बीते कुछ वर्षो के दौरान शहरों में कुकुरमुत्तों की तरह उग आए मोबाइल टावरों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
शहरी विकास मंत्रालय की संसदीय समिति के अध्यक्ष मोहम्मद सलीम के मुताबिक शहर के व्यस्त इलाकों में बड़ी संख्या मंय लगाए जा चुके मोबाइल टावर के खिलाफ सरकार कार्रवाई कर सकती है।
उन्होंने कोलकाता में एक स्वयं सेवी संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ‘इन स्थानों में जल्द ही संभावित कदम उठाए जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि शोध से यह साबित हुआ है कि मोबाइल टावर से निकलने वाले विकिरण से तापमान बढ़ता है, आसपास रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है, थकान बढ़ती है और सर दर्द जैसी शिकायत सामने आती है।
अध्ययन यह भी बताते हैं कि विकिरण से कैंसर जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि केरल में ऐसे टावरों की स्थापना का विरोध शुरू हो गया है। विदेश में भी मोबाइल टावर का विरोध का काफी मुखर है। सलीम ने कहा कि भारत सरकार की योजना जवाहरलाल नेहरू शहरी पुनरोद्धार मिशन (जेनएयूआरएम) के तहत इस दिशा में कुछ पहल की गई है लेकिन इस योजना को अधिक प्रभावी बनाने की लिए कुछ संशोधनों की जरुरत है।
कोलकाता की परिवहन प्रणाली के बारे में उन्होंने कहा कि शहर में जल्द से सार्वजनिक त्वरित परिवहन प्रणाली की जरुरत है। यह प्रणाली वायु प्रदूषण रोकने में भी सहायक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वाहनों, घर और फैक्टरी में सीएनजी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
उन्होंने हालांकि माना कि सीनएजी की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है। बीजिंग में कुशल परिवहन इंजीनियरिंग (आईटीई) लागू है और भारत में भी इसे अपनाया जा सकता है। जल भराव की समस्या को नहर प्रणाली को दुरुस्त करके जल भराव की समस्या को दूर किया जा सकता है। कोलकाता में जल भराव भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है।