मध्य प्रदेश सरकार ने करोड़ों रुपये की लागत से ओल्ड एसेंबली हॉउस को व्यापार और सम्मेलन केन्द्र में तब्दील करने के लिए इंडिया ट्रेड प्रोमोशन ऑर्गनाइजेशन (आईटीपीओ) का साथ छोड़ अकेले चलने का फैसला किया है।
ओल्ड एसेंबली हॉल को मिंटो हॉल के नाम से भी जाना जाता है। इससे पहले वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने भोपाल में निवेश प्रक्रिया को आकर्षक बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र बनाने का फैसला किया था।
राज्य मंत्रिमंडल ने इस काम को आईटीपीओ की जगह राज्य की संस्था मध्य प्रदेश लघु उद्योग निगम (एमपीएनयूएन) के साथ मिलकर पूरा करने का फैसला किया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक एमपीएलयूएन की निविदा, दस्तावेजीकरण और आर्डर देने की प्रक्रिया पर आयकर विभाग की नजर है। बीते सप्ताह आयकर अधिकारियों द्वारा संस्था के मुख्य महाप्रबंधक के घर पर छापा मारा गया था।
इस बहुउद्देशीय योजना के लिए राज्य सरकार एमपीएलयूएन को सशक्त बनाने की जुगत में है। मसलन राज्य सरकार एमपीएलयूएन को पट्टे पर जमीन मुहैया कराएगी और सभी समझौतों पर सरकार 2 फीसदी का कमीशन लेगी। अभी तक यह साफ नहीं है कि एजेंसी इस प्रोजेक्ट को किस तरह पूरा करेगी। केन्द्र सरकार ने 2005 के दौरान भोपाल में निवेशकों को लुभाने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन केन्द्र स्थापित करने का फैसला किया था।
बहरहाल, इस प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए राज्य सरकार ने निजी साझेदारों को भी न्यौता देने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि ओल्ड एसेंबली हॉल 15 एकड़ के दायरे में फैला हुआ है। राज्य मंत्रिमंडल ने 12 करोड़ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन की कीमत आंकी है। निजी साझेदारों को आवंटित भूमि 60 सालों के लिए पट्टे पर दी जाएगी और साझेदार के अनुरोध पर इसे 30 साल के लिए बढ़ाया भी जा सकता है।
साझेदार को सभी नियम व शर्तों पर खरा उतरना होगा। इसके अलवा राज्य सरकार ने 5 एकड़ क्षेत्र में सम्मेलन केन्द्र, एक विश्वस्तरीय जल क्रीड़ालय और 10 एकड़ के क्षेत्र में 200 कमरों वाला एक स्टार श्रेणी होटल बनाने का भी फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि सन 1909 में नवाब सुलतान जहां बेगम ने भोपाल में मिन्टो हॉल का निर्माण किया गया था। इसे राज भवन के नजदीक एक गेस्ट हाउस के रूप में बनाया गया था। उस जमाने में इसे लाल कोठी कहा जाता था। उस वक्त इसकी लागत करीब 3 लाख रुपये थी। इस कोठी के निर्माण में 24 साल लगे थे। इसका निर्माण ब्रिटिश युग के जाने माने वास्तुविद ए सी रोवन की देखरेख में किया गया था।