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जवाबदेही से पलायन करते लोकप्रिय नेता

कैसे सत्ता में आने के बाद, ट्रंप और अन्य लोकप्रिय नेताओं ने अपनी गलतियों को बिना जवाबदेही के बढ़ाया

Last Updated- May 06, 2025 | 10:23 PM IST
Donald Trump

अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डॉनल्ड ट्रंप के पहले झंझावातों से भरे महीनों में सबसे ध्यान देने योग्य बात यह है कि उनके कट्टर समर्थकों ने उनमें अपना विश्वास जरा भी नहीं खोया है। राष्ट्रपति पद पर आते ही उन्होंने विभिन्न संधियों को खत्म करने की कोशिश की। इसके अलावा कानून, अदालती आदेशों और संविधान का उल्लंघन करते हुए अमेरिकी नागरिकों और वैध निवासियों को बाहर नरक जैसी जगहों पर भेजा, न्यायाधीशों को गिरफ्तार करवाया, शेयर बाजार को डूबने पर मजबूर कर दिया और बॉन्ड बाजारों को खतरनाक रूप से अस्थिर

करते हुए अमेरिका को नकारात्मक वृद्धि के दौर में ढकेल दिया। अमेरिका को समृद्ध और महान बनाने के जुमले के बाद अब ट्रंप के संदेश में बदलाव आया है। अब वह यह वादा करने लगे हैं कि उनके बच्चों के पास 20 के बजाय दो खिलौने होंगे जैसा कि हाल ही में उन्होंने इस सप्ताह कहा था। इसके बावजूद, ट्रम्पवर्ल्ड में उनकी प्रतिष्ठा में जरा भी कमी नहीं आई है।

यह ध्यान देने योग्य बात है लेकिन असाधारण नहीं है। ट्रंप की श्रेणी के लोकलुभावन वादे करने वाले नेताओं को बड़े पैमाने पर कई गलतियां करने की छूट मिल जाती हैं, जिन गलतियों में से कोई एक करने पर भी किसी मध्यमार्गी पूर्ववर्ती नेताओं का करियर खत्म हो सकता था। यह ऐसे लोकप्रिय नेताओं को किसी तार्किक उदारवादियों की तुलना में किसी भी चुनावी मुकाबले में एक अंतर्निहीत फायदा देता है।

इस तरह के अति लोकप्रिय नेता बिना किसी माफी के काम करते हुए दिखते हैं, आखिर इसका कारण क्या है? उनकी गलतियों के लिए कोई जवाबदेही कैसे नहीं तय होती है और उन्हें तार्किकता या किसी प्रतिक्रिया की चिंता किए बिना निर्णय लेने की अनुमति कैसे मिल जाती है? इसके कई संभावित उत्तर हैं जो कमोबेश उन सभी पर लागू होते हैं।

सबसे पहले, वे मीडिया को सीधे या अमीर कारोबारी सहयोगियों के माध्यम से या फिर धमकी या डर दिखाकर नियंत्रित करते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके समर्थकों का दायरा केवल उनके वफादार मीडिया की सामग्री तक ही सीमित हो और बाकी मीडिया को देशद्रोही या भ्रष्ट के रूप में बदनाम कर दिया जाए। ट्रंप के मामले में यह रणनीति स्पष्ट है: उदाहरण के तौर पर मुख्यधारा के अधिकांश मीडिया आउटलेट व्हाइट हाउस से निष्कासित हैं।

इसके बजाय उनके मतदाता न केवल फॉक्स न्यूज को सुनते-देखते हैं, बल्कि वे धुर दक्षिणपंथी चैनल ‘वन अमेरिका न्यूज’ को भी सुनते हैं जिनके बारे में हममें से बाकी लोगों ने नहीं सुना है। कुछ मीडिया आउटलेट पर बड़े कारोबार के नियंत्रण का इस्तेमाल, नुकसान कम करने के लिए भी किया जाता है। जेफ बेजोस के स्वामित्व वाले वॉशिंगटन पोस्ट के ओपिनियन सेक्शन में हाल में हुई फेरबदल इसकी एक मिसाल है।

विक्टर ऑर्बन जैसे नेताओं ने इस पद्धति में सिद्धहस्तता हासिल की है। उन्होंने पहले अमीर कारोबारी वर्गों को समृद्ध किया और फिर उन्हें परंपरागत मीडिया आउटलेट पर कब्जा करने का आदेश दिया। यहां उन्होंने संपादकीय टीमें बदलीं और इन मीडिया संस्थानों को प्रभावी रूप से सरकार द्वारा संचालित मीडिया संस्थान में बदल दिया। यदि पाठक सचमुच बहुत गहराई से सोचें, तो वे एक या दो अन्य देशों की पहचान कर सकेंगे जहां इस रणनीति को लागू किया गया है।

दूसरे, वे पार्टी प्रणाली को खत्म कर देते हैं। ट्रंप को वास्तव में कल जवाबदेह ठहराया जा सकता है, यदि उनके रिपब्लिकन पार्टी के सहयोगियों में से कुछ लोगों में ऐसा करने का साहस या ईमानदारी होगी। एक और प्रतिभाशाली लोकप्रिय नेता, बोरिस जॉनसन को तब हटा दिया गया जब उनकी पार्टी ने उनमें अपना विश्वास खो दिया और उन्हें विश्वास था कि बोरिस को बर्खास्त करके वे निजी तौर पर राजनीतिक दुष्परिणाम से बच जाएंगे।

हालांकि, अधिकांश अमेरिकी रिपब्लिकन उतना सहज महसूस नहीं करते जितना कि ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी के लोग महसूस करते हैं जो टोरी के नाम से मशहूर हैं। अविश्वसनीय रूप से अधिकांश रिपब्लिकन के बीच ट्रंप का टैरिफ अलोकप्रिय है, फिर भी उनमें से केवल कुछ लोगों ने ही हाल में सीनेट में उनके खिलाफ मतदान किया। पार्टी में स्थानीय क्षत्रप डरते हैं कि ट्रंप उन्हें अपनी इच्छानुसार हटा सकते हैं। चुनावी सफलता या विफलता के स्रोत के रूप में स्थानीय और राज्य-स्तरीय नेताओं को एक केंद्रीय व्यक्ति द्वारा हटा दिया जाना, संकेत देता है कि जवाबदेही प्रणाली खत्म हो रही है। दुनिया भर में ऐसे कुछ अन्य उदाहरण भी मिल सकते हैं।

तीसरा, वे अदालतों और स्वतंत्र संस्थाओं से लड़ते हैं। ट्रंप प्रशासन ने पहले ही अदालती आदेशों की अवहेलना करना शुरू कर दी है और राष्ट्रपति ने खुद कई वर्षों तक कुछ न्यायाधीशों को आड़े हाथों लिया है खासतौर पर उन्हें जिन्होंने उनके मामलों को देखा था। उन्होंने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख को बर्खास्त करने की धमकी भी दी है।

लोकप्रिय वामपंथी नेता आंद्रेस मैनुएल लोपेज ऑब्राडोर ने हाल ही में मेक्सिको के राष्ट्रपति के रूप में एक चुनौतीपूर्ण कार्यकाल खत्म किया है और उन्होंने अपना अधिकांश समय ऐसे न्यायिक ‘सुधार’ को आगे बढ़ाने की कोशिश में बिताया जिससे कानूनी प्रणाली में कानून की व्याख्या उनकी तरजीही सोच के अनुरूप हो सके। तुर्की के रेसेप तैयप एर्दोगन ने ब्याज दरों और मुद्रास्फीति के संदर्भ में मैक्रोइकॉनमिक्स 101 को नजरअंदाज करने के लिए अपने केंद्रीय बैंक को आदेश दिया। यह कहीं और भी असामान्य नहीं है और मैं ऐसे अन्य उदाहरणों पर विचार करने की छूट पाठकों को देता हूं।

आखिर में, ऐसे लोकप्रिय नेता नए बाहरी दुश्मनों की पहचान करते हैं और उन्हें निशाना बनाते हैं विशेष रूप से उन लोगों को, जिनकी पहचान घरेलू ‘दुश्मनों’ के तौर पर की जा सकती है और जिनसे उनके मतदाता पहले से ही जातीय, धार्मिक या सांस्कृतिक कारणों से नफरत करते हैं। ट्रंप ने कनाडा और यूरोप पर निशाना साधा है और यह किसी तर्कसंगत कारण से नहीं बल्कि इसलिए कि उन्हें और उनके मतदाताओं को अमेरिका की उदार तटीय आबादी के साथ इन क्षेत्रों की पहचान करना आसान लगता है, और ट्रंप के समर्थक इन्हीं उदार लोगों को अपना मुख्य विरोधी मानते हैं।

मैं यह नहीं कह सकता कि लोकलुभावन वादे करने वाले नेता सामान्य राजनेताओं की तुलना में स्वाभाविक रूप से कमोबेश आक्रामक हैं। वे अपनी विदेश नीति को मुख्य रूप से घरेलू सामाजिक नीति के विस्तार के रूप में देखते हैं और उस क्षेत्र में उनके द्वारा चुने गए किसी भी विकल्प के चुनावी प्रभाव को ही प्राथमिकता देते हैं। इस प्रकार की सोच के अन्य उदाहरण भी हैं जिनका उल्लेख किया जा सकता है, जिनमें से कुछ मौजूदा दौर में काफी प्रासंगिक हैं। ट्रंप की गलतियां साफतौर पर नजर आ रही हैं। लेकिन ऐसा करने वाले वो अकेले नहीं हैं। जवाबदेही के बिना सभी नेता खतरनाक होते हैं, यहां तक कि महज नाम के लोकतंत्रों में भी।

First Published - May 6, 2025 | 10:23 PM IST

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