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गति श​क्ति को असरदार बनाने में निजी क्षेत्र हो सकता है मददगार

Last Updated- March 24, 2023 | 9:30 PM IST
Private sector can be helpful in making speed on PM Gati Shakti
BS

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गति शक्ति नैशनल मास्टर प्लान की घोषणा अक्टूबर 2021 में की थी। यह योजना भौगोलिक सूचना प्रणाली पर आधारित है। इस योजना के अंतर्गत देश में सभी आर्थिक क्षेत्रों एवं संकुलों को जोड़ने का प्रस्ताव है।

इस प्लेटफॉर्म पर आधारभूत कड़ियां उपलब्ध हैं जो किसी संकुल को प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए जरूरी होते हैं। इनमें रेल संपर्क, ऑप्टिकल फाइबर केबल्स, तेल एवं गैस पाइपलाइन, बिजली पारेषण लाइन, जल आपूर्ति पाइप आदि शामिल हैं।

गति शक्ति प्लेटफॉर्म परियोजना के ढांचे और क्रियान्वयन पर निगरानी रखने का एक प्रभावी माध्यम हो सकता है। इस प्लेटफॉर्म का विकास भास्कराचार्य नैशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस ऐप्लिकेशंस ऐंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी) द्वारा किया गया है। बीआईएसएजी गांधीनगर स्थित स्वायत्त वैज्ञानिक संस्था है जो इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन काम करती है।

यह संस्था उपग्रह संचार (सैटेलाइट कम्युनिकेशन), जियोइन्फॉर्मेटिक्स और भू-अंतरिक्ष तकनीक से संबंधित परियोजनाओं पर काम करती है। विभिन्न मंत्रालयों से प्रशिक्षित एवं प्रतिबद्ध अधिकारियों का दल वाणिज्य मंत्रालय में एक विशेष सेल नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) में काम करते हैं। एनपीजी गति शक्ति से जुड़ी सभी गतिविधियों का ढांचा तैयार करता है।

गति शक्ति एक बड़ा बदलाव लाने वाली योजना है। इसके चार कारण हैं। पहला कारण, यह परियोजना ढांचा एवं क्रियान्वयन में पुराने तौर-तरीकों से अलग नई कार्य प्रणाली और केंद्र, राज्य, मंत्रालयों एवं विभागों के बीच एक एकीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है।

दूसरा कारण यह है कि इससे परियोजना से जुड़े प्रस्ताव शीघ्र करने में मदद मिलती है। तीसरा कारण यह है कि पूर्व में आधारभूत ढांचा मंत्रालय से जिन कार्यों को संपादित करने की अपेक्षा की गई थी उसे यह डिजिटल माध्यम से पूरा कर रहा है। चौथा कारण यह है कि गति शक्ति की मदद से इससे निजी क्षेत्र निवेश से जुड़े स्थान का चयन अपनी पसंद के अनुसार कर पाएगा।

सितंबर 2022 में राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी (एनएलपी) की घोषणा के बाद एक बार फिर ध्यान इस ओर आया कि गति शक्ति योजना किसी तरह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक मोटे अनुमान के अनुसार भारत में माल वहन पर आने वाला खर्च सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 13 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।

एनएलपी के बाद यह कम होकर जीडीपी का 8 प्रतिशत तक रह सकता है। इस महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य तक पहुंचने की दिशा में विभिन्न नीतियां काम करेंगी मगर गति शक्ति प्लेटफॉर्म से मिलने वाली सहायता एवं नीति इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण होंगी।

अब सवाल है कि हम गति शक्ति को लेकर कितनी प्रगति कर चुके हैं? अब तक जो जानकारी सार्वजनिक की गई है उनके अनुसार गति शक्ति में सूचनाओं की 1,300 श्रेणियां हैं। इनमें आधारभूत ढांचा पर्यावरण एवं सामाजिक पहलुओं से जुड़ी बातें हैं। इनके अलावा सड़क रेलवे, बंदरगाह, हवाईअड्डा, बिजली, दूरसंचार, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और अक्षय ऊर्जा से जुड़ी जानकारियां एकीकृत की गई हैं।

इन सूचनाओं का इस्तेमाल एक व्यापक योजना तैयार करने के लिए हो रहा है। गांव, तालुका, जिला स्तर तक की जानकारियों के साथ खसरा संख्या, आबादी वाले इलाकों की भौगोलिक स्थिति, 3डी प्रतिबिंब, मृदा की गुणवत्ता आदि से जुड़ी सूचनाएं भी उपलब्ध हैं। यह भी जानकारी सार्वजनिक की गई है कि 30 केंद्रीय मंत्रालयों और 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने अलग से गति शक्ति से तालमेल रखने वाले पोर्टल तैयार किए हैं। ये पोर्टल गति शक्ति प्लेटफॉर्म से जोड़ दिए गए हैं।

गति शक्ति प्लेटफॉर्म का नियमित तौर पर इस्तेमाल विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने पर लगने वाले समय को कम करने, भूमि अधिग्रहण से संबंधित सभी तरह की मंजूरी लेने और रैखिक बुनियादी ढांचे के मिलान के लिए हो रहा है। अब तक एनपीजी की 44 बैठकें हो चुकी हैं जिनमें जिनमें 66 उच्च प्रभाव वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया है।

इन परियोजनाओं पर कुल खर्च 5 लाख करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। गति शक्ति संरचना का इस्तेमाल कर अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों जैसे कोयला, इस्पात एवं उर्वरक आदि के परिवहन और इसमें आने वाली समस्याओं की पहचान की जा चुकी है।

हाल में कुछ प्रमुख परियोजनाओं में गति शक्ति प्लेटफॉर्म की मदद से कई त्रुटियां दूर की गई है। इन परियोजनाओं में दिघी पोर्ट क्षेत्र गुरदासपुर-जम्मू कश्मीर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन, चेन्नई तूतीकोरिन एक्सप्रेसवे और बड़बिल और बरसाना के बीच 181 किलोमीटर लंबी नई रेल लाइन शामिल हैं।

बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री के अनुसार गति शक्ति प्लेटफॉर्म पर कुल मिलाकर 100 महत्त्वपूर्ण बंदरगाह संपर्क परियोजनाओं की पहचान हो चुकी है और उनसे जुड़ी दिक्कतें दूर की जा रही हैं।

इस बात की भी चर्चा चल रही है कि गति शक्ति की मदद से प्रशासनिक ढांचे में जमीनी स्तर पर आवश्यक बदलाव किए जा रहे हैं। अगर प्रत्येक आर्थिक संकुल वास्तव में गठित होता है और इसे संयोजित कड़ी का दर्जा दिया जाता है तो इन क्षेत्रों के लिए कलेक्टर की जगह एक अलग से विकास आयुक्त नहीं होना चाहिए?

जिला कलेक्टर पर पहले से ही कई तरह की जिम्मेदारियां होती हैं। इसमें कोई शक नहीं कि इन विषयों पर गति शक्ति प्लेटफॉर्म पर विचार होगा और उम्मीद की जा रही है कि पुराने तरीके से चलने वाले कामकाज की जगह आधुनिक एवं सरल पद्धति से प्रशासनिक कार्य निपटाए जाएंगे। यह भी देख कर बहुत खुशी हो रही है कि गति शक्ति की क्षमता को विपक्षी राज्य भी राष्ट्र निर्माण के रूप में देख रहे हैं।

हालांकि, सरकार अब भी गति शक्ति तक निजी इकाइयों की पहुंच और उनके द्वारा इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। इस समय गति शक्ति प्लेटफॉर्म तक सरकारी विभागों, राज्य एजेंसियों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के अधिकृत व्यक्तियों की ही पहुंच है। इसका कारण यह है कि गति शक्ति प्लेटफॉर्म में कई ऐसी संवेदनशील जानकारियां भी उपलब्ध रहती हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण होती हैं।

हालांकि इस पर नागरिक समाज से जुड़े कई दिलचस्प विषय भी होते हैं जिन तक निजी उद्योग, परिवहन-माल ढुलाई पर शोध करने वाले लोग, छात्र एवं पत्रकारों की पहुंच होती है। कुछ गैर-सरकारी इकाइयों में इस बात का गुस्सा है कि उन्हें इस प्लेटफॉर्म तक पहुंच की अनुमति नहीं है।

ऐसा समझा जा रहा है कि सरकार इस ढांचे में कुछ बदलाव कर रही है जिससे निजी क्षेत्र को भी सीमित पहुंच मिल जाएगी। यह कार्य जितनी जल्दी किया जाएगा उतना ही अच्छा होगा। ऐसा करने से गति शक्ति प्लेटफॉर्म अधिक व्यापक हो जाएगा और यह अधिक प्रभावी भी हो जाएगा।

(लेखक आधारभूत क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं। वह ‘द इन्फ्राविजन फाउंडेशन’ के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी भी हैं।)

First Published - March 24, 2023 | 9:30 PM IST

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