अराजपत्रित कर्मचारियों के जबरदस्त दबाव के आगे झुकते हुए बिहार सरकार ने सोमवार को यह घोषणा की है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशें राज्य में सैद्धांतिक तौर पर 1 जनवरी 2006 से और वास्तविक लाभ का आवंटन अप्रैल 2007 से लागू किया जाएगा।
राज्य सरकार के इस निर्णय से राजकोष पर बकाया भुगतान मद में 525 करोड़ रुपये, नियमित वेतन भुगतान मद में 424 करोड़ रुपये और उन्नत वेतनमान मद में 110 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे सुशील कुमार मोदी ने 5000-8000 और 5500-9000 वाले वेतनमान में 4200 रुपये बतौर ग्रेड पे का भुगतान करने की बात कही है।
मालूम हो कि राज्य सरकार ने 23 दिसंबर को जब छठे वेतन आयोग के क्रियान्वयन की घोषणा की थी, तो इन दोनों वेतनमानों के लिए 3600 रुपये बतौर ग्रेड पे देने की बात कही थी। जाहिर सी बात है कि अब यह बढ़कर केंद्रीय वेतनमान के मुताबिक 4200 रुपये हो गया है।
उन्होंने बताया कि जब पांचवे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की जा रही थी, तो उस समय के वित्त मंत्री ने उसे सैद्धांतिक तौर पर 1 जनवरी 1996 से और वास्तविक लाभ अप्रैल 1997 से लागू किया था। इसी तरह की प्रणाली मौजूदा सरकार भी उठा रही है।
उन्होंने कहा कि मोदी ने कर्मचारियों से अपील की है कि वे अपनी मांग को लेकर हड़ताल पर न जाएं, क्योंकि सरकार उनकी मांगों को लेकर काफी संवेदनशील है।
सरकार ने कर्मचारियों से अपील की है कि राज्य की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक है और पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ ने तो राज्य के अर्थ तंत्र की कमर तोड़ दी है, इसलिए वे इन बातों का ध्यान रखकर ही कोई कदम उठाएं।
मालूम हो कि राज्य के कर्मचारियों ने यह धमकी दी थी कि अगर सरकार उनकी मांग पर गौर नहीं करती है, तो वे 6 जनवरी से टॉर्चलाइट विरोध प्रदर्शन और 7 जनवरी से संपूर्ण हड़ताल पर चले जाएंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार अब कुछ मदों में कर वृद्धि कर सकती है।