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यूक्रेन में निर्णायक मोड़ लाने में कामयाब अनूठे ‘हथियार’

Last Updated- December 11, 2022 | 6:48 PM IST

यूक्रेन के युद्ध में सबसे निर्णायक पहलू ऐसी अत्याधुनिक शस्त्र प्रणाली रही है जिसमें 21वीं सदी की तकनीक का संयोजन प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के प्रदर्शन के साथ संभव हुआ। तुर्की की रक्षा क्षेत्र की निजी कंपनी बायकर के टीबी2 ड्रोन का जिक्र अब बेहद उत्साह के साथ  यूक्रेनी गाने में होने लगा है और इसमें इसे बायरक्तर कहा जा रहा है।
यह मानव रहित हवाई लड़ाकू वाहन (यूएवी) है। इसका वजन महज 700 किलोग्राम है जो पूरी तरह से भरा हुआ है। इसकी अधिकतम रफ्तार 220 किलोमीटर प्रति घंटा है और यह 7,500 मीटर तक की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इसमें केवल 70-80 लीटर पेट्रोल और 150 किलोग्राम तक के विस्फोटक हथियार की लदाई हो सकती है।
लेकिन धीमी गति वाले और अपेक्षाकृत हल्के हथियारों से लैस बायरक्तर ड्रोन ने बेहद प्रभावी रूप से रूस के आक्रमण को बाधित कर दिया है। इसने टैंकों, बख्तरबंद सैन्यकर्मियों को ले जाने वाली गाडिय़ों, सतह से हवा में निशाना साधने वाली (एसएएम) मिसाइल बैटरियों और यहां तक कि युद्धपोतों पर भी प्रहार किया। इसने रूस-नियंत्रित क्षेत्र में मौजूद तेल डिपो और गोला-बारूद पर गहराई से निशाना साधकर नष्ट कर दिया।
इसमें 21वीं सदी से जुड़े कुछ खास पहलू भी शामिल हैं। यूएवी खुद ही 40 से अधिक ऑनबोर्ड कंप्यूटरों का संचालन करता है और इसमें संचार, नौवहन और अग्निशमन की क्षमता भी है। यह एक ग्राउंड स्टेशन, एक पोर्टेबल नियंत्रण एवं संचार केंद्र से नियंत्रित होता है जिसका प्रबंधन लोग करते हैं। इसमें एक छोटा रडार भी होता है और इसे ट्रकों पर ले जाया जा सकता है।
यूएवी 24 घंटे तक ऊपर रह सकता है और यह ईंधन के छोटे टैंक के 4,000 किलोमीटर सीमा के दायरे में 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। (इसके सुचारु संचार को बनाए रखने के लिए मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल के 300 किलोमीटर के दायरे में रखने की जरूरत होती है। उपयोगकर्ताओं को बायकर से नियमित रूप से सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर अपडेट मिलता है।
इसके हथियार लेजर वाली मिसाइलें और रॉकेट हैं जो उड़ान के बीच में ही अपना रास्ता बदलकर काफी दूरी के बावजूद अत्यधिक सटीकता के साथ छोटे लक्ष्यों (जैसे कि आम आदमियों) को मार सकते हैं। यूएवी अपने आप में काफी सस्ता है। मोटे तौर पर इसकी लागत 10 लाख डॉलर प्रति यूएवी है। यूएसएएफ के रीपर से अगर इसकी तुलना की जाए जो एक बहुत बड़ा यूएवी है और इसकी लागत 2 करोड़ डॉलर है। हालांकि, बायकर नियंत्रण मंच यूएवी की तुलना में बहुत महंगा है। खबर है कि यूक्रेन प्रत्येक प्लेटफॉर्म और 6 यूएवी के सेट के लिए लगभग 7 करोड़ डॉलर का भुगतान करता है।
अब इसके आविष्कारक-डेवलपर की बात की जाए तो सेलुक बायरक्तर के पास पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय और एमआईटी की डिग्री है और उन्होंने जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी की है। उन्होंने राष्ट्रपति की बेटी सुमेये एर्दोआन से शादी की है जिसकी वजह से वह भी तुर्की की जटिल राजनीति में एक प्रमुख केंद्र में गिने जाते हैं। बायकर एक पारिवारिक कंपनी है जिसकी स्थापना बायरक्तर सीनियर ने की थी। इसके संचालन की जिम्मेदारी अब सेलुक और उसके भाइयों पर है।
मदर कैनन आईबीएम में एक प्रोग्रामर थीं और बायरक्तर का कहना है कि इसकी वजह से भी उनकी कुशलता बढ़ी। तुर्की ने संभावित प्रतिबंधों का सामना करने के लिए अपने सैन्य-औद्योगिक परिसर का स्वदेशीकरण कर दिया है। बायकर का दावा है कि टीबी2 ड्रोन की करीब 93 प्रतिशत सामग्री तुर्की से ही ली जाती है और कंपनी ने युद्ध क्षेत्र के अनुभव से सबक लेते हुए सॉफ्टवेयर और संचार को उन्नत करने के लिए बड़ा में निवेश किया है।
हालांकि इसके मुकाबले के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपाय पर भी काम हो रहा है क्योंकि यूएवी रेडियो तरंगों से बच निकलता है और जैमिंग या काउंटर जैमिंग अनिवार्य है। वर्ष 2015-16 में विद्रोह दबाने के लिए कुर्दों के खिलाफ रक्तरंजित अभियान का पूरा दारोमदार टीबी2 पर ही जाता है। इसका इस्तेमाल पहाड़ों में छिपे लोगों और छापामारों को लक्षित करने के लिए किया गया था और यह 2020 में आर्मेनिया के साथ युद्ध में अजरबैजान की निर्णायक जीत में भी महत्त्वपूर्ण कारक था।
अजरबैजान के नागरिकों द्वारा बनाए गए बेहद भयावह वीडियो मौजूद हैं और इस डॉक्यूमेंटरी में यह दिखाया गया कि कैसे आर्मेनिया के हथियारों को पूरी तरह खत्म कर दिया गया और पैदल सेना को भी बुरे तरीके से निशाना बनाया गया।
टीबी2 की रणनीति एंटी-एयरक्राफ्ट बैटरी को लक्षित करने के लिए समूह उड़ान संचालित करना है। अगर एक एसएएम एक ड्रोन को निशाना बनाता है तब बैटरी की स्थिति का पता चल जाता है और बाकी यूएवी बैटरी पर निशाना साधते हैं। लीबिया में भी इसने कम से कम नौ रूसी पैंटसर एए की बैटरी पर निशाना लगाया, हालांकि इस प्रक्रिया में 12 ड्रोन भी गंवाने पड़े।
सीरिया में आईएसआईएस के खिलाफ भी यूएवी ने प्रभावी तरीके से काम किया और इसका इस्तेमाल सीरिया के बशर अल-असद करते हैं जो रूस के प्रमुख सहयोगी हैं। लेकिन टीबी2 से रक्षा के लिए उड़ान भरने के बावजूद, रूस की वायु सेना अभी तक इस हथियार को नष्ट करने में सफल नहीं हुई है। हालांकि बोट के जरिये भी अत्याधुनिक टीबी3 ड्रोन छोड़े जा सकते हैं। बायकर का दावा है कि कई सरकारें इसके लिए दिलचस्पी दिखाती हैं।
यूक्रेन में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सबसे बड़ा बख्तरबंद युद्ध लड़ा गया था। वर्ष 1942-44 के रेड आर्मी के अनुभवों को देखते हुए रूस ने यह मान लिया होगा कि हथियारों पर जोर दिए जाने से सफलता थोड़ी आसान हो सकती है। लेकिन टीबी2 के जरिये धारणाओं में बदलाव आ रहा है और सैन्य सिद्धांतकार भी नए हथियारों पर गौर कर रहे हैं।

First Published - May 23, 2022 | 12:27 AM IST

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