Skip to content
  सोमवार 27 मार्च 2023
Trending
March 26, 2023ऑल्टरनेट निवेश फंडों की ओर होगा <br> रुख !March 26, 2023आलीशान मकानों के कारण अचल संपत्ति के बाजार में तेजी : विशेषज्ञMarch 26, 2023उपभोक्ता, टायर उद्योग की नजर कच्चे तेल परMarch 26, 2023Sankalp Satyagraha: राहुल गांधी के समर्थन में कांग्रेस का देशव्यापी ‘संकल्प सत्याग्रह’March 26, 2023बारिश से गेहूं की कीमतों में गिरावट थमीMarch 26, 2023भारत में दुनिया के 5 फीसदी 5G उपयोगकर्ताMarch 26, 2023ब्रांड की पिच पर विराट कोहली की शानदार बल्लेबाजी जारीMarch 26, 2023सांसद निधि के लिए 1 अप्रैल से पोर्टल, बढ़ेगी निगरानीMarch 26, 2023बिजली की मांग बढ़ी तो डिस्कॉम को महंगी पड़ेंगी गर्मियांMarch 26, 2023EPFO की आज से बैठक, ब्याज दर पर लिए जा सकते हैं फैसले
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • बजट 2023
  • अर्थव्यवस्था
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
    • विशेष
    • आज का अखबार
    • ताजा खबरें
    • अंतरराष्ट्रीय
    • वित्त-बीमा
      • फिनटेक
      • बीमा
      • बैंक
      • बॉन्ड
      • समाचार
    • कमोडिटी
    • खेल
    • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  • होम
  • अर्थव्यवस्था
  • बजट 2023
  • बाजार
    • शेयर बाजार
    • म्युचुअल फंड
    • आईपीओ
    • समाचार
  • कंपनियां
    • स्टार्ट-अप
    • रियल एस्टेट
    • टेलीकॉम
    • तेल-गैस
    • एफएमसीजी
    • उद्योग
    • समाचार
  • पॉलिटिक्स
  • लेख
    • संपादकीय
  • आपका पैसा
  • भारत
    • उत्तर प्रदेश
    • महाराष्ट्र
    • मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़
    • बिहार व झारखण्ड
    • राजस्थान
    • अन्य
  • मल्टीमीडिया
    • वीडियो
  • टेक-ऑटो
  • विशेष
  • विविध
    • मनोरंजन
    • ट्रैवल-टूरिज्म
    • शिक्षा
    • स्वास्थ्य
  • अन्य
  • आज का अखबार
  • ताजा खबरें
  • खेल
  • वित्त-बीमा
    • बैंक
    • बीमा
    • फिनटेक
    • बॉन्ड
  • BS E-Paper
बिज़नेस स्टैंडर्ड
  लेख  कृषि कानूनों की वापसी और छिपी हुई हकीकत
लेख

कृषि कानूनों की वापसी और छिपी हुई हकीकत

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —November 24, 2021 11:57 PM IST
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

नए कृषि कानूनों की आयु एक वर्ष से भी कम रही। गुरुपर्व के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह क्षमा चाहते हैं कि किसानों के एक वर्ग को यह समझा नहीं पाए कि संशोधित कृषि कानून उनके हित में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इन कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करेगी और खेती के बदलते रुझान का परीक्षण करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को ‘अधिक प्रभावी’ बनाने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। इसमें शुबहा नहीं कि नए कानूनों को वापस लेना गलती है। नए कानूनों से बस यही हुआ था कि थोक व्यापार मेंं सरकार का एकाधिकार समाप्त हुआ था और अनिवार्य जिंस कानून जैसे पुरातन नियमों का हस्तक्षेप कम हुआ था। कई राज्य सरकारें पहले ही ऐसा कर चुकी हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार के कदमों का गेहूं और चावल उपजाने वाले देश के पश्चिमोत्तर इलाके में भारी विरोध हुआ।
वजह साफ है: इन क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने वाली कृषि सब्सिडी का बोझ केंद्र सरकार ही वहन करती है। साफ कहा जाए तो ये संशोधन व्यवस्था को संचालित करने वाली प्रणाली को संशोधित नहीं करते यानी प्रमुख अनाजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)को। लेकिन प्रधानमंत्री के भाषण पर प्रदर्शनकारियों की प्रतिक्रिया से यही पता चला कि उनकी प्रमुख चिंता एमएसपी है। दिल्ली के बाहर डेरा जमाए अधिकांश किसानों ने कहा है कि वे तब तक वापस नहीं जाएंगे जब तक एमएसपी को लेकर कानून नहीं बनता। इस मांग के नजरिये से देखें तो दुखद यह है कि मौजूदा एमएसपी प्रणाली अनुचित और अस्थायित्व भरी है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के 2021-22 के खरीफ सत्र में गेहूं और धान खरीद के आंकड़ों पर नजर डालें तो इसमें निहित अन्याय रेखांकित होता है। देश के कुल कृषक परिवारों में पंजाब और हरियाणा की हिस्सेदारी बहुत अधिक नहीं है और देश में कृषि से आय के स्तर के मामले मेंं वे मेघालय के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। इसके बावजूद 2021-22 में एफसीआई की खरीद से लाभान्वित होने वाले 89 प्रतिशत परिवार इन्हीं दो राज्यों के हैं।
अस्थायित्व की बात करें तो धान की खेती के लिए पश्चिम बंगाल जैसे राज्य पर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें पानी की खपत बहुत अधिक होती है। स्वाभाविक है कि विरोध कर रहे किसान इस बात पर बात नहीं करना चाहते। यदि यह बात सामने आ जाती है कि वे सरकार के खुद को निजी हाथों के हवाले किए जाने के विरोध के बजाय वास्तव में यह चाहते हैं कि सरकारी सब्सिडी में उनकी अधिकतम हिस्सेदारी बची रहे तो शायद उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले जैसी मीडिया कवरेज नहीं मिलेगी।
यह सही है कि कृषि के थोक कारोबार में निजी क्षेत्र के कदमों को लेकर हो रही चर्चा में बुनियादी बात गायब है। नए कृषि कानूनों में ऐसे प्रावधान थे जो किसानों को निजी क्षेत्र के साथ अनुबंध की इजाजत या सरकारी नियंत्रण वाली मंडियों के बाहर थोक व्यापार की सुविधा देते थे। निजी क्षेत्र को भी बिना अनिवार्य जिंस अधिनियम से डरे भंडारण की सुविधा मिल रही थी। इस कदम से आपूर्ति शृंखला में जरूरी निवेश आ सकता था क्योंकि निवेशक इस कानून से उचित ही डरते हैं। इसलिए क्योंकि अतीत में दालों आदि के दाम बढऩे पर शीत गृह जैसी अधोसंरचना में निवेश करने वालोंं को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। नए प्रावधान सरकार को थोक व्यापार से बाहर नहीं करते थे बल्कि किसानों को यह इजाजत देते थे कि वे अपनी फसल किसे बेचेंगे इसका निर्णय वे स्वयं करें। किसानों को विकल्प मुहैया कराने का अर्थ यह नहीं है कि सरकार संचालित खरीद प्रणाली बंद की जा रही है या किसान उत्पादक कंपनियों जैसे अन्य विकल्प नहीं बन सकते। जरूरत यह है कि क्षमता निर्माण के लिए अधिकतम पूंजी जुटाई जाए, ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित हो और किसानों को सही मूल्य मिले।
हालांकि नए निवेश की संभावना से यह खतरा भी है कि कृषि आपूर्ति शृंखला केे कुछ हिस्सों में एक खास समूह का दबदबा हो जाएगा। यदि ऐसा होता भी है तो भी यह पारदर्शी होगा और इसे नियमन के जरिये हल किया जा सकेगा। यह दावा करना मुश्किल है कि हालात मौजूदा व्यवस्था से भी बुरे हो जाएंगे। ध्यान रहे फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्याज का कारोबार आधा दर्जन से भी कम कारोबारियों के हाथ में है।
कुछ बुनियादी तथ्य इस प्रकार हैं: कृषि क्षेत्र में निजी निवेश कोई खतरा नहीं बल्कि आवश्यकता है और इससे अन्य प्रकार की मध्यवर्ती गतिविधियां प्रभावित नहीं होतीं। राज्य कृषि नीति चिंता का विषय नहीं है बल्कि वह तो केंद्र सरकार की नकद सब्सिडी का लक्ष्य है और यह भी सच है कि मौजूदा व्यवस्था न्याय और स्थायित्व की परीक्षा में विफल है।
ऐसे में हमें प्रधानमंत्री के भाषण पर दोबारा गौर करना होगा। मोदी ने यह नहीं कहा कि कानूनों में खामी है बल्कि उनके मुताबिक वह किसानों के एक हिस्से को समझाने में विफल रहे। उन्होंने पहली बार एमएसपी को सीधे चर्चा में शामिल किया और कहा कि समिति उसकी ‘पारदर्शिता’ और ‘किफायत’ का परीक्षण करेगी। ऐसे में पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को लेकर किए जा रहे साधारण पाठ पर सवाल उठाना जरूरी है। मोदी ने कदम पीछे खींचे हैं और उनकी राजनीतिक छवि को कुछ धक्का पहुंचा है लेकिन यह कहना मुश्किल है कि प्रदर्शनकारियों को जीत हासिल हुई है। मोदी ने इस क्षेत्र के लिए आगे की राह का संकेत दे दिया है कि वह कानूनी नहीं राजनीतिक होगा। प्रदर्शनकारी किसानों को समिति में व्यापक मशविरे में स्थान दिया जाएगा क्योंकि नए कानूनों से उनका ‘महज एक हिस्सा’ प्रभावित हुआ था। अब चर्चा एमएसपी और भारतीय कृषक परिवारों को उससे मिलने वाले लाभ पर केंद्रित हो जाएगी। प्रदर्शनकारी किसानों के लिए इस आधार पर जीत हासिल करना आसान नहीं होगा।

एफसीआईएमएसपीकिसानकृषि कानूनखेतीगुरुपर्वगेहूंधान खरीदनरेंद्र मोदी
FacebookTwitterLinkedInWhatsAppEmail

संबंधित पोस्ट

  • संबंधित पोस्ट
  • More from author
आज का अखबार

संसद में चर्चा जरूरी

March 26, 2023 8:49 PM IST
आज का अखबार

स्थानीय मीडिया के लिए बढ़ता आकर्षण

March 26, 2023 8:11 PM IST
आज का अखबार

सिखों की नाराजगी की चार प्रमुख वजह

March 26, 2023 7:58 PM IST
आज का अखबार

साप्ताहिक मंथन : पूंजी पर कर

March 24, 2023 9:53 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

बेलारूस में सामरिक परमाणु हथियार तैनात करेगा रूस : पुतिन

March 26, 2023 8:57 AM IST
अन्य समाचार

उज्ज्वला योजना पर कैबिनेट के फैसले से लाभार्थियों को बहुत मदद मिलेगी: PM Modi

March 25, 2023 1:12 PM IST
अन्य

भारत में एक दिन में Covid-19 के 1590 नए मामले सामने आए

March 25, 2023 11:26 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

भारतीय अमेरिकी गायकवाड़ फ्लोरिडा के विश्वविद्यालय के न्यासी मंडल में पुन: नियुक्त

March 25, 2023 9:05 AM IST
अंतरराष्ट्रीय

RBI के बोर्ड ने वैश्विक घटनाओं के पड़ने वाले प्रभाव की समीक्षा की

March 24, 2023 11:30 PM IST
अंतरराष्ट्रीय

भारत के साथ संबंध सुधारेगा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, ग्रीन टेक्नोलॉजी पर होगा विशेष ध्यान

March 24, 2023 11:29 PM IST

Trending Topics


  • Stocks To Watch
  • Share Market Today
  • Hindenburg | Jack Dorsey
  • DDMA | Mock Drill on Earthquake
  • Narendra Modi
  • Google Doodle
  • Corona Update
  • Rupee vs Dollar

सबकी नजर


ऑल्टरनेट निवेश फंडों की ओर होगा
रुख !

March 26, 2023 11:21 PM IST

आलीशान मकानों के कारण अचल संपत्ति के बाजार में तेजी : विशेषज्ञ

March 26, 2023 11:20 PM IST

उपभोक्ता, टायर उद्योग की नजर कच्चे तेल पर

March 26, 2023 11:20 PM IST

Sankalp Satyagraha: राहुल गांधी के समर्थन में कांग्रेस का देशव्यापी 'संकल्प सत्याग्रह'

March 26, 2023 11:19 PM IST

बारिश से गेहूं की कीमतों में गिरावट थमी

March 26, 2023 11:19 PM IST

Latest News


  • ऑल्टरनेट निवेश फंडों की ओर होगा
    रुख !
    by समी मोडक
    March 26, 2023
  • आलीशान मकानों के कारण अचल संपत्ति के बाजार में तेजी : विशेषज्ञ
    by प्रतिज्ञा यादव
    March 26, 2023
  • उपभोक्ता, टायर उद्योग की नजर कच्चे तेल पर
    by शार्लीन डिसूजा
    March 26, 2023
  • Sankalp Satyagraha: राहुल गांधी के समर्थन में कांग्रेस का देशव्यापी ‘संकल्प सत्याग्रह’
    by एजेंसियां
    March 26, 2023
  • बारिश से गेहूं की कीमतों में गिरावट थमी
    by संजीब मुखर्जी
    March 26, 2023
  • चार्ट
  • आज का बाजार
57527.10 
IndicesLastChange Chg(%)
सेंसेक्स57527
-3980.69%
निफ्टी57527
-3980%
सीएनएक्स 50014279
-1250.87%
रुपया-डॉलर82.24
--
सोना(रु./10ग्रा.)51317.00
0.00-
चांदी (रु./किग्रा.)66740.00
0.00-

  • BSE
  • NSE
CompanyLast (Rs)Gain %
ITI97.8411.19
Cyient1001.556.36
Minda Corp210.854.93
Adani Green1030.004.84
GE Shipping Co623.903.94
Zydus Wellness1531.353.89
आगे पढ़े  
CompanyLast (Rs)Gain %
ITI98.2012.04
Cyient1001.206.05
Adani Green1029.354.78
GE Shipping Co624.453.87
Adani Transmissi1124.553.70
Zydus Wellness1524.553.64
आगे पढ़े  

# TRENDING

Stocks To WatchShare Market TodayHindenburg | Jack DorseyDDMA | Mock Drill on EarthquakeNarendra ModiGoogle DoodleCorona UpdateRupee vs Dollar
© Copyright 2023, All Rights Reserved
  • About Us
  • Authors
  • Partner with us
  • Jobs@BS
  • Advertise With Us
  • Terms & Conditions
  • Contact Us