बिहार में बाढ़ का पानी कम होने लगा है और अब वहां विभिन्न प्रकार की बीमारियों के फैलने की आशंका तीव्र हो चली है।
इसी आशंका के मद्देनजर दिल्ली नगर निगम ने चिकित्सीय सुविधा से लैस 100 लोगों के एक दल को बिहार रवाना करने का फैसला किया है। इस दल में 30 डॉक्टर शामिल है। लगभग दस दिनों तक ये लोग बिहार के बाढ़ पीड़ित इलाकों में अपनी सेवा देंगे।
बिहार के विभिन्न जिलों में 30 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित है और जैसे-जैसे जलस्तर घटेगा, लोगों में बीमारी बढ़ती जाएगी। नगर निगम स्वास्थ्य समिति के चेयरमैन डॉ. वीके मोगा कहते हैं, ‘अब बिहार में आंत्रशोथ, पीलिया, चिकनगुनिया, मलेरिया व त्वचा संबंधी बीमारियां फैलने की पूरी आशंका बन गयी है। कुछ जगहों पर तो ऐसे मामले सामने भी आने लगे हैं।’
उन्होंने बताया कि समय रहते इन बीमारियों पर काबू नहीं पाया गया तो यह महामारी का रूप ले सकती है। दूसरी ओर बिहार से मिली खबरों के मुताबिक वहां फिलहाल मात्र 100 डॉक्टरों को बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में तैनात किया गया है।
चिकित्सकों के संगठन यूथ फॉर इक्वैलिटी के मुख्य संयोजक रविकांत सिंह ने पटना से फोन पर बताया, ‘महामारी के प्रकोप का अंदाजा सरकार शायद लगा नहीं सकी है, इसलिए उसके पास बिल्कुल भी तैयारी नहीं है।’ इस संगठन ने भारतीय रेलवे के साथ मिलकर ‘डॉक्टर्स फॉर यू’ के बैनर तले सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया और कटिहार में शिविर लगाए हैं।
दिल्ली की मेयर आरती मेहरा भी मानती है कि बाढ़ के बाद होने वाली बीमारी के इलाज के लिए बिहार में काफी अधिक संख्या में डॉक्टरों की जरूरत है। उन्होंने बताया कि बिहार से चिकित्सा सेवा से जुड़े 500 लोगों की मांग की गई थी।
लेकिन फिलहाल 100 लोगों को ही भेजा जा रहा है। शुक्रवार तक यह दल बिहार के लिए रवाना हो जाएगा। गौरतलब है कि बाढ़ के बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती इलाकों को दिमागी बुखार, मलेरिया और आंत्रशोध जैसी बीमारियों से तकरीबन 500 लोगों की मौत हो चुकी है।