facebookmetapixel
सरकार ने नोटिफाई किए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम, कंपनियों को मिली 18 महीने की डेडलाइनबिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA 200 के पार, महागठबंधन की करारी हारबिहार की करारी हार से राजद-कांग्रेस के समक्ष अस्तित्व का संकट, मोदी बोले- पार्टी अब टूट की ओरबिहार में NDA की प्रचंड जीत से बैकफुट पर विपक्ष, चुनाव आयोग पर उठाए सवालNDA की जीत में पासवान, मांझी गठबंधन ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी: 10 बिंदुओं में बिहार चुनाव नतीजों के निष्कर्षबिहार में बंपर जीत के बाद बोले PM मोदी: पश्चिम बंगाल से भी ‘जंगलराज’ को उखाड़ फेंकेंगेबिहार में नीतीश–मोदी फैक्टर की धमक: भाजपा की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा की राह में अब नहीं कोई बाधाबिहार चुनाव 2025: जदयू और भाजपा ने बढ़ाई वोट हिस्सेदारी, AIMIM को झटकाNDA के वादे और वित्तीय सीमाएं: ‘विकसित बिहार’ का सपना कितना संभव?सेबी 17 दिसंबर की बैठक में करेगा हितों के टकराव और खुलासा नियमों की सिफारिशों पर विचार

बंगाल, यूपी और असम में मार्च में 8 फीसदी से अधिक रही मुद्रास्फीति

Last Updated- December 11, 2022 | 7:45 PM IST

तीन राज्यों पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और असम में मार्च महीने में 8 फीसदी से अधिक खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति दर्ज की गई जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 6.95 फीसदी था।
पश्चिम बंगाल में तो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2021-22 के अंतिम महीने में 8.85 फीसदी के साथ 9 फीसदी के करीब पहुंच गई थी।
राज्य के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली आबादी को कीमत वृद्घि आंच ज्यादा झेलनी पड़ी क्योंकि वहां पर मुद्रास्फीति की दर मार्च में 10.43 फीसदी के साथ दो अंक को पार कर गई। यह उससे पिछले महीने दर्ज की गई 8.60 फीसदी की मुद्रास्फीति से करीब दो प्रतिशत अंक अधिक है।       
दूसरी तरफ राज्य के शहरी इलाकों में मुद्रास्फीति फरवरी के 7.23 फीसदी से कम होकर मार्च में 7.10 फीसदी हो गई।
अन्य किसी भी राज्य में मार्च में ग्रामीण मुद्रास्फीति दो अंक में नहीं रही वहीं उत्तर प्रदेश और तेलंगाना के गांवों में कीमत वृद्घि की दर 9 फीसदी से ऊपर रही। इन राज्यों में ग्रामीण मुद्रास्फीति क्रमश: 9.54 फीसदी और 9.40 फीसदी रही। यह इन दो राज्यों में उससे पिछले महीने ग्रामीण इलाकों में रहे 7.97 फीसदी और 7.47 फीसदी से बहुत अधिक है।  
पश्चिम बंगाल के शहरी इलाकों में मार्च में बिहार और महाराष्ट्र के मुकाबले मुद्रास्फीति की दर कम रही। महाराष्ट्र के शहरों में मुद्रास्फीति की दर 7.25 फीसदी और बिहार में 7.12 फीसदी दर्ज की गई जबकि उससे पिछले महीने यह क्रमश: 6.81 फीसदी और 5.86 फीसदी दर्ज की गई थी।         
केवल जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के संयुक्त केंद्रशासित प्रदेश में जून से मुद्रास्फीति की दर कम से कम 6.50 फीसदी दर्ज की गई जिसके बाद से चालू वित्त वर्ष के लिए राज्यवार आंकड़े उपलब्ध हैं।
चालू वित्त वर्ष में जनवरी से सीपीआई मुद्रास्फीति की चाल बदल गई और ग्रामीण इलाकों में यह ऊपर चढऩे लगी। उदाहरण के लिए मार्च में मुद्रास्फीति 7.66 फीसदी थी जो शहरी इलाकों में दर्ज की गई 6.12 फीसदी से अधिक है। फरवरी में ग्रामीण इलाकों में मुद्रास्फीति 6.38 फीसदी रही जो शहरों में दर्ज की गई 5.75 फीसदी से अधिक है और जनवरी में ग्रामीण इलाकों में मुद्रास्फीति 6.12 फीसदी रही जो शहरों में दर्ज की गई 5.91 फीसदी से अधिक है।
वित्त वर्ष 2022 के अंतिम तीन महीनें में संयुक्त मुद्रास्फीति 6 फीसदी से अधिक रहने की शायद यह भी एक वजह रही।

First Published - April 20, 2022 | 12:50 AM IST

संबंधित पोस्ट