एक तरफ बढ़ता तापमान तो दूसरी तरफ बत्ती गुल! उत्तर प्रदेश में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है, वहीं दिन प्रति दिन बिजली ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।
हर दिन यहां की खपत 9,500 मेगा वॉट तक पहुंच चुकी है लेकिन बिजली की सप्लाई 6,500 मेगा वॉट ही हो पा रही है। लोकसभा चुनावों को देखते हुए सरकार इस कोशिश में है कि बिजली का इस्तेमाल करनेवाले मतदाताओं को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो और वह आराम से रहे।
प्रदेश में 6,500 मेगावॉट बिजली उपलब्ध है जिसमें से 3,500 मेगावॉट केंद्रीय सेक्टर और अन्य सेक्टर से प्राप्त होती है। प्रदेश की 26 हाइड्रो और थर्मल पावर यूनिट से 3,000 मेगा वॉट बिजली ही मिल पाती है।
पिछले महीने यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर कर 15 दिन के लिए 7.5 रुपये प्रति यूनिट की दर से 250 और 400 मेगावॉट बिजली की खरीद की।
गौरतलब है कि पहाड़ी इलाकों में बर्फ अब तक पिघली नहीं है इसलिए हिमाचल में भी हाइड्रो पावर से बिजली बहुत कम मिल पा रही है जिसकी वजह से हिमाचल भी उत्तर प्रदेश को प्रति दिन केवल 60 मेगावॉट बिजली ही दे पा रहा है जो पहले से ही कम पड़ रही बिजली के लिए पूरा नहीं पड रहा।
एक आधिकारिक सूत्र के अनुसार यूपीपीसीएल बिजली की निर्धारित और गैर निर्धारित आपूर्ति का ध्यान रख रही है ताकि मांग और आपूर्ति की खाई को भरा जा सके। जिन जगहों पर मतदान होना बाकी है, वहां बिजली की आपूर्ति ज्यादा की जा रही है। यहां तक कि कानपुर जैसे औद्योगिक शहर में हर दिन रात को 11 बजे से सुबह के 5 बजे तक लगभग 7 घंटे बिजली गुल रहती है।
भारतीय औद्योगिक संगठन (इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन) के पूर्व अध्ययक्ष खेत्रपाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि गर्मियों में रोलिंग मिल रात को चला करती हैं क्योंकि उससे निकलने वाली गर्मी बहुत तेज होती जिसे मजदूर बर्दाश्त नहीं कर सकते। पर रात में बिजली न आने की वजह से वे उसे दिन में चलाने को मजबूर हैं।
