डेढ़ महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद जब सोमवार को दिल्ली में बाजार खुले तो बाजारों में ग्राहक बहुत ही कम आए। पहला दिन कारोबार की बजाय दुकानों की साफ—सफाई में ही बीता। कारोबारियों का कहना है कि सम—विषम फार्मूले के आधार पर दुकानें खोलने से कारोबारियों को मुश्किलों का सामना करना पड रहा है। इसलिए सरकार को इस फॉर्मूले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष और सदर बाजार के कारोबारी देवराज बवेजा ने बताया कि दुकानें खुलने का पहला दिन तो इनकी साफ—सफाई में ही बीत गया। बाजार में ५ फीसदी ही ग्राहक आए है। नेहरू प्लेस के कारोबारी और आल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र अग्रवाल कहते हैं कि पहले दिन खरीदारी करने तो न के बराबर ही ग्राहक आए। बाजार में आए ज्यादातर ग्राहक कंप्यूटर, लैपटॉप की मरम्मत करवाने वाले थे। सामान्य दिनों की तुलना में आज बाजार में ग्राहकों की संख्या १० से १५ फीसदी ही रही। सम—विषम फार्मूले के आधार पर दुकानें खुलने के कारण मरम्मत करने में भी दिक्कत हुई, क्योंकि सम—विषम के कारण कुछ दुकानें बंद होने से मरम्मत में लगने वाले सामान की कमी रही।
कन्फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल कहते हैं कि दिल्ली में आज सम—विषम फॉर्मूले के आधार पर दुकानें तो खुली, लेकिन अधिकांश बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा क्योंकि कारोबारी दुकानों की सफाई के कार्यों में अधिक व्यस्त रहे। साथ ही कोरोना संक्रमण के भय से भी बाजारों से ग्राहक नदारद रहे। खंडेलवाल का दावा है कि अप्रैल—मई के दौरान दिल्ली के कारोबार को करीब ४० हजार करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है। सम—विषम फार्मूला पर दुकाने खोलने से कारोबार और जटिल हो गया है। इसके स्थान पर दिल्ली के विभिन्न तरह के बाजारों के खुलने और बंद होने के अलग-अलग समय निर्धारित किया जा सकता है। एसोसिएशन आफ होलसेल रेडीमेड गारमेंट डीलर्स गांधीनगर के अध्यक्ष के के बल्ली कहते हैं कि कपड़ों के कारोबार के लिए गर्मी के सीजन के दो—तीन सप्ताह ही बचे हैं। इसमें कुछ स्टॉक निकलने की संभावना है। लेकिन सम—विषम फार्मूले के कारण सप्ताह में ३—४ दिन ही दुकान खुल पाएगी, जिससे खर्चे निकालना भी मुश्किल होगा। इसलिए सरकार को सम—विषम फार्मूले को समाप्त कर सभी दुकानें खोलने की अनुमति देनी चाहिए।
