कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच महाराष्ट्र खासकर मुंबई की खबरें चिंता में डालने लगी हैं। संक्रमण के मामले अचानक बढऩे पर प्रदेश सरकार तीसरी लहर आने का दावा कर रही है। कहा जा रहा है कि तीसरी लहर के दौरान राज्य में कोरोना के 60 लाख तक मामले आ सकते हैं। लिहाजा दूसरी लहर से मात खाया प्रशासन इस बार तैयारियों में जुटा है।
दिलचस्प है कि मुंबई और बड़े नगरों के बाजारों में उमड़ती भीड़ को देखकर न तो जनता के बीच महामारी का खौफ दिखता है और न ही सरकारी तैयारियां जमीन पर दिख रही हैं। पूरे महाराष्ट्र में इस समय गणेशोत्सव की धूम है और प्रशासन की चेतावनी तथा सरकार की अपील के बावजूद छोटे-बड़े बाजार भीड़ से खचाखच भरे हैं। सरकार ने होटल, रेस्तरां, शॉपिंग सेंटर, दुकानों, दफ्तरों, लोकल ट्रेन और बस के लिए दिशानिर्देश तय किए हैं मगर उनका पालन होता नहीं दिख रहा। सरकारी आदेश कागजों तक ही सीमित हैं। कोविड अस्पतालों में भी कागजों तक ही सीमित हैं।
आलम यह है कि कोविड अस्पतालों तक में सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिख रही है। बिजनेस स्टैंडर्ड के संवाददाता ने मुंबई के कई बड़े अस्पतालों में कोविड के हालात का जायजा लिया तो वहां गंभीतर नजर नहीं आई। कोरोना केंद्रों और अस्पतालों में दिशानिर्देशों के बैनर तो लगे हैं मगर उनका पालन करने या कराने वाला कोई नहीं दिखता। शहर के बड़े अस्पतालों की लिफ्ट में चार या छह लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ खड़े होने के निर्देश दिए गए हैं मगर एक बार में 20-25 लोग भर रहे हैं। गेट पर सैनिटाइजर और गार्ड के हाथ में थर्मामीटर जरूर है मगर सब कुछ लोगों के विवेक पर छोड़ दिया गया है और लोगों को मास्क से तो जैसे एलर्जी ही हो गई है। गणेशोत्सव की शुरुआत प्रशासन के लिए अभी चिंता की सबसे बड़ी वजह है। बाजार और सार्वजनिक गणेश मंडलों के पंडाल भरने लगे हैं। बृहन्मुंबई नगर पालिका के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने कहा कि यह महीना ज्यादा अहम है क्योंकि 10 दिन तक गणपति उत्सव के लिए लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं और प्रतिमा विसर्जन के दिन फिर भीड़ बढ़ेगी। हालांकि कोरोना मरीजों की संख्या एक बार फिर बढऩे के कारण बीएमसी ने मूर्तियों की ऊंचाई कम रखने, जुलूस नहीं निकालने और विसर्जन के समय घर पर ही रहने की बात कही गई है। मगर लोगों पर नियंत्रण करना आसान नहीं होगा। ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण दोबारा बढ़ रहे हैं, जिससे फिक्रमंद सरकार ने दोबारा लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाने की चेतावनी दी है।
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ग्रामीण क्षेत्रों में लापरवाही पर चिंता जताते हुए कह ही चुके हैं कि ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं की जाए कि तीसरी लहर आने पर सब कुछ बंद करना पड़े। केरल और महाराष्ट्र में मामले एक बार फिर बढऩे के कारण केंद्र सभी राज्यों को आगाह कर चुका है मगर ग्रामीण इलाकों में लोग लापरवाही बरत रहे हैं, मास्क गायब हैं, सामाजिक दूरी खत्म हो गई है और कोरोना को बीता हुआ मान लिया गया है। उनका यह रवैया सरकार को परेशान कर रहा है।
ऑक्सीजन उत्पादन पर जोर
बहरहाल सरकार अपनी ओर से तैयारी में जुटी है। दूसरी लहर के दौरान राज्य में ऑक्सीजन की भारी किल्लत हुई थी, इसलिए उद्घव ठाकरे सरकार ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने में लगी है। दूसरी लहर के दौरान राज्य को रोजाना 1,700 से 1,800 टन ऑक्सीजन की जरूरत थी और उसके लिए दूसरे राज्यों का मोहताज रहना पड़ा था। मगर अब इस मोर्चे पर मुस्तैदी दिख रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक महाराष्टï्र की ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता पहले 1,300 टन रोजाना थी, जो अब बढ़कर 1,500 टन हो गई है। इसे बढ़ाकर 3,000 टन करने के निर्देश दिए गए हैं। 450 ऑक्सीजन संयंत्र लगाए जा रहे हैं, जिनमें 250 चालू हो चुके हैं। ऑक्सीजन भंडारण के लिए ड्यूरा सिलिंडरों की संख्या बढ़ाई जा रही है ताकि एक समय में 1,900 से 2,000 टन तक ऑक्सीजन उपलब्ध हो सके। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस समय गैर कोविड रोगियों के लिए रोजाना 150 टन और कोविड रोगियों के लिए 200 टन ऑक्सीजन की जरूरत है।
बीएमसी ने कसी कमर
तीसरी लहर की आशंका देखते हुए बीएमसी हर स्तर पर अपने को तैयार कर रही है। बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने कहा कि तीसरी लहर के लिए 30,000 बेड तैयार किए जा रहे हैं। चेंबूर और महालक्ष्मी में ऑक्सीजन रिफिलिंग प्लांट लगाए जाएंगे, ताकि शहर में कोविड रोगियों को इसकी कमी नहीं हेा। बड़े अस्थायी अस्पताल भी तैयार किए जा रहे हैं। मगर इस समय उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है क्योंकि बीएमसी का कहना है कि कोविड के मामले नहीं होने पर भी उन्हें चलाते रहने पर डॉक्टर, नर्स तथा अन्य सुविधाओं पर बेजा खर्च करना पड़ता है। इसलिए तीसरी लहर में रोजाना 10,000 मरीज आने पर भी चरणबद्घ तरीके से ही सुविधाएं चालू की जाएंगी।
टीकाकरण में तेजी
तीसरी लहर से निपटने के लिए महाराष्टï्र में भी टीकाकरण को ही हथियार बनाया जा रहा है। मुंबई में ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोरोना टीके की दूसरी खुराक देने के लिए बीएमसी विशेष अभियान चला रही है। 80 फीसदी मुंबईवासियों को पहलला और 31 फीसरदी को दूसरा टीका लग चुका है। बीएमसी के आंकड़ों के अनुसार 7 सितंबर तक मुंबई में 1 करोड़ से अधिक लोगों को टीके दिए जा चुके थे। जन स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 7 सितंबर तक पूरे राज्य में कुल 6.27 करोड़ टीके लगाए जा चुके हैं। विभाग के अनुसार टीकाकरण के मामले में महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है। मगर दोनों खुराक लेने वालों की तादाद के लिहाज से महाराष्ट्र ही अव्वल नंबर है।
मास्क न पहनने पर सख्ती
मुंबई पुलिस आगामी त्योहारी सीजन के दौरान शहर भर में सुरक्षा प्रदान करने के लिए कमर कस रही है। गणेश उत्सव के दौरान पुलिस नियमों का पालन कराने के लिए सख्ती से पेश आएगी। जो लोग शहर की सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बिना मास्क के घूमते पाए जाएगें उनके खिलाफ मुंबई पुलिस कार्रवाई करेगी। संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था) विश्वास नागरे पाटिल द्वारा आदेश जारी करके कहा कि महानगर के सभी पुलिस थानों को उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है।
फिर प्रभावी होगा मुंबई मॉडल
कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत में मुंबई में स्थिति भयावह थी। एक-एक दिन में 11 हजार से भी ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आ रहे थे। अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे थे। ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और वेंटिलेटर की कमी का संकट था, लेकिन बीएमसी प्रशासन ने स्थिति बदली और मुंबई मॉडल की तारीफ होने लगी। उच्चतम न्यायालय और नीति आयोग ने इस मॉडल की जमकर सराहना की। तीसरी लहर करीब आती देखकर मुंबई मॉडल तैयार वाले बीएमसी आयुक्त इकबाल सिंह चहल एक बार फिर रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वह अलग-अलग विभागों, निजी अस्पतालों, ऑक्सीजन संयंत्रों की मौजूदा स्थिति, संभावित मांग और आपूर्ति का खाका तैयार कर रहे हैं।
राजनीतिक शंखनाद से परेशान सरकार
भाजपा सहित तमाम विपक्षी दल सभी मंदिरों को खोलने की लगातार मांग कर रही हैं। अपनी मांग के समर्थन में भाजपा ने राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर रखा है। मंदिरों के सामने शंखनाद जैसे आंदोलन किये जा रहे हैं, जिनमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा भी ले रहे हैं।
ठाकरे की भावुक अपील
गणेशोत्सव में उमडऩे वाली भीड़ और राजनीतिक दलों की तरफ से उठाए जा रहे सवालों के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि कोरोना संक्रमण में वृद्घि दिख रही है और पिछली लहर के अनुभव को देखते हुए इस बार पूरी तरह तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। मगर सत्ता और विपक्ष से अपील है कि भीड़भाड़ वाले आयोजनों से बचें। त्योहारों, उत्सवों पर प्रतिबंध कोई नहीं लगाना चाहता मगर जनता का स्वास्थ्य और जीवन मायने रखता है। त्योहार बाद में भी मनाए जा सकते हैं। यदि लोग नियम-कायदे मानते हैं तो दोबारा प्रतिबंध लगाने की नौबत नहीं आएगी। इसलिए सभी राजनीतिक दलों से विनम्र अपील है कि समझदारी से काम लें और लोगों के जीवन की रक्षा करें। भीड़भाड़ न करें, सार्वजनिक आयोजनों से बचें और राजनीतिक सभाओं को बढ़ावा नहीं दें।