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कारोबारी मॉडल में बदलाव कर रहा SBI

Last Updated- January 11, 2023 | 10:29 PM IST
SBI Q4 Results

पिछले साल भारत के बैंकिंग क्षेत्र ने बड़े अंतर के साथ शेयर बाजार से बेहतर प्रदर्शन किया। इस अवधि में सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमश: 4.44 फीसदी और 4.33 प्रतिशत की तेजी आई, जबकि वर्ष 2022 में बीएसई बैंकेक्स और निफ्टी बैंक दोनों में कम से कम 21 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। निफ्टी पीएसयू बैंक सूचकांक 70.67 फीसदी चढ़ा।

सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंकों (पीएसबी) के शेयरों में कम से कम 100 फीसदी की तेजी आई । सरकारी बैंकों के शेयरों की जमात में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) आखिर कहां खड़ा है? इसमें सबसे कम महज 33.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। क्या देश के सबसे बड़े बैंक में कुछ गड़बड़ है? नहीं। ऐसा लगता है कि एसबीआई ने वृद्धि का रास्ता तय कर लिया है और बैंक इस दिशा में चुपचाप आगे बढ़ रहा है।

सितंबर 2015 के बाद पहली बार सितंबर 2022 में खत्म हुई तिमाही में बैंकिंग उद्योग ने 13,265 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया जो एक साल पहले की तिमाही से 74 प्रतिशत अधिक है। सितंबर तिमाही का मुनाफा वित्त वर्ष 2022 में बैंक के पूरे साल के मुनाफे का 65 फीसदी रहा जब एसबीआई ने तीन साल के अंतराल के बाद लाभांश वितरण करने का फैसला किया था। इसने 6,547 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज करने के बाद वित्त वर्ष 2018 से लाभांश का भुगतान करना बंद कर दिया था। (2020 में, आरबीआई ने कोविड महामारी के कारण बैंकों के लाभांश भुगतान पर रोक लगा दी थी)

सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए), जो मार्च 2018 में 2.23 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई थीं उन्हें सितंबर 2022 तक 1.07 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर लाया गया है, जो मार्च 2016 के बाद से सबसे कम है। प्रावधान करने के बाद शुद्ध एनपीए 1.1 लाख करोड़ रुपये से घटकर 23,572 करोड़ रुपये रह गया जो मार्च 2013 के बाद सबसे कम है।

इस अवधि में ऋण के प्रतिशत के रूप में सकल एनपीए 10.91 प्रतिशत से घटकर 3.52 प्रतिशत हो गया है। शुद्ध एनपीए में गिरावट और भी तेज है और यह 5.73 प्रतिशत से घटकर 0.8 प्रतिशत तक हो गया है। प्रतिशत के संदर्भ में दिसंबर में सकल एनपीए मार्च 2011 के बाद से सबसे कम है और शुद्ध एनपीए मार्च 2009 के बाद सबसे कम है।

फंसे कर्ज में ताजा कमी या नया इजाफा, जो 2018 में 94,781 करोड़ रुपये (4.85 प्रतिशत) था, वर्ष 2022 में घटकर 25,021 करोड़ रुपये (0.99 प्रतिशत) रह गया है जबकि बट्टे खाते में डाले गए खातों में सुधार देखा गया और यह वर्ष 2018 के 5,333 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 में 7,782 करोड़ रुपये हो गया है। सितंबर तिमाही में एसबीआई का कर्ज 19.93 प्रतिशत बढ़ा जबकि जमा की दर पीछे ही रही और यह 9.99 प्रतिशत बढ़ी जो बैंक उद्योग के ही अनुरूप है। ऐसा लगता है कि बैंक के पास कर्ज में बढ़ोतरी को समर्थन देने के लिए पर्याप्त अधिशेष सरकारी बॉन्ड हैं।

इसने 91.54 प्रतिशत (संग्रह खाते के तहत तथाकथित अग्रिम सहित) का प्रावधान कवरेज अनुपात बनाए रखा, जो एक साल पहले 87.68 प्रतिशत और जून 2022 में 90.14 प्रतिशत था। एसबीआई को कुछ मोर्चे पर कमर कसने की जरूरत है। उदाहरण के लिए सितंबर 2022 में 44.63 प्रतिशत पर कम लागत वाला चालू खाता और बचत खाता (कासा) अनुपात अच्छा है, लेकिन बहुत अच्छा नहीं है।

आखिर इसके 47 करोड़ ग्राहक हैं और पूरे भारत में इसकी 22,250 शाखाएं हैं। (बेशक, प्रधानमंत्री जन धन योजना के माध्यम से 13 करोड़ ग्राहक बैंक के दायरे में आए हैं और ऐसे खातों में औसतन राशि केवल 3,234 रुपये ही रहती है। यहां तक कि कासा के भीतर भी चालू खाते का हिस्सा अच्छी स्थिति में नहीं है जिस पर बैंक कोई ब्याज नहीं देता है।

एक और क्षेत्र में चुनौती है और यह इसकी लागत और आमदनी का अनुपात है। वित्त वर्ष 2022 में 53.31 फीसदी के साथ यह पहले की तुलना में बेहतर है, लेकिन शीर्ष निजी बैंकों के लागत-आमदनी का अनुपात 30 प्रतिशत के दायरे में है और एसबीआई के समकक्ष कई सरकारी बैंकों का लागत-आमदनी अनुपात 50 प्रतिशत से कम है।

लेकिन एसबीआई अपने उत्पादों और प्रक्रिया दोनों के मामले में बेहद शांति से अपने व्यापार मॉडल को बदल रहा है। सितंबर में बैंक के 25 लाख करोड़ रुपये के घरेलू ऋण में कॉरपोरेट और खुदरा ऋण का अनुपात 36:64 था। खुदरा ऋणों में गिरवी की हिस्सेदारी सबसे अधिक है और यह लगभग 6 लाख करोड़ रुपये है।

निजी ऋण की हिस्सेदारी 4.8 लाख करोड़ रुपये है, जबकि दिसंबर में गोल्ड लोन भी 1 लाख करोड़ रुपये के स्तर को पार कर गई है। बैंक अब छोटे व मझोले स्तर के उद्यमों और कृषि (5.5 लाख करोड़ रुपये) के लिए ऋण पर जोर दे रहा है जो 700 ग्रामीण क्रेडिट प्रोसेसिंग सेल (आरसीपीसी) के समर्थन से संभव हुआ है।

करीब 97 फीसदी लेनदेन एसबीआई के शाखा नेटवर्क के बाहर होता है। सभी लेनदेन का लगभग 75 प्रतिशत डिजिटल है और इसके पांच में से एक ग्राहक, इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं। इसके डिजिटल मोबाइल बैंकिंग और लाइफस्टाइल ऐप, योनो के 5.4 करोड़ ग्राहक हैं।

नई पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए कॉल सेंटर के जरिये कलेक्शन तंत्र को भी दुरुस्त किया जा रहा है। ये कॉल सेंटर कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के ग्राहकों के व्यवहार पर नजर रखते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कॉल करते हैं कि खुदरा ऋण का भुगतान समय पर किया जाए।

नए कारोबारों के बीच, एसबीआई वेंडर फंडिंग के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला और क्लस्टर फंडिंग में दांव लगाने की कोशिश कर रहा है जो इन दिनों बैंकिंग के चर्चित शब्द हैं। आपूर्ति श्रृंखला वित्त, मूलतः प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों का संदर्भ देता है जो फंडिंग की लागत कम करते हैं और बिक्री लेनदेन में जुड़े खरीदारों और विक्रेताओं की व्यावसायिक क्षमता में सुधार करते हैं। क्लस्टर फंडिंग, एमएसएमई क्षेत्र की विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए पूर्ण सेवाएं देने से जुड़ा है। आपूर्ति श्रृंखला और क्लस्टर वित्त के दो प्रमुख क्षेत्र, ऑटोमोबाइल और हस्तशिल्प हैं।

अंततः बदलाव के मकसद से एसबीआई ग्राहकों की संतुष्टि के लिए अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। हर लेनदेन के बाद ग्राहक से पूछा जाता है कि क्या वह बैंक की सेवाओं से खुश या नाखुश है। एक एजेंसी ग्राहकों की वफादारी और उनकी संतुष्टि के स्तर को मापने के लिए कथित तौर पर शुद्ध प्रवर्तक स्कोर पर नजर रखती है। कुछ अन्य बैंक पहले से ही ऐसा कर रहे हैं। यह निश्चित रूप से कारोबार से जुड़ा है।

निवेशक एसबीआई की सहायक कंपनियों से जुड़ी उसकी योजना के बारे में जानना पसंद करेंगे क्योंकि उन्हें इसकी वैल्यू का अंदाजा होता है। एसबीआई के पास जो दर्जन भर सहायक कंपनियां हैं, उनमें एसबीआई कार्ड्स ऐंड पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और एसबीआई लाइफ कंपनी इंश्योरेंस लिमिटेड सूचीबद्ध हैं। बैंक ने फिलहाल अपनी म्युचुअल फंड सहायक कंपनी को सूचीबद्ध कराने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। वह अपनी जनरल इंश्योरेंस कंपनी को सूचीबद्ध कराने के लिए कोई हड़बड़ी नहीं दिखा रहा है।

इस बीच, इसने रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो पेमेंट्स बैंक में अपनी 30 फीसदी हिस्सेदारी में कुछ हिस्सा मामूली रूप से घटा दिया है। अक्टूबर 2020 में पदभार संभालने के बाद, बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने विश्लेषकों को बताया कि एसबीआई के पास वित्त वर्ष 2024 तक परिसंपत्तियों पर 1 प्रतिशत रिटर्न (आरओए) और इक्विटी पर 15 प्रतिशत रिटर्न (आरओई) होगा। सितंबर 2022 में इसका आरओए 0.76 फीसदी और आरओई 16.08 फीसदी था। ऐसा लगता है कि खारा कम वादा करने में भरोसा करते हैं। अब देखना यह है कि वह उम्मीद से कहीं अधिक सेवाएं दे पाते हैं या नहीं।

First Published - January 11, 2023 | 10:29 PM IST

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