केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा तीन हवाई अड्डों के निजीकरण को हरी झंडी देने के एक दिन बाद केरल सरकार ने इस मसले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने का निर्णय किया है। केरल सरकार का कहना है कि तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे के लिए सबसे अधिक बोली के बराबर बोली लगाने के उसके प्रस्ताव को केंद्र से अनुमति नहीं मिली और सरकार के लोगों ने इसका विरोध किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा एकतरफा निर्णय लिया गया है, ऐसे में केरल सरकार के लिए केंद्र के इस निर्णय को क्रियान्वित करने में सहयोग देना मुश्किल होगा। उन्होंने पत्र में कहा, ‘मैं आपसे (प्रधानमंत्री से) इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करता हंू ताकि निर्णय पर पुनर्विचार किया जा सके।’
केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने कहा कि केरल सरकार के दावे को खारिज करते हुए हवाईअड्डे का निजीकरण कर अदाणी समूह के हाथों में दे दिया गया जबकि राज्य सरकार ने अदाणी के बराबर बोली की पेशकश की थी। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री कार्यालय ने केरल के प्रस्ताव को स्वीकार करने का वादा किया था लेकिन वादा तोड़ दिया गया। केरल की जनता इस सांठगांठ को स्वीकार नहीं करेगी।’
केरल में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता पिनराई विजयन की नेतृत्व वाली वाम मोर्चा की सरकार है और विभिन्न मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ टकराव होता रहा है। इसमें वस्तु एवं सेवा कर का मसला भी शामिल है।
मोदी सरकार बैंक, विमानन और हवाईअड्डा समेत विभिन्न क्षेत्रों में सरकार की भूमिका को कम कर रही है, वहीं केरल सरकार कारोबार में राज्य सरकार का दखल बढ़ाने में लगी है। कोच्चि हवाईअड्डे में भी केरल सरकार ने 33 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की है, बाकी हिस्सा संयुक्त अरब अमीरात के निवेशकों के पास है।
केंद्र सरकार ने जब 2018 में हवाईअड्डों के बोली आमंत्रित की थी तब केरल सरकार ने भी बोली लगाई थी लेकिन बोली जीतने में नाकाम रही थी। बाद में उसने केंद्र से कहा था कि वह सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी (अदाणी समूह) के बराबर पेशकश कर सकती है। हालांकि केंद्र सरकार ने बुधवार को अदाणी समूह को तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डा सौंपने को मंजूरी दे दी। मुंबई के एक वकील ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने निविदा प्रक्रिया की शर्तों के अनुसार सही निर्णय किया है। यह खुली बोली थी, और केरल सरकार के पास सबसे ऊंची बोली लगाने का अवसर था। कानून को केवल एक बोलीदाता के लिए नहीं बदला जा सकता है।’
पत्र में विजयन ने कहा है कि हवाईअड्डे पर फैसला राज्य सरकार की ओर से ‘बार बार किए गए अनुरोध की उपेक्षा करके’ लिया गया है, जिसमें राज्य सरकार ने इसका प्रबंधन विशेष उद्देश्य इकाई (एसपीवी) को दिए जाने की बात कही है और इसमें राज्य सरकार की बहुलांश हिस्सेदारी होती।
राज्य सरकार ने कहा है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 2003 में आश्वस्त किया था कि जब निजी कारोबारी पर विचार किया जाएगा, केंद्र सरकार हवाईअड्डे को विकसित करने में राज्य सरकार के अंशदान पर विचार करेगी।
इसके पहले केरल सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल बनाने के लिए एएआई को 23.57 एकड़ जमीन मुफ्त हस्तांतरित किया था। विजयन ने लिखा है कि यह इस शर्त पर था कि जमीन का मूल्य एसपीवी में केरल सरकार की हिस्सेदारी के रूप में रहेगा, जिसका गठन होगा।
