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महाराष्ट्र में महज 6 दिनों का कोयला स्टॉक

Last Updated- December 11, 2022 | 7:50 PM IST

तापमान बढऩे के साथ बिजली की मांग भी तेजी से बढ़ी है लेकिन राज्य में बिजली का उत्पादन कम हो रहा है। महाराष्ट्र में पिछले कई दिनों से बिजली संकट गहराता जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को बिजली नहीं मिल रही  हैं। महाराष्ट्र में बिजली बनाने के लिए सिर्फ 6  दिनों का ही कोयला बचा है । इसीलिए राज्य में जरूरत के मुकाबले 2,400 से 2,600 मेगावॉट कम बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। महावितरणमहाराष्ट्र इस समय कोयले की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में बिजली उत्पादन बाधित हो रहा है। गर्मी की शुरुआत और बिजली की बढ़ती मांग के साथ राज्य में बिजली की कटौती का संकट बढ़ गया है। महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत के मुताबिक राज्य में बिजली कटौती की वजह कोविड-19 पाबंदियों में ढील के बाद बिजली की बढ़ी मांग है। राउत ने कोयले की आपूर्ति और मालगाडिय़ों के कथित कुप्रबंधन के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराते हुए दावा किया कि राज्य के पास केवल छह दिनों के लिए कोयले का भंडार रह गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिजली उत्पादन के लिए कोयले की आपूर्ति में अंतर को पाटने के लिए काम कर रही है ताकि बिजली कटौती से बचा जा सके। इससे पहले केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र सरकार की योजना की कमी की वजह से कोयले की कमी हुई है जिसका नतीजा है कि राज्य में बिजली की किल्लत हो रही है।
राउत ने कहा कि कोयले की कमी केवल महाराष्ट्र में नहीं है, बल्कि पूरे भारत में है और दावा किया कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने सभी राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों से इसपर चर्चा की थी और उनसे कोयला आयात करने को कहा था। उन्होंने कहा कि पूरे देश में कोविड-19 महामारी में कमी आने और अर्थव्यवस्था के खुलने के बाद बिजली की मांग में कई गुना की वृद्धि हुई है। खुले बाजार से खरीदने के लिए बिजली उपलब्ध नहीं है। इसी प्रकार कोयला आपूर्ति और रेलवे रैक को लेकर कोई उचित प्रबंधन नहीं होने से राज्यों को इस स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।
राउत ने आगे कहा कि राज्य सरकार के पास कोयले का जो भंडार है वह अधिक से अधिक छह दिनों तक चलेगा। उन्होंने कहा कि हम उपलब्ध कोयले का 62 फीसदी इस्तेमाल कर सकते हैं और बाकी को मानसून के लिए रखते हैं। यह मौजूदा स्थिति है। राउत ने कहा कि राज्य सरकार ने कोयले की खरीद के लिए 2,200 करोड़ रुपये केंद्र को दिए लेकिन अतिरिक्त आपूर्ति से पहले पिछले बकाये का भगुतान करने को कहा गया। मंत्री ने कहा कि हमने मौजूदा स्थिति से मुख्यमंत्री को सूचित कर दिया है। हम बिजली उत्पादन और आपूर्ति में अंतर को पाटने के लिए काम कर रहे हैं ताकि राज्य में बिजली कटौती न हो।
महाराष्ट्र में बिजली उत्पादक केन्द्रों की हालत चिंताजनक है। राज्य के बिजली उत्पादन केन्द्रों में महज छह दिनों का कोयला बचा है। जबकि नियमानुसार बिजली उत्पादन कंपनियों के पास कोयले का 26 दिनों का स्टॉक होना चाहिए। राज्य के बिजली उत्पादन केन्द्रों में कोयले की स्थिति बेहद चिंताजनक है प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य के कोराडी बिजली उत्पादन केंद्र में 2.21 दिन तक के लिए ही कोयले का स्टॉक बचा है। नासिक में 2.80 दिन, भुसावल में 1.24 दिन, परली में एक दिन से भी कम का स्टॉक है। इसी तरह पारस में पांच दिन, चंद्रपुर में सात दिन, खापरखेडा में 6 दिन के कोयले का स्टॉक है। महानिर्मित को हर दिन 9330 मेगावॉट बिजली उत्पादन के लिए एक लाख 38 हजार टन कोयले की जरुरत होती है, लेकिन 1 लाख 20 हजार से एक लाख 29 हजार टन कोयला मिल पा रहा है। इस तरह बिजली उत्पादन में 2300 से 2600 मेगावॉट कम हो रही है। 9330 मेगावॉट की जगह 6700 से 7000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो पा रहा है।

First Published - April 15, 2022 | 11:56 PM IST

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