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करोड़ों रुपये का गाय भैंस घोटाला

Last Updated- December 07, 2022 | 9:40 PM IST

देश में किसानों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा तो कर दी है लेकिन यह राहत पैकेज किसानों के पेट की आग न बुझाकर नेताओं और उनके चेलों की जेब में समा गया।


यह बात सूचना अधिकार केद्वारा मांगी गई जानकारी के जरिए प्रकाश में आई है। सरकारी खजाने से किसानों के लिए दिए गये 4825 करोड़ रुपये में से किसानों को मिली सिर्फ दो फीसदी रकम, बाकी की रकम  बैंक, नेताओं और सरकारी बाबूओं की तिकड़ी डकार गई।

देश में सबसे ज्यादा विदर्भ के अन्नदातों ने गरीबी और तंगहाली से परेशान होकर मौत को गले लगाना बेहतर समझा। देश-विदेश में भूख से मरने की खबरों से शर्मसार होकर महाराष्ट्र और केन्द्र सरकार ने विदर्भ के किसानों को विशेष राहत पैकेज दिया।

विदर्भ में किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने दिसंबर 2005 में 1075 करोड़ रुपये का राहत देना की घोषणा की। इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जुलाई 2006 में अपने विदर्भ दौरे के दौरान इस क्षेत्र केअन्नदातों के विकास के लिए 3750 करोड़ रुपये देने की बात कही।

सरकारी खजाने से दिये गये पैसों के लिए योजना के तहत किसानों के बीच दुग्ध कारोबार को बढ़ावा दिया जाना था। इस पैकेज के मूल उद्देश्य किसानों को दुग्ध व्यसाय से जोड़ने के तहत 4 करोड़ 95 लाख 35 हजार रुपये जानवारों की खरीददारी में खर्च किये गये। इन पशुओं के लिए चारे और अन्य पोशक तत्वों में 63 लाख 64 हजार रुपये और गाय-भैसों पर 35 लाख 35 हजार रुपये खर्च कर दिये गये।

इसके अलावा, यवतमाल जिला दुध उत्पादक सहकारी संस्था के माध्यम से 53 लाख रुपये खर्च करने का बजट बनाया गया, जिसमें से 40.95 लाख रुपये खर्च भी कर दिये गये और 14.05 लाख रुपये खर्च किये जाने वाले है।

पहली नजर में देखने या कहे की एसी दफ्तरों में बैठ कर इस योजना को देखने पर किसानों का लाभ ही लाभ दिखाई दे रहा है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हैं क्योंकि सूचना अधिकार के तहत मिली लाभांवित किसानों की सूची बोगस है।

विदर्भ किसानों के लिए सबसे ज्यादा संघर्ष करने वाले किशोर तिवारी ने कहते है कि हमारे नेताओं को शर्म नहीं आती है कि वे भूखे किसानों के पेट की रोटी खुद खा रहे है। इस खुलासे के बाद महाराष्ट्र सरकार जांच करने की बात कह कर मामला टालने में लग गई है,क्योंकि महाराष्ट्र और केन्द्र की सत्ता में बैठी कांग्रेस और एनसीपी दोनों के नेता इसमें शामिल है।

किसानों के संघटन का नेत्रत्व कर रहे किशोर तिवारी ने इन नेताओं के ऊपर आपराधिक मुकदमा चलाएं जाने की मांग करते हुए कहते है कि आजाद भारत का यह सबसे शर्मसार कर देने वाला गाय-भैस घोटला है। उनके अनुसार सरकारी खजाने से किसानों के लिए राहत पैकेज के नाम से निकाली गई राशि में से सिर्फ दो फीसदी की रकम किसानों तक पहुंची है, बाकि की राशि बैंकों, नेताओं और सरकारी अधिकारियों के तिजोरियों में जमा हो गई है।

First Published - September 17, 2008 | 9:48 PM IST

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