लार्सन ऐंड टुब्रो ने उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 60 मेगावॉट की जलविद्युत परियोजना को लेकर स्थानीय विरोध को शांत करने में सफल रही है।
कंपनी ने इस परियोजना को लेकर आखिरकार स्थानीय लोगों के साथ एक समझौता किया है। कंपनी इस परियोजना के जरिए जलविद्युत क्षेत्र में कदम रखने जा रही है।
दरअसल, स्थानीय लोगों के विरोध के कारण ही इस परियोजना का काम पिछले कई महीनों से रुका पड़ा था। इस जलविद्युत परियोजना को मंदाकिनी नदी पर बनाया जा रहा है। इस परियोजना का विरोध ऐसे स्थानीय लोग कर रहे थे जो कि बांध बनाए जाने से प्रभावित हैं।
इन लोगों की मांग थी कि भूमिगत सुरंग बनाए जाने के कारण उनके घरों को जो नुकसान पहुंचा है उसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाए। इस मामले में रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट दिलीप जावलकर के हस्तक्षेप के बाद कंपनी के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते के मुताबिक अगर स्थानीय लोगों के जीवन और उनकी संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचता है तो उसकी भरपाई एल ऐंड टी करेगी। जावलकर ने कहा, ‘जीवन और संपत्ति को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचने की स्थिति में कंपनी उसकी भरपाई के लिए तैयार है।’
बुनियादी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एल ऐंड टी को यह पहली जलविद्युत परियोजना सौंपी गई है। कंपनी ने इस परियोजना के जरिए 500 करोड़ रुपये का निवेश करने का प्रस्ताव रखा है। स्थानीय नेताओं ने भी इस बात की पुष्टि की है कि एल ऐंड टी ने इस परियोजना के लिए स्थानीय लोगों के साथ एक समझौता किया है और इसके लिए जिला प्रशासन को उन लोगों की पहचान का जिम्मा सौंपा गया है जो बांध बनने से प्रभावित हुए हैं।
सिंगोली-भटवारी परियोजना को निजी-सार्वजनिक साझेदारी के तहत बनाया जा रहा है। इस ऊर्जा संयंत्र के विकास, इसे वित्त मुहैया कराने, निर्माण और परिचालन का जिम्मा 45 सालों तक कंपनी के पास ही होगा। इस परियोजना के तहत 80 मीटर लंबा बैराज, 12 किमी लंबी सुरंग, सतही पावरहाउस, सब स्टेशन और 132 केवी का ट्रांसमिशन लाइन बनाया जाना है।
सुलझा विवाद
सिंगोली परियोजना पर एल ऐंड टी की अड़चन हुई दूर
काम शुरू करने के लिए स्थानीय लोगों से कंपनी ने किया समझौता
पुनर्वास को लेकर स्थानीय लोग कर रहे थे मुआवजे की मांग
रुद्रप्रयाग जिला मजिस्ट्रेट के हस्तक्षेप से विवाद हुआ दूर
