संसद में पिछले सप्प्ताह प्रस्तुत की गई आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि राजधानी ने उद्यमियों के लिए शीर्ष गंतव्य के रूप में बेंगलूरु को पछाड़ दिया है। इस बात ने दिल्ली को स्टार्टअप जगत के केंद्र में ला दिया है। हालांकि दिल्ली में नीति निर्माताओं ने कई यूनिकॉर्न के उपजने की उम्मीद में जश्न मनाना शुरू कर दिया है, लेकिन पड़ोस में हरियाणा के गुरुग्राम और उत्तर प्रदेश के नोएडा को इस जश्न की अगुआई करनी चाहिए, क्योंकि इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध स्टार्टअप का मुख्यालय इन्हीं दो स्थानों में है।
ऐसा पहली बार नहीं है कि बेंगलूरु, भारत की वास्तविक सिलिकन वैली, को सही या गलत वजहों से पीछे आना पड़ा हो। कुछ साल पहले बेंगलूरु को उस वक्त विपरीत हालात का सामना करना पड़ा था, जब स्टार्टअप के इसके प्रसिद्ध क्षेत्र कोरमंगला में पलायन जैसी स्थिति देखी गई थी। वर्ष 2007 में फ्लिपकार्ट की स्थापना यहीं हुई थी और कतारबद्ध वृक्षों वाले रास्तों, ट्रेंडी स्टोर तथा रूफटॉप बार के बीच यह क्षेत्र सैकड़ों छोटे-बड़े टेक स्टार्टअप का घर था। प्रतिभाओं के भंडार और निश्चित रूप से गुणवत्तापूर्ण रियल एस्टेट के अलावा, जब तक कि दरें शीर्ष स्तर तक नहीं पहुंची और बुनियादी ढांचा नहीं चरमराया, निवेशक यहां संक्रामक महानगरीय संस्कृति के लिए आकर्षित रहे। उपनगर के नजदीक एचएसआर लेआउट कोरमंगला का एक विकल्प बन गया है, लेकिन तब तक बेंगलूरु अपना वह शुरुआती आकर्षण खो चुका था, जो अपने दम पर शुरुआत करने के इच्छुक तकनीकी विशेषज्ञों के लिए था। जल्द ही पुणे से जयपुर तक स्टार्टअप की मेजबानी के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाले अन्य शहर आ गए।
आर्थिक समीक्षा के खुलासे के बाद आम आदमी पार्टी (आप) शहर की ईमानदार और सुलभ सरकार, रहने की बेहतर स्थिति तथा अच्छे बुनियादी ढांचे, जिसने इसे स्टार्टअप के लिए आकर्षक जगह बना दिया है, का जोरदार रूप से प्रचार कर रही है। दिल्ली सरकार नए जमाने के कारोबारों को बढ़ावा देने के लिए एक स्टार्टअप नीति भी तैयार करने की होड़ में जुटी हुई है। यह वही चीज है, जो आप को नहीं करना चाहिए- स्टार्टअप नीति लालफीताशाही और अफसरशाही प्रक्रियाओं का संकेत देगी, जिसका मतलब हो सकता है स्टार्टअप की भावना के लिए संभावित जोखिम। इसके बजाय राज्य सरकार और केंद्र को ऐसी परिस्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए जो उद्यमियों और इन्क्यूबेटरों के लिए उपयुक्त हो।
तेलंगाना का टी-हब नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने वाला ऐसा ही एक उदाहरण है। वर्ष 2015 में स्थापित यह केंद्र प्रौद्योगिकी, सलाहकारों, निवेशकों और सरकारी एजेंसियों तक पहुंच के जरिये राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर करीब 2,000 स्टार्टअप को पोषित करने में सक्षम रहा है। इस टी-हब के अलावा तेलंगाना में एक और ऐसा कारक है, जो टेक स्टार्टअप की सहायता करता है। कल्वकुंतला तारक रामा राव या केटीआर, जैसा कि उन्हें लोकप्रिय रूप से पुकारा जाता है, राज्य के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री के रूप में यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई मौका न छूटे। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात है – वह सुलभ रहते हैं। इस बात से मदद मिलती है कि केटीआर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के पुत्र हैं। उनका टेस्ला वाला ट्वीट, जो वायरल हो गया और जिसने एलन मस्क को आकर्षित करने के लिए अन्य राज्यों को प्रभावित किया, संक्षेप में केटीआर का परिचय देता है। टेस्ला के संस्थापक को उनके नाम से बुलाते हुए इन्होंने उन्हें तेलंगाना में काम स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने ट्वीट किया था कि उनका राज्य स्थिरता की पहल में एक चैंपियन है और भारत में शीर्ष स्तर का कारोबार गंतव्य है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उस स्टार्टअप नीति को थामकर रखते हुए प्रौद्योगिकी कंपनियों और स्टार्टअप को आकर्षित करने के लिए संभवत: केटीआर प्रारूप पर विचार कर सकते हैं। केजरीवाल के पास पहले से ही एक विस्तृत प्रतिभा भंडार, दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से इनक्यूबेटर का संभावित समर्थन और एक राजधानी से जुड़े अन्य सभी लाभों की सुविधा है। अलबत्ता यह एक अलग विषय हो सकता है कि समीक्षा में दिए गए आंकड़े शायद यह निष्कर्ष निकालने का बेहतरीन तरीका न हो कि दिल्ली स्टार्टअप राजधानी है या नहीं। सर्वेक्षण के अनुसार अप्रैल 2019 और दिसंबर 2021 के बीच बेंगलूरु में 4,514 के मुकाबले दिल्ली में 5,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप शामिल हुए। यह इन इकाइयों में स्टार्टअप या सीड फंडिंग की प्रकृति का संकेत नहीं देता है। इन आंकड़ों में वे स्टार्टअप शामिल नहीं हैं, जिनका अभी पंजीकरण नहीं हुआ है। इसके अलावा इस अवधि के दौरान लगभग दो वर्ष में महामारी की वजह से दूर रहकर काम चल रहा था। इस अवधि के दौरान दिल्ली बनाम बेंगलूरु के आंकड़े अशुद्ध होंगे, क्योंकि कोविड-19 ने शहरों और कार्यालयों को कार्यस्थल से अलग कर दिया था।
जहां तक आंकड़ों की बात है, तो स्टार्टअप जीनोम रिपोर्ट 2019 के अनुसार बेंगलूरु अपने स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के लिहाज से दुनिया के शीर्ष 30 शहरों में दो पायदान ऊपर चढ़कर 18वें स्थान पर पहुंच गया था। इस सूची में शामिल होने वाला यह भारत का एकमात्र शहर था, जो कोविड के आघात से कुछ महीने पहले ही सामने आया था। और सितंबर 2021 में उसी स्टार्टअप जीनोम रिपोर्ट ने मुंबई को उभर रही पारिस्थितिकी तंत्र वाली रैंकिंग में शीर्ष पर रखा है। दरअसल इस श्रेणी में उन शहरों का नाम आता है, जो आने वाले समय में वैश्विक प्रदर्शनकर्ता हो सकते हैं। इस रिपोर्ट में शीर्ष 30 वैश्विक प्रौद्योगिकी केंद्रों की श्रेणी में बेंगलूरु को 23वें स्थान पर रखा गया है, जबकि दिल्ली 36वें पायदान के साथ विशिष्ट वर्ग वाले इस समूह से चूक गई।
स्टार्टअप द्वारा समान दृष्टिकोण के साथ अपनी नियति और गंतव्य चुनने से बे एरिया की कहानी भारत में भी चल रही है। अब यह केंद्र और राज्यों दोनों सरकारों की बारी है कि वे इस खंड को लुभाने के लिए अपना विकल्प चुनें।