कानपुर और आसपास के क्षेत्र में पिछले दो महीनों के दौरान दुपहिया वाहनों की बिक्री में 25 से 30 प्रतिशत तक की कमी आई है।
ऑटो कारोबारियों का मानना है कि ब्याज दरों के बढ़ने और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रिकवरी के नियमों को सख्त करने के कारण यह गिरावट आई है। शहर में निजी क्षेत्र को दो प्रमुख बैंकों ने तो दुपहिया वाहनों के लिए कर्ज देने में दिलचस्पी लेनी ही बंद कर दी है।
बजाज ऑटो के डीलर जी पी पाण्डेय ने बताया कि इससे उससे उनका कारोबार प्रभावित हुआ है और बिक्री तेजी से घटी है। यदि कर्ज उपलब्ध कराने के लिए वैकल्पिक उपाए नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में बिक्री और घट सकती है। शहर के बाईक लोन बाजार में 15 से 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले निजी क्षेत्र के बैंक ने तो अब कर्ज देना ही बंद कर दिया है।
हीरो होंडा के डीलर नितिन गुप्ता ने बताया कि कानपुर के बाजार में हीरो होंडा की हिस्सेदारी 45 से 50 प्रतिशत तक है और इसमें से 70 प्रतिशत बाईक बैंकों से कर्ज लेकर खरीदी जाती हैं। अब कर्ज के महंगा होने के कारण बिक्री घटी है। रिजर्व बैंक द्वारा रिकवरी एजेंट की नियुक्त के खिलाफ जारी दिशानिर्देशों के बाद बैंकों ने असुरक्षित कर्ज देने पर रोक लगा दी है।
बैंक अब कर्ज देने से पहले अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं। कुछ बैंक तो कर्ज देने से पहले उपभोक्ताओं से डिफाल्टर समझौते पर दस्तखत करने के लिए कह रहे हैं। समझौते के तहत कर्ज देने से पहले ही उपभोक्ता को डिफाल्टर घोषत कर दिया जाता है। बैंक अधिकारियों ने हालांकि ऐसे किसी व्यवहार से इनकार किया है। निजी क्षेत्र के एक प्रमुख बैंक के सहायक प्रबंधक पायल अग्रवाल ने बताया कि ‘हमें इस तरह की किसी बात की जानकारी नहीं है।’