी किसानों को 300 एकड़ जमीन लौटाने की मांग पर अड़ा हुआ है। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जिन किसानों से जमीन ली गई है उन्हें लौटाना कानूनी तौर पर मुमकिन नहीं है। राज्य सरकार की सहायता से जमीन के मसले पर कोई समझौता ही एकमात्र विकल्प है।
