सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने अब सूबे के पॉलीटेक्निक कॉलेजों और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) को भी निजी हाथो में सौंपने का फैसला किया है।
प्रदेश सरकार ने पॉलीटेक्निक और आईटीआई को निजी हाथों में देने के लिए दिल्ली की ग्रैड थाटन कंपनी को बतौर सलाहकार नियुक्त किया है। उक्त सलाहकार कंपनी इन शैक्षिक संस्थाओं के संचालन के लिए निजी क्षेत्र की कंपनियों के चयन का काम करेगी साथ ही पॉलीटेक्निक कालेजों की संपत्तियों के मूल्यांकन का भी काम करेगी।
सरकार ने पहले चरण में 25 पॉलीटेक्निक और 125 आईटीआई को निजी हाथों में देने का फैसला किया है। सभी पॉलीटेक्निक बड़े शहरों में स्थापित हैं और इनके काफी खासी मात्रा में खाली जमीन पड़ी है।
इन शहरों में लखनऊ और कानपुर शामिल हैं जहां पॉलीटेक्निक प्राइम लोकेशन पर हैं और उनके पास अच्छी मात्रा में खाली जमीन है। सरकार की इस मुहिम से इन कॉलेजों में काम कर रहे शिक्षक और कर्मचारी आंदोलित हैं और उन्होंने आर-पार लड़ाई लड़ने का इरादा बनाया है।
कल से ही विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत हो जाएगी। कर्मचारी नेता अशोक कुशवाहा के मुताबिक पॉलीटेक्निक के कर्मी कल से काली पट्टी बांध कर काम करेंगे।
उनका कहना है कि सरकार ने जल्दी अगर सेवा शर्तों का खुलासा नही किया तो काम काज ठप कर प्रर्दशन की शुरुआत कर दी जाएगी।
सरकार ने पॉलीटेक्निक कॉलेजों के संचालन के लिए टेंडर मांगे है और सलाहकार के सुझाव पर कुल छह कंपनियों ने इस प्रक्रिया में भाग लिया है।
टेंडर तीन अक्टूबर को खोले जाएंगे। पहले सरकार ने कम से कम 300 करोड़ रुपए सलाना टर्नओवर वाली कंपनी को ही टेंडर भरने की इजाजत दी थी जिसे घटाकर बाद में 120 करोड़ रुपये और अब 95 करोड़ रुपये कर दिया है।
अधिकारियों का कहना है कि टेंडर डालने वाली कंपनी को तीन पुराने कालेज, 24 आईटीआई देने और छह नए पॉलीटेक्निक और 30 नए आईटीआई खोलने की इजाजत होगी साथ ही वह कंपनी एक इंजीनियरिंग कॉलेज भी खोल सकेगी।
उत्तर प्देश में 60 सरकारी पॉलीटेक्निक कॉलेज और 250 के लगभग आईटीआई हैं। इनमें से लखनऊ, कानपुर. इलाहाबाद. वाराणसी, गोरखपुर. जगदीशपुर, नोएडा, सहारनपुर, खुर्जा, बरेली, फैजाबाद, बांदा, फतेहपुर, एटा, पीलीभीत, हरदोई, बस्ती और बलिया के कॉलेज निजी हाथों में दिए जाएंगे।