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UPI: स्वागतयोग्य पहल

Last Updated- February 22, 2023 | 10:46 PM IST
Maldives President Muizzu takes “necessary steps” to launch UPI payment service मालदीव के राष्ट्रपति Muizzu ने UPI पेमेंट सर्विस शुरू करने के लिए उठाए ‘‘आवश्यक कदम’’

नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा विकसित रियलटाइम भुगतान प्रणाली यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने देश में डिजिटल भुगतान व्यवस्था को क्रांतिकारी ढंग से बदला है।

मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श​क्तिकांत दास और मॉनिटरी अथॉरिटी ऑफ सिंगापुर के प्रबंध निदेशक रवि मेनन के बीच मोबाइल फोन के माध्यम से सीमापार लेनदेन के प्रदर्शन से पता चलता है कि इंडिया स्टैक प्लेटफॉर्म पर विकसित यह स्वदेशी तकनीक कितनी परिपक्व हो चुकी है।

हालांकि भारत और सिंगापुर के बीच का यह लिंक भविष्य की दिशा में एक अहम कदम है लेकिन अभी भी यह अपेक्षाकृत सीमित कवायद है और इसे एक तरह का परीक्षण ही माना जाना चाहिए।

इसकी मदद से उपयोगकर्ता यूपीआई आईडी, मोबाइल फोन या वर्चुअल पेमेंट एड्रेस के माध्यम से सिंगापुर पे नाउ के जरिये रोजाना 60,000 रुपये तक की रा​शि भेज सकेंगे। यह नकदी हस्तांतरण भारतीय स्टेट बैंक, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और आईसीआईसीआई बैंक जैसे चुनिंदा बैंकों तक सीमित रहेगा।

ये बैंक अपने मोबाइल ऐ​प्लिकेशन या अन्य बैंकिंग सुविधाओं के माध्यम से इसे अंजाम दे सकेंगे। थर्ड पार्टी सेवा प्रदाता मसलन फोनपे, गूगल पे अथवा पेटीएम इस अंतरराष्ट्रीय लिंक के दायरे से बाहर हैं। बहरहाल, इस प्रणाली को इन कंपनियों तक पहुंचने में बहुत ​अ​धिक समय नहीं लगेगा क्योंकि संख्या और रा​शि दोनों ही तरह से 90 फीसदी लेनदेन इन तीनों प्लेटफॉर्म के माध्यम से होता है।

इसमें दो राय नहीं कि यूपीआई को भारत में इस कदर विश्वसनीयता और कारोबार हासिल हुआ है कि यह सरकार के वित्तीय समावेशन और डिजिटल अर्थव्यवस्था हासिल करने के घो​षित लक्ष्य को हासिल करने का एक अहम जरिया बना है।

अप्रैल 2016 में इसे प्रायोगिक तौर पर शुरू किए जाने के पांच वर्ष बाद 2021 में यूपीआई वीजा, अलीपे, वीचैट पे और मास्टरकार्ड के बाद दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा पेमेंट नेटवर्क बन गया। वर्ष 2022 में इसके जरिये होने वाले लेनदेन कुल लेनदेन का 91 फीसदी हो गए और 126 लाख करोड़ रुपये के साथ यह कुल लेनदेन का 75 फीसदी रहा।

एनपीसीआई के लेनदेन संबंधी आंकड़ों के मुताबिक यूपीआई के माध्यम से होने वाले लेनदेन में आधे से ज्यादा 250 रुपये से कम के हैं। वि​भिन्न आय वर्ग और भौगोलिक इलाकों में यह समान रूप से प्रचलित है और इसकी स्वीकार्यता इस स्तर पर पहुंच गई है कि यह कम लागत पर अ​धिक वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहन देगा।

हकीकत में कंबो​डिया, मले​शिया, थाईलैंड, फिलिपींस, वियतनाम, भूटान और सिंगापुर पहले ही क्यूआर कोड के माध्यम से यूपीआई भुगतान को स्वीकार कर रहे हैं। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक आंतरिक धन प्रेषण में 5.7 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ सिंगापुर अपेक्षाकृत काफी निचले स्तर पर है।

ऐसे अंतरराष्ट्रीय भुगतान का वास्तविक परीक्षण तब होगा जब यह खाड़ी देशों या अमेरिका और कनाडा तक विस्तारित हो जो आने वाले धन प्रेषण के क्षेत्र में दबदबा रखते हैं। ऐसा होने पर यूपीआई सही अर्थों में समावेशी होगा क्योंकि तब वे हजारों कर्मचारियों को अपने दायरे में ले लेगा जिन्हें अपेक्षाकृत धीमी ऑनलाइन मुद्रा स्थानांतरण सेवाओं का भरोसा करना होता है और जिनके सेवा प्रदाता भारी भरकम शुल्क वसूल करते हैं।

आगे वास्तविक चिंता धोखाधड़ी की है, हालांकि बैंकर कहते हैं कि यूपीआई की सहज और सुर​क्षित व्यवस्था ने इस आशंका को काफी हद तक दूर किया है। आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि यूपीआई प्रणाली के साथ धोखाधड़ी बढ़ी है, हालांकि ऐसा आमतौर पर उपयोगकर्ता की असावधानी की वजह से होता है, न कि किसी हैक की वजह से। बहरहाल इन कमियों को दूर करना होगा तभी यूपीआई वास्तव में वै​श्विक और स्थानीय बन सकेगा।

First Published - February 22, 2023 | 10:46 PM IST

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