उत्तर प्रदेश में अब छोटी औद्योगिक इकाई लगाने की राह आसान कर दी गई है। तमाम अनुमतियों, अनाआपत्तियों और लाइसेंस की जगह महज एक प्रमाणपत्र पर एमएसएमई क्षेत्र में इकाई की स्थापना हो सकेगी। नयी इकाई को 1,000 दिन काम करने के बाद जरुरी मंजूरी लेने के लिए 900 दिन का समय दिया जाएगा। नोएडा, ग्रेटर नोएडा सहित प्रदेश के प्राधिकरणों में 1,000 वर्गमीटर से छोटे भूखंड में नए उद्यम लगाने के लिए मंजूरी केवल 48 घंटे में मिल जाएगी।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने यूपी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम अधिनियम-2020 (एमएसएमई एक्ट) लागू करने का फैसला किया है। प्रदेश मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह अधिनियम लागू होने के बाद एमएसएमई क्षेत्र में नई इकाई की स्थापना आसान हो जाएगी।
इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि वर्तमान में नई इकाई लगाने के लिए उद्यमी को 29 विभागों से करीब 80 तरह की अनापित्तयां लेनी होती है। एमएसएमई अधिनियम लागू होने से उद्यमी केवल एक अनापत्ति प्राप्त कर 1,000 दिन तक उद्यम संचालित कर सकेगा। बाकी अनापत्तियां उसे 900 दिनों में प्राप्त करनी होगी। इस दौरान इकाई की किसी तरह की जांच-पड़ताल व पूछताछ नहीं होगी। इससे लघु उद्योगों के जरिये एक साल में 15 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
नया अधिनियम लागू होने के बाद छोटी या मझोली इकाई के लिए उद्यमी को जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली नोडल एजेंसी के सामने तय प्रारूप पर आवेदन करना होगा। इसके साथ ही उसे जमीन, पर्यावरण, श्रम, अग्निशमन व विद्युत सुरक्षा संबंधी अनापत्ति के लिए घोषणापत्र देना होगा। इसके बाद उसे स्वीकृति का प्रमाणपत्र महज तीन दिनों के अंदर जारी कर दिया जाएगा। यह प्रमाणपत्र एमएसएमई के लिए निवेशमित्र पोर्टल पर भी अपलोड कर दिया जाएगा। जिला स्तर की इस नोडल एजेंसी में संबंधित क्षेत्र के उपजिलाधिकारी, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अधीक्षण अभियंता क्षेत्रीय विद्युत निगम, सहायक निदेशक विद्युत सुरक्षा, क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीएसआईडीसी अधिकारी के साथ श्रम अधिकारी, जिला उद्योग विभाग के उपायुक्त के साथ जिला अग्निशमन अधिकारी शामिल होंगे।
नए एमएसएमई अधिनियम में तंबाकू उत्पाद, गुटखा, पान मसाला, अल्कोहल, कार्बोनेटेड उत्पाद और पटाखों के निर्माण से संबंधित उद्यम बाहर रखे गए हैं। इसके अलावा 40 माइक्रोन से कम अथवा सरकार द्वारा तय मोटाई से कम प्लास्टिक कैरी बैग के साथ ही समय-समय पर प्रतिबंधित सूची में शामिल उत्पादों की इकाइयों को भी इससे अलग रखा गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से खतरनाक मानी गई इकाइयां भी इसमें शामिल नहीं की गई हैं।
प्रदेश सरकार ने एक अन्य फैसले के तहत अब विभिन्न सरकारी विभागों में सामानों की आपूर्ति करने व सेवाओं देने वाली एमएसएमई इकाइयों के भुगतान की व्यवस्था को आसान कर दिया है। फिलहाल इन्हें अपना भुगतान प्राप्त करने के लिए कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। नए अधिनियम में मंडल स्तर पर समिति बनाने की व्यवस्था की गई है। इससे मंडल स्तर पर ही एमएसएमई इकाइयों के भुगतान संबंधी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा। अब एमएसएमई के भुगतान न होने पर उसकी वसूली भूराजस्व की तरह की जाएगी और इसके लिए आरसी जारी की जाएगी।