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स्टोन क्रशिंग इकाइयों की याचिका खारिज

Last Updated- December 05, 2022 | 4:32 PM IST

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने राज्य की 13 स्टोन क्रशिंग इकाईयों की ओर से दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। इन इकाईयों में से ज्यादातर राज्य के छोटे और मध्यम आकार के हैं।


न्यायालय का कहना है कि ये इकाईयां पर्यावरण को नुकसान पहुंची रही हैं।


स्टोन क्रशिंग इकाईयों ने पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की तरह साइट मानक निर्धारण के लिए सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने के लिए याचिका दायर की थी।


 हालांकि उड़ीसा उच्च न्यायालय ने यह बताते हुए याचिका खारिज कर दिया कि सभी राज्यों की पर्यावरण की स्थिति एकसमान नहीं है और इनके लिए कहीं भी एक समान नियमों का प्रावधान नहीं किया जा सकता।



उड़ीसा को अपने स्वच्छ पर्यावरण आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए साइट मानक निर्धारित करने होंगे। राज्य सरकार वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के धारा 19 के तहत पूरे राज्य को प्रदूषण मुक्त घोषित कर सकती है।


हालांकि स्टोन क्रशिंग इकाईयों के चार मामलों को उच्च न्यायालय ने अपने पास दोबारा सर्वेक्षण का विकल्प सुरक्षित रखा है, ताकि यह जांच की जा सके कि सरकार की ओर 1998 में स्थापित मानक का कहीं ये कंपनियां उल्लंघन तो नहीं कर रही हैं।


उल्लेखनीय है कि राज्य में कुल 1300 स्टोन क्रशिंग इकाईयां थीं, जिनमें से सरकार ने पिछले दस साल के दौरान 400 इकाईयों को बंद कर दिया है। ऐसा करने के पीछे सरकार का तर्क यह था कि ये कंपनियां पर्यावरण मानकों का उल्लंघन कर रही थीं।


सरकार के नियमानुसार इन इकाईयों को आबादी से एक किलोमीटर दूर और राष्ट्रीय राजमार्ग या राज्य मार्ग से 500 मीटर दूर स्थापित किया जा सकता है। यही नहीं, दो इकाईयों के बीच कम से कम आधा किलोमीटर की दूरी होनी चाहिए।


इसके साथ ही वन विभाग की ओर से भी इसके लिए कुछ मानक तय किए गए हैं।

First Published - March 12, 2008 | 8:01 PM IST

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