हिमाचल प्रदेश के लोगों का रुझान इन दिनों खेती से हटकर सेवा क्षेत्र व अन्य उद्योगों की ओर देखा जा रहा है।
लंबे समय से कृषि ही इस प्रदेश के लोगों की जीविका का मुख्य साधन था लेकिन अब आहिस्ता-आहिस्ता इसमें बदलाव नजर आ रहा है। राज्य के कुल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान भी घटता जा रहा है। वर्ष 90-91 के दौरान राज्य के कुल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान जहां 26.5 फीसदी था वह घटकर चालू वित्त वर्ष के दौरान 17.80 फीसदी पर आ गया। कृषि की तरफ से लोगों का ध्यान हटने का मुख्य कारण जमीन की मिल्कियत में कमी होना बताया जा रहा है।
जमीन का मालिक नहीं रहने के बाद अधिकतर लोगों ने खेती करना छोड़ अपना व्यवसाय शुरू कर दिया है या फिर किसी सेवा क्षेत्र में काम करने लगे हैं। जमीन की मिल्कियत में कमी आने से ही यहां प्रति हेक्टेयर उपज में भी कमी आई है। और सरकार के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है।
कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि बहुत किसानों ने खेती को छोड़कर बिना मौसम की सब्जी को उगाना शुरू कर दिया है। इस प्रकार की सब्जी की खेती से राज्य सरकार को सालाना 600 करोड़ रुपये का फायदा भी हो रहा है। स्वाभाविक रूप से यहां के किसान ऐसी खेती को पसंद करने लगे है।
फसलों की पैदावार में कमी के बाद कृषि विभाग ने इस प्रकार के प्रयोग किए जिससे कृषि उत्पादों की मात्रा व गुणवत्ता बढ़ाने में काफी मदद मिली है। इससे राज्य सरकार को आय होने के साथ-साथ यहां के किसानों को भी इस प्रकार की सब्जी की खेती से अच्छी कमाई हो रही है। बेमौसम की सब्जी के उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।
वर्ष 2000-2001 में इस प्रकार की सब्जी का कुल उत्पादन 5.8 लाख टन था जो गत वर्ष 9.91 लाख टन के स्तर पर चला गया। इन सब्जियों से मिलने वाले कुल राजस्व में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2000-01 में जहां इन सब्जियों के उत्पादन से कुल 300 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था वही चालू वित्त वर्ष में यह 600 करोड़ रुपये हो गया।
इस प्रकार की फायदेमंद खेती के कारण यहां के किसानों का रुख अब पारंपरिक खेती के बजाय नकदी फसलों की ओर देखा जा रहा है। इसके आलावा यहां की सरकार सेब की खेती, फूलों की खेती व अन्य नकदी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है।
हिमाचल उद्योग
हिमाचल प्रदेश को मिलने वाले विशेष पैकेज के अनुदान ने इस पहाड़ी राज्यों के उद्योग के विकास में उत्प्रेरक का काम किया है। इस विशेष पैकेज के बाद बड़ी-बड़ी कंपनियां इस राज्य में जमीन की तलाश में नजर आ रही हैं। इन कंपनियों में गोदरेज, हिन्दुस्तान लीवर, डॉ.मोर्पेन, बजाज, सिप्ला व रेनबैक्सी शामिल हैं। गत 31 जनवरी, 2008 तक हिमाचल प्रदेश के उद्योग क्षेत्र में 3373.81 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
राज्य के कुल घरेलू उत्पाद में उद्योग का योगदान बढ़कर 15 फीसदी तक पहुंच गया है। यह योगदान इस बात को साफ तौर पर जाहिर करता है कि कैसे उद्योग इस पहाड़ी राज्य के विकास में अपना योगदान दे रहा है। बड़ी बरोटीवाला, नालागढ़ जैसे इलाके यहां के औद्योगीकरण के मुख्य क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहे है। बीबीएन क्षेत्र में इस प्रांत का 70 फीसदी उद्योग स्थित है। जबकि अन्य 30 फीसदी उद्योग विभिन्न इलाकों में फैला है। इनमें परवाणु, पांवटा साहिब जैसी जगह शामिल हैं।
गत वर्ष 130 नए उद्योगों ने बीबीएन क्षेत्र में अपनी इकाइयों को खोलने की दिलचस्पी दिखाई थी। इनमें सुकाम व वर्धमान जैसे बड़े खिलाड़ी भी शामिल थे। औद्योगीकरण के लिए मिलने वाले विशेष पैकेज के पांच साल बीत जाने के बावजूद बड्डी इलाके उद्यमी खुश नजर नहीं आ रहे हैं।उनका मानना है कि जिन समस्याओं को उन्हें यहां सामना करना पड़ रहा है वह उद्योगों के विकास के लिए ठीक नहीं है।
वे कहते हैं कि इस इलाके में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. हालांकि इस बारे में यहां की सरकार से उनकी कई बार बातचीत हो चुकी है। उनके मुताबिक इस इलाके को चंडीगढ़ से जोड़ने वाली सड़क का काफी बुरा हाल है और इस कारण से यहां के उद्यमी काफी चिंतित है।
इस मामले में सूबे के मुख्यमंत्री पीके धूमल ने पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से भी बात की है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि पंजाब के इलाके में वर्ष 2009 के जून महीने तक इस सड़क का काम पूरा कर दिया जाएगा। यहां के उद्यमियों को इस बात की उम्मीद है कि इस सड़क को बनाने का काम अगले साल तक पूरा कर लिया जाएगा जिससे चंडीगढ़ व बद्दी के बीच की दूरी में 30 किलोमीटर की कमी आ जाएगी।
उद्यमियों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि बड्डी और चंडीगढ़ के बीच अब तक रेलवे लाइन को बिछाने के लिए अबतक हरी झंडी क्यों नहीं दी गई। इस राज्य में आय का मुख्य स्त्रोत पर्यटन है। और सरकार भी इस ओर विशेष ध्यान दे रही है।सरकार ने अपने प्रांत में पर्यटन उद्योग को और आकर्षक बनाने के लिए 300 करोड़ रुपये की योजना बनाई है। राज्य में पर्यटकों की संख्या में भी लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
वर्ष 2007 में पर्यटकों की कुल संख्या में 88.21 लाख की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इनमें से 3.39 लाख विदेशी पर्यटक थे। इसके अलावा सरकार सभी प्रकार के यात्रियों को ठहरने की सुविधा मुहैया कराने की भी कोशिश कर रही है। यात्रियों की सुविधा के लिए सरकार मुख्य हाईवे पर मोटल बनाने पर विचार कर रही है। साथ ही हेली टैक्सी सर्विस की भी शुरुआत करने की योजना है।