आलू निर्यात का बाजार तैयार है। आलू भी तैयार है। पर सरकारी महकमों की लेट-लतीफी के कारण 10,000 टन आलू यूरोप के बाजार में अपनी धाक जमाने की बाट जोह रहा है।
तीन साल की मेहनत के बाद पंजाब के आलू किसानों ने वतन के आलू को सात समंदर पार जाने लायक बनाया है। फिरंगियों की टीम ने आलू की जांच भी कर ली है और सर्टिफिकेट भी दे दिया है।
हालांकि पंजाब के किसानों ने अभी हिम्मत नहीं हारी है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही देसी आलू का स्वाद यूरोप के लोग चख लेंगे।
अगर ऐसा होता है तो आलू के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। पंजाब स्टेट कोऑपरेटिव सप्लाई ऐंड मार्केटिंग फेडरेशन (मार्कफेड) के वरिष्ठ अधिकारी एमबीएस संधू ने बिजनेस स्टैंडर्ड को चंडीगढ़ से टेलीफोन पर बताया, ‘आलू का पासपोर्ट तैयार है बस वीजा मिलने में देरी हो रही है।
यूरोपियन यूनियन के मुख्यालय में इस वास्ते सरकार की तरफ से अर्जी लगा दी गयी है, वहां से हरी झंडी मिलते ही आलू का निर्यात शुरू हो जाएगा। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय की देखरेख में इस मामले को आगे बढ़ाया जा रहा है।’
उन्होंने बताया कि भारत का आलू यूरोप में नकारात्मक सूची (निगेटिव लिस्ट) में है और इस कारण निर्यात के लिए हरी झंडी मिलने में देरी हो सकती है।
उन्होंने यह भी आशंका जाहिर की कि इस साल शायद ही इस निर्यात को यूरोपीय यूनियन की तरफ से इजाजत मिल पाए।
कैसे हुई शुरुआत
पंजाब आलू उत्पादक संघ ने तीन साल पहले यूरोप के आलू कारोबारियों से संपर्क किया। और फिर उन देशों की शर्तों के मुताबिक आलू की खेती की। इस दौरान हॉलैंड से एक दल ने दो बार पंजाब के दोआब क्षेत्र का दौरा किया।
आलू की गुणवत्ता व खेती के तौर-तरीकों से संतुष्ट होने के बाद उन्होंने पंजाब के आलू को यूरोप के बाजार में आने देने की हामी भरी।
पंजाब आलू उत्पादक संघ के सचिव जसविंदर सिंह सांगा कहते हैं, ‘लगातार दो सालों तक इलाके के कई किसानों ने यूरोप की शर्तों के मुताबिक कीटनाशक व अन्य चीजों का इस्तेमाल किया।
यहां तक कि खेतों में जाने वाले मजदूरों को जूते भी उनके मुताबिक दिए गए। तब जाकर उनकी मंजूरी मिली। इन आलुओं को अब सिर्फ पकाना और खाना है। लेकिन सरकारी स्तर पर हो रही देरी के कारण आलू का निर्यात अब तक नहीं हो सका है।’
किसानों के मुताबिक उनके पास इतनी उपज है कि समूचे यूरोप को लगातार 6 महीनों तक आलू का निर्यात किया जा सकता है। इसके अलावा न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया में भी भारतीय आलू को भेजा जाएगा।
क्यों है अनुकूल माहौल
किसानों ने बताया कि विश्व भर में आलू की खेती गर्मी में की जाती है। सिर्फ भारत ही ऐसा देश है जहां सर्दियों में आलू की खेती की जाती है। लिहाजा एक बार यूरोप के बाजार में अपनी पैठ बना लेने पर सर्दी के मौसम में पूरे यूरोप में आलू का निर्यात किया जा सकता है।
आलू किसानों की दास्तां
सात समंदर पार की तैयारी
भारत का आलू यूरोप में नकारात्मक सूची में आता है, इस कारण निर्यात के लिए हरी झंडी मिलने में देर हो सकती है। इस साल मंजूरी का मामला अटक भी सकता है।