रेलवे बोर्ड ने उत्तराखंड के लिए कई नई टे्रन परियोजनाओं को आज मंजूरी दे दी। इनमें मुजफ्फरनगर-रुड़की के बीच 160 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली नई रेल लाइन शामिल है।
जबकि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना को मंजूरी नहीं मिल पाई है। यह फैसला रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एस एस खुराना, उत्तराखंड के मुख्य सचिव इंदु कु मार पांडे और कई वरिष्ठ अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक के बाद लिया गया है।
इस बैठक के दौरान कुमाऊं क्षेत्र में टनकपुर-बागेश्वर लाइन पर फिर से विचार करने का फैसला लिया गया है। हालांकि रेलवे अधिकारियों ने बताया कि 4500 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना व्यावसायिक रूप से बहुत फायदेमंद नहीं होगी।
पांडे ने बताया कि 49 किलोमीटर लंबी मुजफ्फरनगर-रुड़की लाइन पर आने वाली लागत का आधा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। इस रेलवे लाइन के शुरू होने से दोनों शहरों की बीच की यात्रा लगभग डेढ़ घंटा कम हो जाएगी। इस बारे में राज्य सरकार रेलवे को 20 करोड़ रुपये की पहली किस्त एक महीने के भीतर ही देगी।
इसके साथ ही बोर्ड ने पुल के ऊपर (आरओबी) लगभग 15 सड़कों के निर्माण की भी मंजूरी दे दी है। इनके निर्माण में आने वाली लागत में रेलवे और राज्य सरकार की बराबर की हिस्सेदारी होगी। लक्सर और मोतीचूर में आरओबी परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। जबकि बाकी 13 आरओबी के लिए विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट जल्द ही तैयार की जाएगी।
इसके साथ ही बोर्ड ने कांसरो रेलवे स्टेशन के पास नई लूप लाइनों का निर्माण करने की योजना भी बनाई है। इससे ट्रेनों की आवाजाही में आसानी होगी। राज्य वन विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर चिंतित थे कि इन नई लाइनों से राजाजी नैशनल पार्क में हाथियों के घूमने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे को पार्क में रहने वाले जंगली जानवरों के लिए दिक्कतें नहीं बढ़ानी चाहिए। दरअसल रुकी हुई टे्रनों से हाथी, तेंदुए और चीते के आने जाने में रुकावट आती है। वन अधिकारियों ने साफ तौर पर कह दिया कि इस बारे में रेलवे और राज्य सरकार को उच्चतम न्यायालय से अनुमति लेनी होगी।
बोर्ड ने पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए देहरादून-कलसी लाइन का काम भी जल्द ही शुरू करने का फैसला किया है। कुमाऊं क्षेत्र में प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क के लिए दिल्ली से एक सप्ताहांत पर्यटन पैकेज शुरु करने की योजना भी है। इसके साथ ही नई दिल्ली और काठगोदाम के बीच एक नई शताब्दी शुरू करने की भी योजना है।
