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रास्ते की तलाश में एक्सप्रेसवे

Last Updated- December 07, 2022 | 3:43 PM IST

उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा से बलिया तक 1,047 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे के नक्शे को अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार की मंजूरी का इंतजार है।


इस परियोजना की कुल लागत 30,000 करोड़ रुपये है। पिछले महीने उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) ने सरकार को संभावित रास्ते का नक्शा सौंपा था।

गंगा एक्सप्रेसवे मायावती सरकार की प्रमुख परियोजना है और इसका ठेका जेपी समूह को दिया गया है। इस माह के अंत तक नक्शे को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है, जिसके बाद जमीन अधिग्रहण का काम शुरू किया जाएगा।

समझौते के तहत यूपीईआईडीए जमीन का अधिग्रहण करेगा, हालांकि जमीन मालिकों और किसानों को वाजिब छतिपूर्ति दिलाने के लिए मोलभाव किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने नक्शे में कुछ फेरबदल करने का सुझाव दिया है और कंपनी इस पर काम कर रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि परियोजना तय समय के मुताबिक आगे बढ़ रही है।

उन्होंने कहा कि ऐसी परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए काफी सावधानी और पारदर्शिता की जरुरत है। इस समय परियोजना की राह में किसी तरह का प्रशासनिक या कानूनी अवरोध नहीं है। उन्होंने बताया कि किसानों को छतिपूर्ति और पुनर्वास से जुड़े हुए कुछ मसले हैं, जिन्हें अधिग्रहण से पहले सुलझा लिया जाएगा। इससे पहले सरकार ने प्रस्तावित एक्सप्रेसवे की राह में आने वाले 15 जिलों के 633 गांवों को अधिसूचित किया था।

इस एक्सप्रेसवे का निर्माण गंगा नदी के किनारे किया जाएगा। जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड को 24 जनवरी 2008 को परियोजना का ठेका दिया गया था। इसके लिए कंपनी को एक विशेष उद्देश्यीय कंपनी (एसपीवी) तैयार करनी थी और 60 दिन के भीतर रियायती करार करना था। 18 मार्च को जेपी गंगा इंफ्रास्ट्रक्चर कारपोरेशन लिमिटेड (जेपीजीआईजीएल) का गठन किया गया और 23 मार्च को यूपीईआईडीए और जेपी गु्रप कंपनी के बीच रियायती करार पर दस्तखत किए गए।

परियोजना का विकास डिजायन, बनाओ, वित्त पोषण करो और चलाओ (डीबीएफओ) मॉडल के आधार पर किया जा रहा है और इसे 2012 तक पूरा करने की योजना है। परियोजना पर 90 वर्षो तक जेपी समूह का अधिकार होगा और उसके बाद इसे राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा। इस परियोजना के लिए ढांचागत क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों ने बोली लगाई थी। परियोजना को चार हिस्सों में बांट गया था और प्रत्येक भाग के लिए अलग-अगल बोली आमंत्रित की गई थी। जेपी समूह ने परियोजना के चारो हिस्से के लिए बोली दाखिल की और सभी वह कामयाब रही।

First Published - August 7, 2008 | 9:21 PM IST

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