बीपीओ सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए राहत की खबर है। इस सेक्टर के कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बीपीओ कंपनियों और नैसकॉम (नैशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज) ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
शुरुआत पुणे से हुई है। पुणे की 32 बीपीओ कंपनियों और नैसकॉम ने इस सेक्टर की कर्मचारियों की सुरक्षा के मद्देनजर ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ (आचार संहिता) तैयार किया है।
इसे जल्द ही पूरे देश में लागू किया जाएगा। कोड ऑफ कंडक्ट के तहत दफ्तर आने-जाने, ट्रांसपोर्ट वेंडरों के चुनाव और कंपनी के अहाते के भीतर कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए उपाय सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
पुणे शहर में बीपीओ कर्मचारियों की तादाद 95 हजार से भी ज्यादा है और इन्हें घर से कंपनी तक लाने और पहुंचाने के लिए तकरीबन 3 हजार कार और जीपों का इस्तेमाल किया जाता है।
पुणे में मौजूद प्रमुख बीपीओ कंपनियों विप्रो, जेनसर, डब्ल्यूएनएस, केपीआईटी आदि ने भी इस कोड ऑफ कंडक्ट को लागू करने पर सहमति जताई है।
नैसकॉम के उपाध्यक्ष और जेनसर टेक्नोलोजीज के प्रबंध निदेशक गणेश नटराजन कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों में बीपीओ कर्मचारियों पर हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।
ऐसी ज्यादातर घटनाएं दफ्तर से आने या लौटने के दौरान होती हैं और यह कोड ऑफ कंडक्ट इस बात को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला बीपीओ कर्मचारी को उचित सुरक्षा मुहैया नहीं कराने के मामले में नैसकॉम के अध्यक्ष सोम मित्तल पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। एचपी ग्लोबल सॉफ्ट नामक इस बीपीओ कंपनी की इस महिला कर्मचारी के साथ फर्म के ड्राइवर ने रेपकर उनकी हत्या कर दी थी।
सोम मित्तल उस वक्त कंपनी के प्रबंध निदेशक थे। इसके अलावा हाल में पुणे में बीपीओ कर्मचारियों के खिलाफ हमले की घटनाओं में हुई बढ़ोतरी ने भी इस सेक्टर की कंपनियों को सुरक्षा मसले पर सोचने पर मजबूर कर दिया।
ध्यान रहे कि 3 नवंबर को पुणे में बीपीओ कंपनी विप्रो की एक महिला कर्मचारी ज्योति कुमारी के साथ कंपनी के कैब ड्राइवरों ने रेप कर उनकी हत्या कर दी थी। इसके अलावा, इसी शहर में पिछले साल हथियारों से लैस गुंडों ने कुछ बीपीओ कर्मचारियों से लूटपाट की थी।
बेंगलुरु में भी कुछ बदमाशों द्वारा किसी बीपीओ स्टाफ पर तेजाब फेंकने की घटना हुई थी। हालांकि इन घटनाओं के बाद कुछ बीपीओ कंपनियों ने ऐहतियात के तौर पर गाड़ियों में ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाया था, जबकि कुछ अन्य कंपनियों ने महिला कर्मचारियों के लिए अपनी गाड़ियों में सिक्युरिटी गार्ड तैनात किए थे।
हालांकि ये सारे उपाय कुछ कंपनियों तक ही सीमित थे। इसके मद्देनजर नैसकॉम और बीपीओ कंपनियों ने मिलकर कर्मचारियों की सुरक्षा पर विचार-विमर्श के लिए कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी ने ही कोड ऑफ कंडक्ट को तैयार किया है।
इस कमिटी के एक सदस्य ने कोड ऑफ कंडक्ट के बारे में बताया कि इसके तहत वर्तमान ट्रांसपोर्ट सिस्टम, गाड़ियों की स्पीड और कैब ड्राइवरों के बर्ताव पर नजर रखी जाएगी। कोड के तहत इन कंपनियों को ट्रांसपोर्ट सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों के बारे में भी जांच करने की बात है।
जांच के तहत इस बात का पता लगाया जाएगा कि ये कंपनियां रजिस्टर्ड हैंया नहीं। साथ ही ट्रांसपोर्ट कंपनियों के ड्राइवरों और दूसरे कर्मचारियों का पिछला ट्रैक रेकॉर्ड भी परखा जाएगा। इस आचार संहिता में कर्मचारियों केलिए नियम कायदे बनाए गए।
इसमें में यह कहा गया है कि बीपीओ कंपनी के कर्मचारियों को कैब में सवार होने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उनके मोबाइल फोन पूरी तरह से चार्ज हैं या नहीं।
इसके साथ साथ कर्मचारियों को हेल्प लाइन नंबरों को स्पीड डायल पर रखने की बात कही गई है।
इस कोड ऑफ कंडक्ट के मुताबिक, कर्मचारियों को कैब ड्राइवरों के साथ बेहतर बर्ताव करना चाहिए। लेकिन उन्हें ड्राइवरों के साथ व्यक्तिगत मसलों पर चर्चा भी नहीं करनी चाहिए।