बीते शनिवार को मानसून देश में दस्तक दे चुका है। अगले डेढ़ महीनों में मानसून की चादर पूरे देश में फैल चुकी होगी।
देश के खेत-खलिहान से लेकर स्टॉक एक्सचेंज और सूखे की विभीषिका झेल रहे बुंदेलखंड के किसानों से लेकर नॉर्थ ब्लॉक में बैठे नीति-निर्माताओं तक सबकी नजर इस बार के मानसून पर ही होगी।
किसानों की बदहाली, महंगाई की दर 8 प्रतिशत से अधिक होने, अर्थव्यवस्था में स्थिरता के संकेतों और लोकसभा चुनाव की आहट ने इस बार के मानसून को महत्त्वपूर्ण बना दिया है।
मानसून की दस्तक
चलिए, सबसे पहले इस बार मानसून की चाल पर एक नजर डालते हैं। दक्षिण पश्चिमी मानसून 31 मई को केरल पहुंच चुका है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले पांच दिनों में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंघ्र प्रदेश मानसून की बारिश से सराबोर हो चुके होंगे।
दस जून तक मानसून महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ हिस्सों में दस्तक दे चुका होगा। इसके बाद 15 जून तक गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों तक पहुंच जाएगा। एक जुलाई तक राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, पंजाब और जम्मू-कश्मीर की फिजाओं में मानसूनी घटाएं फैल चुकी होंगी। मौसम विभाग ने इस बार मानसून के सामान्य रहने का अनुमान जताया है।
कारोबारियों की धड़कन तेज
शेयर बाजार की नजरें भी मानसून पर टिकी हुई हैं। इस साल मानसून की बारिश अच्छी होती है तो इससे अर्थव्यवस्था के पहिए को ताजा ऊर्जा मिलेगी। इंडिया बुल्स के बाजार विश्लेषक पंकज कुमार ने बताया कि मानसून की बारिश के अच्छा रहने से एफएमसीजी क्षेत्र में सबसे अधिक उछाल देखने को मिलेगा।
इसके अलावा टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं, ऑटोमोबाइल्स और दूरसंचार शेयरों में भी तेजी देखने को मिलेगी। उल्लेखनीय है कि दूरसंचार कंपनियों ने ग्रामीण भारत को लक्ष्य करते हुए विस्तार की महत्त्वाकांक्षी योजनाएं तैयार की हैं। उन्होंने बताया कि जून में बाजार की धारणा काफी सकारात्मक है। प्रमुख क्षेत्रों पर मानसून से होने वाले असर पर एक नजर-
कृषि उत्पाद: ट्रैक्टर, खाद, उन्नत बीज और कीटनाशक जैसे कृषि उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी होगी।
आटोमोबाइल्स: बजाज, हीरो होंडा और टीवीएस जैसी दुपहियां कंपनियों को मिलेगा फायदा।
उपभोक्ता वस्तुएं: हिंदुस्तान लीवर, कोलगेट, डॉबर, आईटीसी, ब्रिटानिया जैसी एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री बढ़ेगी।
भवन निर्माण: बारिश के बाद के समय को भवन निर्माण के लिए बेहतर माना जाता है। इस दौरान सीमेंट और अन्य भवन निर्माण कंपनियों की बिक्री में इजाफा देखने को मिलेगा।
दूरसंचार: हच सहित लगभग सभी दूरसंचार कंपनियों के ग्रामीण भारत अभियान को मदद मिल सकती है।
उम्मीदों भरे खेत-खलिहान
भारत में खेती आज भी मानसून का जुआ है। अगर बारिश अच्छी हो गई तो सब अच्छा या फिर सब गड़बड़। शुक्रवार को जारी आर्थिक विकास दर के आंकड़ों में कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इस कारण वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान विकास दर की गणना करते समय कृषि क्षेत्र का आधार अंक भी अधिक होगा।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक बीते दिनों समूचे उत्तर भारत में हुई बारिश कोई असामान्य बारिश नहीं थी, हालांकि बीते कुछ वर्षों के दौरान मई के महीने में यह बारिश बंद हो गई थी। यह बारिश खरीफ की फसल के लिए काफी अच्छी है। इससे खेतों में खरपतवार नहीं उगेंगे और धान की फसल के लिए बेड बनाने में मदद मिलेगी। अच्छी बारिश होने से बिजली और भूजल की भी बचत होती है और जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।
चुनावी फसल होगी तैयार
मानसून के अच्छा रहने की उम्मीद से किसानों और नीति निर्माताओं के चेहरे पर खुशी है। देश में होने वाली कुल बारिश में मानसून की हिस्सेदारी दो तिहाई से भी अधिक है। आर्थिक विकास दर में कृषि की हिस्सेदारी में कमी होने के बावजूद कृषि पर निर्भरता कम नहीं हुई है।
महंगाई को रोकने के लिए वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक की सारी कवायद एक तरफ और मानसून एक तरफ। मानसून में देरी का खाद्यान्न के उत्पादन पर असर पड़ता है और पैदावार में कमी से महंगाई की आग को हवा मिलती है। हालांकि इस बार मानसून अच्छा रहने का अनुमान है। इस कारण खाद्यान्न की कीमतों में नरमी का रुख देखने को मिल सकता है। अच्छी फसल का अर्थ है देश की दो-तिहाई आबादी के लिए खुशहाली और महंगाई में कमी।
केन्द्र की यूपीए सरकार के लिए यह काफी सुकू न की स्थिति होगी। किसानों के पास पैसा आने से विनिर्माण क्षेत्र और कुछ हद तक सेवा क्षेत्र को भी फायदा मिलेगा। टिकाऊ और सबके विकास के सपने को जमीन मिलेगी। सरकार के लिए चिदंबरम की तरकश के तीरों के मुकाबले बारिश के बाण अधिक कारगार साबित होंगे।
मानसून की चाल
5 जून 2008
तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश
10 जून, 2008
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, प. बंगाल
15 जून, 2008
गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, उप्र
1 जुलाई, 2008
राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर