कानपुर स्थित उत्तर प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की सदस्यता हासिल करने के लिए सेबी की मंजूरी मिल सकती है।
माना जा रहा है कि एम दामोदरन की जगह चंद्र शेखर भावे द्वारा सेबी अध्यक्ष का पद संभालने के बाद सदस्यता के मुद्दे पर सेबी अपने रुख में बदलाव ला सकता है।
इससे पहले दामोदरन ने एनएसई के साथ गठजोड़ के लिए मद्रास स्टॉक एक्सचेंज के आवेदन को खारिज कर दिया था। लेकिन भावे के आने के बाद इस फैसले पर फिर से विचार किया और अब मंजूरी दी जा चुकी है। इस फैसले के तहत मद्रास स्टॉक एक्सचेंज को एनएसई को 3 करोड़ रुपये देने होंगे और उसके ब्रोकर एनएसई के प्लेटफार्म पर कारोबार कर सकते हैं।
यूपीएसई ने भी दो साल पहले इसी तरह का आवेदन किया था लेकिन सेबी ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। इसके बाद यह माना गया कि सेबी अनुमति देने का इच्छुक नहीं है।यूपीएसई के प्रशासक के डी गुप्ता ने बताया कि मद्रास स्टॉक एक्सचेंज को अनुमति मिलने के बाद उम्मीद है कि आगे भी ऐसी मंजूरियां दी जाएंगी। ट्रेडिंग के वैकल्पिक कारोबार के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, लुधियाना और जयपुर स्टॉक एक्सचेंज के साथ आने के लिए एक बैठक के दौरान चर्चा हुई है।
दिल्ली शेयर बाजार सिडबी आईआईबीआई और डीएसई को मिलाकर एक अन्य टे्रडिंग प्लेटफार्म बनाने पर भी विचार कर रहा है। लेकिन अभी कोई भी अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। क्षेत्रीय शेयर बाजारों में हिस्सेदारी हासिल करने की नास्दक की इच्छा के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि नास्दक का भारत में एक प्रतिनिधि है लेकिन यह निर्णय करने के लिए अधिकृत नहीं है। वह केवल बातचीत कर सकता है।
इसलिए कोई भी क्षेत्रीय शेयर बाजार नास्दक के साथ गठजोड़ नहीं कर सकता है।गुप्ता ने कहा कि एक ट्रेडिंग प्लेटफार्म तैयार करना आसान नहीं है। बात सिर्फ इतनी सी नहीं है कि कुछ शेयर साथ आएं और मिल जाएं। तीसरा प्लेटफार्म तभी तैयार होगा जबकि इसे विशेष तौर से तैयार किया जाए। यदि कहा जाए कि 20 करोड़ रुपये या इससे कम चुकता पूंजी वाले शेयरों को तीसरे प्लेटफार्म पर सूचीबद्ध किया जाएगा।
ऐसा होने पर बड़ी संख्या में खरीदार मिलेंगे। इसके बिना कोई नहीं आएगा और कोई वैकल्पिक प्लेटफार्म नहीं तैयार होगा। उल्लेखनीय है कि क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज में न के बारबर कारोबार होता है।