सदर बाजार या दिल्ली के पटाखा बाजार तक पहुंचना मशक्कत का काम होता है। धनतेरस पर भीड़ ज्यादा ही उमड़ रही है, क्योंकि लोग अंतिम क्षणों में दीवाली की खरीदारी करते हुए संतुष्ट होना चाहते हैं, जिसमें चमकदार झालर और स्टिकर वाली रंगोली से लेकर मोम के दीये तथा गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों तक सब कुछ शामिल रहता है। अलबत्ता दीवाली का प्रमुख आकर्षण पटाखे अब आम दिखने वाला नजारा नहीं है। पिछले कुछ दिनों से खराब स्तर पर चल रही शहर की हवा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 15 सितंबर को प्रतिबंध की घोषणा की थी, जिसे दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 1 जनवरी, 2022 तक बढ़ा दिया था। ग्रीन पटाखों की बिक्री पर भी प्रतिबंध है।
एक व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हालांकि व्यापारियों और ग्राहकों को उत्सव की गतिविधियों में सुस्त धारणा का दुख है, वहीं दूसरी ओर त्योहार मनाने की कुछ अनुभूति बनाए रखने के लिए बाजार में पर्यावरण के अनुकूल छोटे पटाखे उपलब्ध हैं।
सड़क किनारे ऐसे छोटे कारोबारियों की भरमार है, जो पॉप पॉप बेच रहे हैं। ये छोटी गेंदनुमा ऐसे पटाखे होते हैं, जो जमीन पर पटकने पर हल्की-सी आवाज के साथ थोड़ा-सा धुआं पैदा करते हैं। इनके छह डिब्बे 50 रुपये और 50 डिब्बे 300 रुपये में बेचे जा रहे हैं। रील और माचिस की तीलियों के साथ फिट की जा सकने वाली खिलौना बंदूक प्रति इकाई 25 रुपये में बेची जा रही है। ऐसा लगता है कि बच्चों के लिए यही एकमात्र उपलब्ध ‘पटाखे’ हैं।
बाजार में पटाखे बेचने का स्थायी लाइसेंस रखने वाले रवींद्र नाथ साहनी ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध की वजह से मैंने शुरू में ही पटाखे नहीं खरीदे थे। जो थोड़ा बहुत स्टॉक मेरे पास था, शुक्र है कि प्रतिबंध लागू होने से पहले ही वह बिक गया। अब साहनी अपनी दुकान पर होजरी का सामान और अंडरगारमेंट बेचते हैं, लेकिन उन्हें बाजार में उमड़ती भीड़ के बावजूद बिक्री जोर नहीं पकड़ पाने का अफसोस है।
हालांकि तेलीवाड़ा में दबी आवाज और आंखों के इशारों से किए जाने वाले लेनदेन में छिपा हुआ स्टॉक आ जाता है। 10 अनार का पैकेट 120 रुपये में, 50 फुलझड़ी का पैकेट 150 रुपये में और यहां तक कि बिजली वाले बम भी ऐसे हरित पटाखे हैं, जो सब के लिए उपलब्ध हैं। हालांकि स्थानीय स्तर पर तैनात पुलिस अधिकारी औचक निरीक्षण करते रहते हैं, लेकिन कुछ जगहों पर पटाखों की बिक्री धड़ल्ले सेजारी है। अनार और बिजली बम से भरा थैला ले जा रहे कॉलेज में पढऩे वाले कुछ युवाओं के एक समूह ने नाम जाहिर न करते हुए कहा कि उन्होंने किला फतह कर लिया है। उन्होंने कहा ‘पटाखों के बिना दीवाली कैसी? केवल इसी त्योहार पर प्रतिबंध लगाया जाता है, जबकि साल भर अलग-अलग मौकों पर पटाखे फोड़े जाते हैं। शादियों और दशहरे पर भी। इस समय इन पर प्रतिबंध लगाने से किसी को कैसे मदद मिलेगी?’
एक खबर के अनुसार दिल्ली पुलिस ने इस महीने 26 लोगों को गिरफ्तार किया है और 4,000 किलोग्राम पटाखे जब्त किए हैं। फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेड्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश कुमार यादव ने कहा ‘पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की भावना अच्छी थी, लेकिन इस कदम का समय गलत था। कारोबारी जनवरी से मार्च के महीनों के बीच पटाखों के लिए ऑर्डर देना शुरू कर देते हैं और अंतिम क्षण में प्रतिबंध इन व्यापारियों के लिए मुसीबत का सबब बन जाता है।