कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान जो स्वास्थ्य त्रासदी दिखी, उससे सतर्क मध्य प्रदेश सरकार ने संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी युद्ध स्तर पर शुरू कर दी है। प्रदेश सरकार न केवल टीकाकरण पर भरपूर जोर दे रही है बल्कि स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में भी व्यापक सुधार किए जा रहे हैं ताकि जरूरत पडऩे पर अस्पतालों में बिस्तरों, ऑक्सीजन, जरूरी चिकित्सा सुविधाओं और दवाओं की कमी न हो।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई बार कह चुके हैं कि प्रदेश को तीसरी लहर से बचाने के लिए शासन पूरी तरह गंभीर है। कोविड संक्रमण के प्रति सतर्कता के कारण ही सरकारी कार्यालय हफ्ते में केवल पांच दिन काम कर रहे हैं। पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर भी प्रदेश सरकार की नजर है।
टीकाकरण में तेजी
विशेषज्ञों के हिसाब से कोरोना से बचाव में सबसे अहम भूमिका टीकाकरण की रहेगी क्योंकि देश भर से आए आंकड़े बता रहे हैं कि टीके की एक या दो खुराक लगवा चुके लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ रहा है। इसीलिए मध्य प्रदेश सरकार भी टीकाकरण पर पूरा जोर दे रही है। 6 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 73 फीसदी आबादी को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है। 17 प्रतिशत आबादी को दोनों खुराक मिल चुकी हैं।
प्रदेश सरकार का दावा है कि इंदौर शहर में 28 लाख से अधिक लोगों को टीके देकर 100 प्रतिशत नागरिकों को टीके की कम से कम एक खुराक लगाने का लक्ष्य हासिल किया जा चुका है। भोपाल में यह लक्ष्य 15 सितंबर तक हासिल होने की उम्मद है। भोपाल के जिलाधिकारी अविनाश लवानिया के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों तक रोज कम से कम 20,000 लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इंदौर में 122 मोबाइल वाहनों से लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं मगर भोपाल में केवल 8 मोबाइल वाहन इस काम में लगे हैं। इसमें तेजी लाने के लिए प्रदेश सरकार 17 सितंबर को टीकाकरण का प्रदेशव्यापी महाअभियान चलाने जा रही है।
राज्य टीकाकरण अधिकारी संतोष शुक्ला कहते हैं, ‘संभावित तीसरी लहर को देखते हुए हम पूरा ध्यान टीकाकरण पर केंद्रित कर रहे हैं। आम जनता को भी अधिक से अधिक टीके लगवाकर टीकाकरण अभियान को सफल बनाना चाहिए। जिन लोगों ने टीके की एक भी खुराक नहीं लगवाई है उन्हें आगे आना चाहिए।’
टीके के अलावा दूसरे पहलुओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि दूसरी लहर के बाद प्रदेश में ऑक्सीजन, अस्पताल के बेड, वेंटिलेटर, बच्चों के लिए बेड और वेंटिलेटर तथा अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारियों की तादाद में इजाफा किया गया है। त्रिपाठी कहते हैं, ‘प्रदेश में चिकित्सा सुविधाएं स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच बंटी हुई हैं। दोनों ही तीसरी लहर से निपटने के लिए तालमेल के साथ सुविधाओं में इजाफा कर रहे हैं।’
ऑक्सीजन संयंत्रों पर जोर
कोरोना की पिछली लहर के दौरान देश भर में ऑक्सीजन की कमी की खबरें थीं। मध्य प्रदेश भी अछूता नहीं था। यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने अलग-अलग शहरों में 190 प्रेशर स्विंग एडसॉप्र्शन (पीएसए) आधारित ऑक्सीजन संयंत्र लगाने की घोषणा की थी। इनमें से 90 ऑक्सीजन संयंत्र उत्पादन शुरू कर चुके हैं। स्वास्थ्य आयुक्त आकाश त्रिपाठी कहते हैं कि 15 अक्टूबर तक सभी 190 पीएसए संयंत्रों में उत्पादन शुरू हो जाएगा।
इसके अलावा 72 पीएसए संयंत्र निजी अस्पतालों में लगाए गए हैं। इनके लिए सरकार ने विशेष सब्सिडी की घोषणा की थी। त्रिपाठी के मुताबिक सरकारी पीएसए संयंत्रों की उत्पादन क्षमता 225 टन है जबकि निजी पीएसए संयंत्रों की क्षमता 72 टन है। इसके अलावा प्रदेश में 12,750 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपपलब्ध हैं जिनकी कुल क्षमता 105 टन ऑक्सीजन की है।
भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शामिल हमीदिया अस्पताल में फिलहाल आइनॉक्स एयर प्रॉडक्ट्स के तीन ऑक्सीजन संयंत्र काम कर रहे हैं। इनकी कुल क्षमता 22 किलोलीटर है। अस्पताल में लगे पीएसए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र से अगले कुछ दिनों में उत्पादन शुरू होने की आशा है। परिसर में ही स्थित कमला नेहरू गैस राहत अस्पताल में पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र शुरू हो चुका है। हमीदिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. लोकेंद्र दवे कहते हैं कि अस्पताल किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। दवे यह भी कहते हैं कि वायरस का प्रसार काफी हद तक आबादी, क्षेत्र और वातावरण आदि पर निर्भर करता है ऐसे में त्योहारों का मौसम करीब होने के कारण जनता को भी खास सावधानियां बरतनी चाहिए।
डॉ दवे कहते हैं, ‘अस्पताल में फिलहाल इतनी ऑक्सीजन उपलब्ध है कि 1200 बेड पर लगातार ऑक्सीजन दी जा सके। दो ऑक्सीजन संयंत्रों और एक पीएसए संयंत्र के अलावा 250 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी बतौर बैकअप रखे गए हैं। अस्पताल के बी ब्लॉक में निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है जिसके पूरा होने के बाद 1,000 बेड की अतिरिक्त क्षमता उपलब्ध होगी।’
हमीदिया अस्पताल के ऑक्सीजन व्यवस्थापक रुपचंद उइके के मुताबिक अस्पताल में फिलहाल 15 से 20 मरीज (सभी गैर कोविड) ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं और यहां रोजाना 1300 से 1500 टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है। आम दिनों में यह खपत 600 से 700 टन प्रति दिन रहती है। कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के स्तर का पता लगाने के लिए सीटी स्कैन केंद्रों के बाहर मरीजों की लंबी कतारें लगती थीं। मध्य प्रदेश के 52 जिला अस्पतालों में से फिलहाल केवल 14 में सीटी स्कैन मशीन हैं, जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
बेड बढ़ाने पर जोर
संभावित तीसरी लहर को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग शासकीय अस्पतालों में बेड बढ़ाने पर पूरा जोर दे रहा है। विभाग का कहना है कि सितंबर के अंत तक सरकारी अस्पतालों में बेड की तादाद को 19,000 से बढ़ाकर करीब 27,500 तक पहुंचाने का लक्ष्य है। प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास फिलहाल 2,983 आईसीयू बेड हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग के पास 784 आईसीयू बेड हैं। स्वास्थ्य विभाग इसके अलावा 650 आईसीयू बेड तैयार कर रहा है जबकि चिकित्सा शिक्षा विभाग का इरादा 575 नए बेड तैयार करने का है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि सितंबर के अंत तक प्रदेश में कुल आईसीयू बेड की तादाद 5,000 से अधिक कर दी जाए।
प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों में 1,280 वेंटिलेटर हैं, जिनमें से 23 अभी खराब हैं। प्रदेश के निजी और सरकारी अस्पतालों में कुल मिलाकर 2000 से कुछ अधिक वेंटिलेटर युक्त बेड हैं जिनमें से 1400 का इस्तेमाल जरूरत पडऩे पर बच्चों के इलाज के लिए किया जा सकता है। नवजात शिशुओं के लिए 150 वेंटिलेटर हैं।
मानव संसाधन
कोविड की दूसरी लहर के दौरान मानव संसाधन की कमी बड़ी समस्या बनकर उभरी थी। इस मोर्चे पर मुस्तैदी बरतते हुए जून में मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 1015 स्टाफ नर्सें और मेडिक्ल कॉलेज में 800 नर्स स्थायी रूप से नियुक्त की गई हैं। इसी दौरान 495 एमबीबीएस चिकित्सक भी नियुक्त किए गए। करीब 700 और एमबीबीएस चिकित्सकों का साक्षात्कार चल रहा है और अक्टूबर तक 600 की नियुक्ति की उम्मीद है।
अनिवार्य औषधियां
त्रिपाठी ने बताया कि दूसरी लहर में कोविड और उसके बाद की समस्याओं के इलाज की दवाएं कम पड़ गई थीं, इसलिए इस बार सरकार ने सभी जरूरी दवाओं का पर्याप्त स्टॉक एकत्रित किया है। प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की 1.30 लाख खुराक हैं जिन्हें जरूरत पडऩे पर इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाले एंफोटेरिसिन इंजेक्शन की 16,000 और प्रॉपिकोनजोल टैबलेट की 10,000 खुराक उपलब्ध हैं।
बच्चों को लेकर विशेष तैयारी
छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. रितेश उपाध्याय कहते हैं, ‘विशेषज्ञ तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका लगातार जता रहे हैं। इसलिए बच्चों को ध्यान में रखकर खास तैयारी की जा रही हैं। किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए शिशुओं के बेड बढ़ाए जा रहे हैं। साथ ही संकट वाली स्थिति बनने से रोकने के लिए विभाग लगातार सामुदायिक स्तर पर जागरूकता फैलाने के प्रयास कर रहा है।’
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास शिशु वार्ड में क्रमश: 379 और 644 बेड हैं। दोनों विभाग क्रमश: 964 और 260 बेड का इजाफा कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश में बच्चों के बेडों की तादाद 2,200 से अधिक हो जाएगी। शिशुओं की गहन चिकित्सा इकाई में कुल 526 बेड हैं। सरकार इतने ही और बेडों की व्यवस्था कर रही है, जिसके बाद गहन चिकित्सा इकाई में बच्चों के बेड 1,000 का आंकड़ा पार कर जाएंगे।
प्रदेश के बड़े निजी अस्पताल भी कोविड की संभावित तीसरी लहर से निपटने की जोरदार तैयारियों में लगे हुए हैं। इंदौर में सीएचएल अपोलो अस्पताल के सहायक अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र परिहार कहते हैं, ‘हमने कोविड की संभावित तीसरी लहर से निपटने की हर संभव तैयारी कर ली है। दूसरी लहर में सबसे बड़ी समस्या ऑक्सीजन की कमी की आई थी। इसलिए दूसरी लहर के बाद हमने 120 सिलिंडर प्रतिदिन क्षमता वाला ऑक्सीजन कंसंट्रेटर स्थापित किया है। अस्पताल में आईसीयू बेड 15 से बढ़ाकर 30 कर दिए गए हैं।’
कोविड संक्रमितों की तादाद में अचानक इजाफे को संभालने के लिए अस्पताल ने अपनी दूसरी फैसिलिटी में 70 बेड स्थापित किए हैं। इनमें से 15 आईसीयू बेड तथा शेष ऑक्सीजन बेड हैं।राजधानी भोपाल के बड़े निजी अस्पतालों में से एक नोबल अस्पताल के कार्यकारी निदेशक डॉ. सर्वेश मिश्रा कहते हैं, ‘हमने एक ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित किया है, जो हमारी जरूरत पूरी करने के साथ ही कई अन्य छोटे अस्पतालों के लिए सिलिंडर रीफिल करने का काम करेगा। ऑक्सीजन प्लांट तथा अस्पताल के लिए दो-दो अतिरिक्त पावर बैकअप का इंतजाम है।’ तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए अस्पताल ने पीडियाट्रिक वेंटिलेटर तथा एनआईवी मशीनें मंगाने के ठेके जारी किए हैं।