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Israel-Iran conflict: ईरान संकट से बढ़ी दिक्कत; मुश्किल में नौवहन उद्योग, कंटेनर किराये में इजाफा

Israel-Iran conflict: युद्ध के जोखिम से माल ढुलाई लागत व समुद्री बीमा प्रीमियम बढ़ने के आसार

Last Updated- April 16, 2024 | 10:44 PM IST
ईरान संकट से बढ़ी दिक्कत, कंटेनर किराये में इजाफा, Problems increased due to Iran crisis, increase in container fares

Israel-Iran conflict: देश का नौवहन उद्योग साल की शुरुआत में लाल सागर संकट के कारण लागत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के झटके से अभी मुश्किल से उबरा है मगर उसके लिए नई परेशानी खड़ी हो रही है। पिछले हफ्ते ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ने से पश्चिम एशिया में युद्ध का खतरा मंडराने लगा है। ऐसा हुआ तो समुद्र के रास्ते ढुलाई का भाड़ा और बीमा प्रीमियम बढ़ सकता है।

वैश्विक कंटेनर कारोबार के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कंटेनर एक्सचेंज के सह-संस्थापक एवं सीईओ क्रिश्चियन रोलॉफ्स ने कहा, ‘फौरी नतीजा कुछ भी हो, हमें लगता है कि शिपिंग के बाजार में अनिश्चितता बढ़ेगी। दोनोंके बीच टकराव तब हुआ है, जब बाब-अल-मंडाब जलडमरूमध्य और लाल सागर में नवंबर के अंत से ही तनाव बढ़ रहा है। अब सबकी नजरें होरमुज जलडमरूमध्य पर टिक गई हैं क्योंकि वह दुबई और खास तौर पर उस क्षेत्र के प्रमुख ट्रांसशिपमेंट केंद्र जेबल अली के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है।’

भारत से माल भेजने वालों का कहना है कि कुछ श्रेणियों में भाड़ा पहले ही 20 फीसदी बढ़ चुका है और अभी इसमें इजाफा होने की संभावना है। ऐसा हुआ तो महंगाई भी जोर पकड़ सकती है।

फेडरेशन ऑफ फ्रेट फॉरवर्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन दुष्यंत मुलानी ने कहा, ‘इस समय ढुलाई का पूरा उद्योग ही बदहवास है। पश्चिम एशियाई क्षेत्र काफी संवेदनशील बना हुआ है। कुछ समय से तनाव कम है मगर किसी को नहीं पता कि आगे क्या होगा। यह देखकर बीमा भी महंगा हो गया है। माल भाड़े में कुल मिलाकर 5 से 20 फीसदी का इजाफा हुआ है, जो अभी और बढ़ सकता है।’

मुलानी ने कहा कि पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने का पहला असर छोटे निर्यातकों को झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘शीर्ष भारतीय निर्यातकों के पास कई माध्यमों और रास्तों से बात करने का साधन है मगर छोटे निर्यातकों को भारी खर्च झेलना पड़ता है।’

ड्रूरीज वर्ल्ड कंटेनर इंडेक्स के मुताबिक लाल सागर संकट के कारण जनवरी में कंटेनर की कीमत 4,000 डॉलर प्रति 40 फुट कंटेनर तक पहुंच गई थी। मगर 11 अप्रैल तक यह घटकर 2,800 डॉलर प्रति कंटेनर रह गई।

रोलॉफ्स ने कहा, ‘होरमुज जलडमरूमध्य की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि यह सामरिक रूप से भी अहम है और यहां से बहुत समुद्री परिवहन गुजरता है। इसका असर दुबई में जेबल अली जैसे प्रमुख ट्रांसशिपमेंट केंद्रों पर भी पड़ सकता है। इससे क्षेत्रीय व्यापार एवं माल ढुलाई पर बहुत खराब असर पड़ेगा।’

विशेषज्ञों ने कहा कि पश्चिम एशिया में समुद्री मार्ग के जरिये माल ढुलाई के लिए जहाजों का रास्ता बदला जा सकता है। मगर वैश्विक शिपिंग नेटवर्क में जेबल अली जैसे बंदरगाह की अहमियत देखते हुए इसका खतरा नहीं है।

वैश्विक स्तर पर बेहद महत्त्वपूर्ण बिंदु बना होरमुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। इस प्रकार वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा के लिए उसका महत्त्व काफी बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर उस क्षेत्र में किसी भी तरह का व्यवधान पैदा होता है तो वैश्विक तेल बाजार पर उसका तत्काल प्रभाव पड़ सकता है।

First Published - April 16, 2024 | 10:44 PM IST

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