Skip to content
  रविवार 29 जनवरी 2023
Trending
January 28, 2023Adani Group का FPO की कीमत, तारीखों में बदलाव से इनकारJanuary 28, 2023तीन साल में दूसरी बार दिवालिया हुई ब्रिटेन की यह कंपनीJanuary 28, 2023Hindenburg Report: अदाणी ग्रुप के लिए खतरे की घंटी ! MSCI ने मांगा फीडबैकJanuary 28, 2023Pathaan Box Office Collection: तीन दिन में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कीJanuary 28, 2023NTPC Q3 results: लाभ पांच फीसदी बढ़कर 4,854 करोड़ रुपये पर पहुंचाJanuary 28, 2023Pakistan: IMF ने पाकिस्तान के बजट अनुमान में 2,000 अरब रुपये का उल्लंघन पाया
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  नियामकों में अफसरशाही का खत्म हो दबदबा
लेख

नियामकों में अफसरशाही का खत्म हो दबदबा

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —October 29, 2021 11:08 PM IST0
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

देश के नियामकीय ढांचे पर नजर डालें तो पता चलेगा कि कम से 16 संस्थान हैं जो अर्थव्यवस्था के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की निगरानी करते हैं। हो सकता है यह संपूर्ण सूची नहीं हो लेकिन यह इस बात के आकलन के लिए पर्याप्त है कि इन नियामकीय संस्थानों ने अपना प्रबंधन कैसे किया है और क्या सुधार के बाद के दौर में वे स्वतंत्र तरीके से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों का नियमन करने में सक्षम हैं।
ये नियामकीय संस्थान कई क्षेत्रों का नियमन करते हैं जिनमें वित्तीय मध्यवर्ती मसलन बैंक और बीमा कंपनियां, आवासों को वित्तीय सहायता देने वाले संस्थान तथा छोटे उद्योग, पूंजी बाजार, बिजली वितरण, दूरसंचार, प्रतिस्पर्धा नीति, पोर्ट टैरिफ, हवाई अड्डे, पेंशन फंड, वेयरहाउसिंग, खाद्य सुरक्षा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, विमानन और ऋणशोधन निस्तारण आदि शामिल हैं। इनमें से अधिकांश संस्थान संसद द्वारा मंजूर विभिन्न कानूनों के अधीन बने हैं और इसलिए वे स्वतंत्र निकायों की तरह काम करते हैं। परंतु उनमें से कुछ आज भी सरकार के विस्तार के रूप में सेवा दे रहे हैं। नागर विमानन नियामक यानी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ऐसा ही एक संस्थान है।
विभिन्न क्षेत्रों के लिए नियामकों के चयन की जरूरत उदारीकरण के चलते पैदा हुई। सरकार ने अपनी भूमिका नीति निर्माण करने तक सीमित करने का निर्णय लिया। उसने इन क्षेत्रों के लिए अलग-अलग नियामक बनाए और यह सुनिश्चित किया कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों इन नीतियों का पालन करें। इनका पालन नहीं करने पर नियामकों द्वारा जुर्माना लाए जाने की व्यवस्था थी क्योंकि उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने की इजाजत थी।
इस प्रकार सरकार कारोबारों के संचालन से और दूर हो गई। इसमें निजी और सरकारी दोनों तरह के उपक्रम शामिल थे। एक बार जब सरकार नीतियां बना लेती तो किसी निजी या सरकारी कंपनी ने नियमों का पालन किया या नहीं अथवा गलत व्यवहार करके उपभोक्ताओं के हितों को नुकसान तो नहीं पहुंचाया यह सब तक करने का काम स्वतंत्र नियामकों के हवाले था। इस मानक के मुताबिक देखा जाए तो कई क्षेत्रीय नियामकों ने अपना काम काफी अच्छी तरह किया, भले ही वे अपेक्षाओं पर खरे न उतरे हों।
परंतु एक सवाल जो बार-बार उठता है वह इन नियामकीय संस्थानों के नेतृत्व से संबंधित है। इनकी अध्यक्षता कौन करता है? इस सवाल का जवाब हमें यह याद दिलाता है कि इन संस्थाओं के नियामकों के चयन में कुछ तो गड़बड़ी है। करीब तीन चौथाई नियामकीय संस्थानों की अध्यक्षता सेवानिवृत्त सरकारी अफसरशाहों के पास होती है। जाहिर है भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस से आने वालों को प्राथमिकता मिलती है। नौ नियामक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं और तीन केंद्र सरकार की सहायक सेवाओं मसलन भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा, भारतीय रेल सेवा और भारतीय लागत लेखा सेवा से आते हैं। केवल चार नियामक ही पेशेवर हैं।
इससे आपको इन नियामकों की नियुक्ति और इनकी निगरानी की भूमिका के बारे में क्या पता चलता है? निश्चित रूप से किसी नियामकीय संस्था की अध्यक्षता किसी सेवानिवृत्त या सेवारत आईएएस अधिकारी को देने में कुछ भी गलत नहीं है। निश्चित रूप से कुछ पूर्व आईएएस नियामक ऐसे रहे हैं जिन्होंने बतौर नियामक काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन अगर तीन चौथाई नियामक सरकार के वरिष्ठ पदों पर कार्यरत अधिकारी होंगे तो दो तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती हैं।
पहली, अगर कोई व्यक्ति नियामक बनने से पहले सरकार में अहम पद पर रहा हो तो उसकी नियामकीय स्वतंत्रता जोखिम में पड़ सकती है। सरकार के साथ उसके लंबे कार्यकाल के कारण नीतिगत प्रवर्तन के मामले में उसके निर्णयों में पूर्वग्रह झलक सकता है। दूसरी ओर सरकार भी बतौर नियामक अपने पुराने अधिकारियों के काम को प्रभावित कर सकती है। नियामकीय ढांचे का एक उद्देश्य यह भी है कि एक बार नीति बनने के बाद नियमन को सरकारी प्रभाव से मुक्त रखा जाए। बहरहाल, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का नियामकीय संस्थाओं का प्रमुख बनना एक गठजोड़ को जन्म दे सकता है और इससे नियमन के उद्देश्य को क्षति पहुंच सकती है।
दूसरा, ज्यादा गंभीर समस्या यह है कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के नियामक की भूमिका निभाने से ऐसी छवि बन सकती है कि इन नियमित क्षेत्रों में इतनी क्षमता नहीं है कि नियामक बनने लायक सक्षम पेशेवर तैयार किए जा सकें। एक पेशेवर नियामक जिसके पास उद्योग जगत का प्रासंगिक अनुभव हो, वह नियमन के लिए वरदान होता है। हितों का टकराव हो सकता है लेकिन सरकार पेशेवर नियामकों पर करीबी नजर रख सकती है ताकि वे स्वतंत्र रूप से काम करें और किसी प्रभाव में न रहें। ऐसे में यह अहम है कि सरकार आईएएस अथवा वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की नियामकीय संस्थाओं में नियुक्ति के मामले में अपनी निर्भरता कम करे। सरकारी अधिकारियों पर निर्भरता नयी नहीं है। सुधार के शुरुआती दिनों के बाद जब कई नियामकीय संस्थाएं बनीं तो अक्सर नियामक निजी क्षेत्र से होते थे और तब इन संस्थाओं के नेतृत्व के लिए सरकारी संस्थाओं पर निर्भरता नहीं थी।
समस्या सन 1990 के दशक के अंत में शुरू हुई और बीते दो दशकों की सरकारें इस मामले में लगातार गलत रही हैं। खेद की बात है कि आईएएस तथा अन्य सेवाओं के अधिकारियों द्वारा नियामकीय संस्थाओं पर काबिज होने को अफसरशाही और सत्तारूढ़ दल के राजनेताओं दोनों का समर्थन मिला है। सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को नियामक बनाना इन दोनों के हित में रहा है।
अब जबकि सरकार ने सरकारी परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की प्रक्रिया शुरू की है तो नियामकीय संस्थाओं पर से इन अफसरशाहों की पकड़ समाप्त करने का भी वक्त है। ऐसे मुद्रीकरण और निजीकरण के कारण नियामकीय संस्थाओं की अहमियत और बढ़ जाएगी। ऐसे में अगर नियामक सेवानिवृत्त अफसरशाह हुआ और सरकार के साथ उसके करीबी रिश्ते हुए तो वह उपभोक्ताओं के हितों की कीमत पर नियमन को प्रभावित कर सकता है। इससे सरकार अप्रत्यक्ष तरीके से इन क्षेत्रों में हस्तक्षेप कर सकती है और उन कारोबारियों के हितों को पूरा कर सकती है जिनका सरकार के साथ गठजोड़ हो।
अपनी प्रतिस्पर्धा और कारोबारी सुगमता बढ़ाकर आर्थिक वृद्धि तेज करने का प्रयास कर रही अर्थव्यवस्था के लिए ये दोनों ही संभावनाएं बेहतर नहीं हैं। प्रतिस्पर्धा और कारोबारी सुगमता की बुनियाद है प्रभावी और स्वतंत्र नियमन। अब कोशिश यह होनी चाहिए कि पर्याप्त क्षमता विकसित की जाए ताकि विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवर नियामक बन सकें। परंतु उसके लिए सरकार को स्पष्ट संकेत देना होगा कि नियामकीय संस्थाओं में नेतृत्व वाले पद सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों के लिए आरक्षित नहीं रहेंगे।

अफसरशाहीदूरसंचारनियामकप्रतिस्पर्धा नीतिबीमाबैंकविमाननसरकारी अधिकारी
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

Related Posts

  • Related posts
  • More from author
आज का अखबार

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सवाल

January 27, 2023 10:14 PM IST0
आज का अखबार

उपभोक्ता धारणा में मजबूती जारी रहने की उम्मीद

January 27, 2023 10:01 PM IST0
आज का अखबार

राज्यों की बदौलत केंद्र को अवसर

January 27, 2023 9:38 PM IST0
आज का अखबार

संतुलित रुख जरूरी

January 25, 2023 10:12 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

नार्थ कोरिया को मानवीय सहायता उपलब्ध कराएगा साउथ कोरिया

January 27, 2023 7:46 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Covid 19 : साउथ कोरिया ने चीन से आने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध की अ‍वधि बढ़ाई

January 27, 2023 4:54 PM IST0
अंतरराष्ट्रीय

अमेरिकी इकॉनमी में सुस्ती जारी, पर पिछली तिमाही में ग्रोथ रेट बढ़ा

January 27, 2023 10:10 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

Nepal plane crash: सिंगापुर में होगी ब्लैक बॉक्स की जांच

January 27, 2023 9:57 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है भारत: बाइडन प्रशासन

January 27, 2023 9:18 AM IST0
अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान की करेंसी में डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट, गिरकर 255 रुपये प्रति डॉलर पर आया

January 26, 2023 8:16 PM IST0

Trending Topics


  • Stocks to Watch Today
  • FIH Hockey World Cup 2023
  • Gold Rate Today
  • Share Market Crash
  • Nepal plane crash
  • Adani Total Gas Limited
  • Air India
  • Pathaan Box Office Collection
  • Union Budget 2023

सबकी नजर


Adani Group का FPO की कीमत, तारीखों में बदलाव से इनकार

January 28, 2023 7:51 PM IST

तीन साल में दूसरी बार दिवालिया हुई ब्रिटेन की यह कंपनी

January 28, 2023 7:30 PM IST

Hindenburg Report: अदाणी ग्रुप के लिए खतरे की घंटी ! MSCI ने मांगा फीडबैक

January 28, 2023 7:12 PM IST

Pathaan Box Office Collection: तीन दिन में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की

January 28, 2023 6:19 PM IST

NTPC Q3 results: लाभ पांच फीसदी बढ़कर 4,854 करोड़ रुपये पर पहुंचा

January 28, 2023 5:43 PM IST

Latest News


  • Adani Group का FPO की कीमत, तारीखों में बदलाव से इनकार
    by भाषा
    January 28, 2023
  • तीन साल में दूसरी बार दिवालिया हुई ब्रिटेन की यह कंपनी
    by भाषा
    January 28, 2023
  • Hindenburg Report: अदाणी ग्रुप के लिए खतरे की घंटी ! MSCI ने मांगा फीडबैक
    by भाषा
    January 28, 2023
  • Pathaan Box Office Collection: तीन दिन में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की
    by भाषा
    January 28, 2023
  • NTPC Q3 results: लाभ पांच फीसदी बढ़कर 4,854 करोड़ रुपये पर पहुंचा
    by भाषा
    January 28, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
59330.90 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स59331
-8741.45%
निफ्टी59331
-8740%
सीएनएक्स 50014875
-2971.96%
रुपया-डॉलर81.49
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
Tata Motors445.556.34
Supreme Inds.2538.155.23
Kajaria Ceramics1097.304.51
Dr Reddy's Labs4318.302.71
Bajaj Holdings5898.902.67
Chola Financial590.852.17
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
Bajaj Holdings5905.002.83
Ashok Leyland149.352.05
Bayer Crop Sci.4497.401.43
Atul6997.700.06
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks to Watch TodayFIH Hockey World Cup 2023Gold Rate TodayShare Market CrashNepal plane crashAdani Total Gas LimitedAir IndiaPathaan Box Office CollectionUnion Budget 2023
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us