कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की संसदीय सीट रायबरेली को खुश होने की एक और वजह मिलने वाली है।
रेलवे बोर्ड ने रायबरेली में नई कोच फैक्टरी के साझेदार का चयन करने के लिए वैश्विक निविदा जारी की है और आरएफक्यू आमंत्रित किए हैं। सोनिया गांधी ने अब से करीब 14 महीने पहले 13 फरवरी 2007 को इस रेल कोच फैक्टरी की आधार शिला रखी थी।
फैक्टरी की स्थापना सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) के जरिए किया जाएगा।निजी कंपनियों से आमंत्रित किए गए आरएफक्यू के मुताबिक रायबरेली में स्थापित होने वाली रेल कोच फैक्टरी यात्री डिब्बों का विनिर्माण और भारतीय रेल को उनकी आपूर्ति करेगी। इच्छुक कंपनियां 6 जून तक आरएफक्यू खरीद सकती हैं।
आधारशिला रखने के बाद फैक्टरी का काम बहुत धीमी गति से आगे बढ़ा है। इसका कारण उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती मुलायम सिंह सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण में देरी करना था। इसके बाद अप्रैल 2007 में राज्य में विधानसभा चुनाव हुए जिसके कारण भी जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में देरी हुई। राज्य में मई 2007 में मायावती सरकार के सत्ता में आने के बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी आई।
जमीन अधिग्रहण को लेकर राज्य सरकार के साथ कुछ मतभेद थे हालांकि उन्हें दूर कर लिया गया है। इस कोच फैक्टरी की स्थापित क्षमता 1000 कोच प्रति वर्ष होगी। इस संयंत्र में डिब्बों को बनाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाएगा। फैक्टरी में बेहतरीन डिब्बों का विनिर्माण किया जाएगा और साजसज्जा तथा यात्रियों की सुविधा का खासतौर से ध्यान रखा जाएगा।
यह भारतीय रेलवे की तीसरी रेल कोच फैक्टरी है जबकि उत्तर प्रदेश की पहली। परियोजना की कुल लागत 2200 करोड़ रुपये है। इस परियोजना के लिए करीब 500 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है और करीब 3,000 लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा। रेल कोच फैक्टरी 138 हेक्टेयर जमीन पर फैली होगी जबकि 138 हेक्टेयर जमीन पर कॉलोनी का विकास किया जाएगा।