राजधानी में कोविड से संबंधित मौतों के बढऩे और स्वास्थ्य सुविधाओंं की भारी कमी के कारण दिल्ली सरकार ने रविवार को मौजूदा लॉकडाउन एक सप्ताह तक बढ़ाने की घोषणा की। 20 अप्रैल से शुरू होने वाली यह पाबंदी अब कम से कम 3 मई को सवेरे पांच बजे तक जारी रहेगी। हालांकि लॉकडाउन में इस बार कुछ अतिरिक्तछूट दी गई हैं। कूरियर सेवा, स्वनियोक्ता श्रेणी के इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, वाटर प्यूरीफायर मरम्मत करने वाले, छात्रों के लिए शैक्षिक किताबों की दुकानों और बिजली के पंखों की दुकानों को लॉकडाउन के दौरान खोलने की छूट दी गई है। अलबत्ता इसके लिए ई-पास बनवाना होगा। केंद्र से आवंटन बढऩे के बावजूद दिल्ली में ऑक्सीजन का संकट अब भी बना हुआ है, क्योंकि पूरी आवंटित ऑक्सीजन दिल्ली नहीं पहुंच पा रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा ‘कोरोनोवायरस के हालात बदतर हो गए थे, यही वजह है कि हमने पिछले सप्ताह छह दिन का लॉकडाउन शुरू किया था। इसे कल खत्म होना है। लेकिन संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। इसे देखते हुए हर कोई इस बात से सहमत है कि इसका और प्रसार रोकने के लिए हमें प्रतिबंधों में विस्तार करने की आवश्यकता है।’
लॉकडाउन लगाए जाने के बाद से जहां एक ओर दर्ज किए गए मामलों की संख्या में मामूली कमी आई है, वहीं दूसरी ओर मरने वालों की संख्या में उछाल आई है। राजधानी में शनिवार को कोविड-19 के 24,103 नए मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 20 अप्रैल को यह संख्या 28,395 थी। 24 अप्रैल को मौतों की दैनिक संख्या बढ़कर 357 हो गई। 24 अप्रैल को यह संख्या 277 थी। हाल ही के आंकड़ों से पता चलता है कि पॉजिटिव मामलों की दर दो सप्ताह पहले के 25 प्रतिशत से बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई है। ऑक्सीजन और अस्पताल के बिस्तरों की अत्यधिक कमी ने दिल्ली की स्थिति और खराब कर दी है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से हम देख रहे हैं कि दिल्ली में ऑक्सीजन की काफी ज्यादा समस्या हो रही है। दिल्ली की इस वक्त जरूरत 700 टन की है और हमें केंद्र सरकार से 480 टन ऑक्सीजन आवंटित हुई है। केंद्र सरकार ने कल 10 टन ऑक्सीजन आवंटित की है और अब दिल्ली को 490 टन ऑक्सीजन आवंटित हुई है, लेकिन केंद्र सरकार से आवंटित की गई पूरी ऑक्सीजन अभी दिल्ली में नहीं आ रही है। इस वजह से भी ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है। कल 330 से 335 टन ऑक्सीजन ही दिल्ली पहुंची है। सरकार ने विनिर्माताओं, अस्पतालों और उपयोगकर्ताओं को अब हर दो-दो घंटे बाद ऑक्सीजन की अपनी स्थिति बताने के निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि इस वक्त ऑक्सीजन इतनी कीमती है और इतनी कम है, इसलिए इसका प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। सरकार ने इसके लिए एक पोर्टल बनाया है, जिसमें विनिर्माताओं से लेकर, अस्पताल और उपयोग करने वाले तक हर एक को दो-दो घंटे के अंदर अपनी ऑक्सीजन की स्थिति बतानी पड़ेगी। विनिर्माओं को बताना पड़ेगा कि पिछले दो घंटे के अंदर उनके यहां से कितने ट्रक निकले। इसी तरह आपूर्तिकर्ता को बताना पड़ेगा कि उसके कितने ट्रक दिल्ली की तरफ जा रहे हैं। अस्पतालों को भी बताना पड़ेगा कि पिछले दो घंटे में ऑक्सीजन कितनी इस्तेमाल हो गई और कितनी बच गई है, ताकि दिल्ली सरकार को पता रहे कि कहां पर ऑक्सीजन की कमी आने वाली है।
अलबत्ता लॉकडाउन में इस विस्तार से खुदरा विक्रेताओं पर भारी दुष्प्रभाव पडऩे की आशंका है। रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई) के मुख्य कार्याधिकारी कुमार राजगोपालन के अनुसार गैर-जरूरी वस्तुओं की डिलिवरी पर पूरी पाबंदी से नाश हो रहा है। उन्होंने कहा कि खुदरा विक्रेताओं के लिए अब इससे वजूद बचाना भी नामुमकिन हो रहा है, क्योंकि हम अपनी निर्धारित लागत भी नहीं निकाल सकते हैं। आरएआई के अनुसार देश भर के महानगरों में विभिन्न पाबंदियों और लॉकडाउन के कारण खुदरा उद्योग के कुल कारोबार को 50 प्रतिशत नुकसान हो रहा है।
अनुमानों से पता चलता है कि एक सप्ताह के लिए सभी खुदरा केंद्रों के बंद होने से दिल्ली के खुदरा कारोबार को 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। खान मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव मेहरा ने कहा, जैसा कि अब लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है, इसलिए हमें एक बार फिर पिछले साल वाला गिरावट का चक्र नजर आ रहा है। पिछले साल की तरह ही खुदारा विक्रेता अब किराये के बकाया भुगतान और अपने कर्मचारियों के भुगतान में उलझने लगे हैं। मध्य दिल्ली के बाजार में सभी दुकानें बंद होने से पिछले कुछ दिनों में यह इलाका पूरा कारोबार खो चुका है। हालांकि दिल्ली के व्यापारी लॉकडाउन के पक्ष में हैं, लेकिन खुदरा विके्रताओं का तर्क है कि डिलिवरी सेवा को अनुमति दी जानी चाहिए थी, ताकि वे अपनी लागत का कुछ निकाल सकते। जैसा कि सरकार ने फिलहाल राजधानी में ई-कॉमर्स के माध्यम से केवल जरूरी वस्तुओं की डिलिवरी को ही अनुमति दी है, आरएआई ने मांग की है कि गैर-जरूरी वस्तुओं और ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं को भी छूट वाली इस सूची में शामिल किया जाना चाहिए। मेहरा ने कहा कि अगर व्यापारी स्वेच्छा से अपने केंद्रों को बंद रख रहे हैं, तो इसे हम पर नहीं थोपा जाना चाहिए।
राजगोपालन ने कहा कि मौजूदा नुकसान से उबरने के लिए खुदरा विक्रेताओं को सरकार से आर्थिक सहयोग की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हमें किराए या कर छूट के रूप में कुछ सहायता की आवश्यकता होगी।
वैसे, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स जैसे संगठनों ने लॉकडाउन का विस्तार करने के सरकार के इस कदम की सराहना की है। उनका विश्वास है कि इससे संक्रमण की शृंखला तोडऩे में मदद मिलेगी।