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‘हमारे सामने तो पाइरेसी ही सबसे बड़ी मुसीबत है’

Last Updated- December 05, 2022 | 7:05 PM IST

हिंदी सिनेमा प्रेमियों के लिए यश चोपडा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने बदलते वक्त केसाथ खुद को बदलने से कभी परहेज नहीं किया।


उनकी सदाबहार सफलता का शायद यही राज है। फिल्म बिजनेस के बदलते मायने के बारे में वह कहते हैं कि अब किसी भी फिल्म के सुपरहिट होने का तकाजा यह है कि वह पहले ही कुछ दिनों में करोड़ों की कमाई कर ले। किसी भी फिल्म को सुपरहिट तय करने के लिए अब आप हफ्तों तक इंतजार नहीं कर सकते।


चोपड़ा हिन्दी फिल्म जगत के ऐसे निर्देशकों में शुमार हैं, जिन्होंने हॉलैंड, स्विट्जरलैंड , जर्मनी और ब्रिटेन की खूबसूरत फिजाओं में हिंदी फिल्मों की शूटिंग की परंपरा की शुरुआत की। स्विटजरलैंड में उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि वहां एक झील का नाम चोपड़ा झील रखा गया है। इसके अलावा स्विटजरलैंड की सरकार ने उन्हें विशेष सम्मान से भी नवाजा है। फिक्की फ्रेम्स 2008 के मौके पर बिजनेस स्टैंडर्ड की संवाददाता प्रियंका जोशी ने उनसे विस्तार से बात की।


आपके मुताबिक भारतीय फिल्म उद्योग के सामने सबसे बड़ी समस्या क्या है?


हमारी सबसे बड़ी समस्या पाइरेसी है। इस वजह से फिल्म उद्योग अपनी कमाई के एक बहुत बड़ा हिस्से से वंचित रह जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि फिल्म उद्योग ने इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया है। पाइरेसी को रोकने के लिए कुछ उपाय किए गए हैं। मसलन फिल्में अधिकतम प्रिंट के साथ रिलीज की जा रही हैं और वितरण नेटवर्क को भी बढ़ाने की कोशिश जारी है, ताकि पाइरेसी की चुनौतियों से निपटा जा सके।


इस कदम से एक हद तक पाइरेसी को रोकने में सफलता प्राप्त हुई है, लेकिन फिल्म उद्योग के पास ऐसा करने वालों को शिकंजे में लेने के लिए कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं हैं। भारत में एंटरटेमेंट इंडस्ट्री का बाजार तकरीबन 50 हजार करोड़ रुपये का है और इसमें 16 हजार करोड़ रुपये का बाजार पाइरेसी से जुड़ा है।


यश राज बैनर फिल्म्स पाइरेसी से किस तरह निपट रही है?


हमलोग डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन पर काफी जोर दे रहे हैं। जाहिर है अगर हम डिजिटल डिस्ट्रीब्यूशन का तरीका नहीं अख्तियार करेंगे तो हमें अपने बिजनेस को बढ़ाने में काफी दिक्कतें पेश आएंगी।


यश राज फिल्म्स की एक वेबसाइट भी है, जिसके जरिये हम लोगों को बिना पाइरेसी वाले म्यूजिक खरीदने और फिल्में डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह वेबसाइट यश राज बैनर से संबंधित म्यूजिक बेचने के अलावा डिजिटल राइट्स मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म भी मुहैया कराती है, जिसके जरिए हाल में रिलीज हुई फिल्मों को डिजिटल रूप में डाउनलोड करने की सुविधा उपलब्ध है।


इसके अलावा गाने डाउनलोड के लिए आईटयून और अन्य डिजिटल फॉरमेट उपलब्ध हैं। मेरी जानकारी के मुताबिक, हमारी वेबसाइट को हर महीने 2 करोड़ हिट्स प्राप्त होते हैं। हमारा अपना इंटरनेट सेल भी है, जो डिजिटल मीडियम के बिजनेस डिवेलपमेंट पक्ष के लिए जिम्मेदार है।


क्या यशराज फिल्म्स मोबाइल स्पेस में भी सक्रिय है?


जी हां, हमारे पास मोबाइल कंटेट डिविजन भी है, जो फिल्मों की मोबाइल प्रापर्टी बनाने का काम करता है। हमारी कंपनी ने कई मोबाइल ऑपरेटरों से समझौता भी किया है, जिसके तहत मोबाइल रिंगटोन, वॉलपेपर, गेम्स और दूसरी कई सारी चीजों की सुविधा मुहैया कराई जाती है।


फिक्की की एंटरटेनमेंट कमिटी के चेयरमैन होने के नाते क्या आपने अपनी चिंताओं के मद्देनजर इस बाबत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ पहल की है?


फिक्की फ्रेम्स के दौरान हमने पाइरसी मसले पर कदम उठाने के अलावा अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय से कदम उठाने की गुजारिश की है।


क्या 2008 आपके लिए बीते साल से कुछ अलग होगा?


हमारा बैनर अमूमन साल में 7 से 8 फिल्मों का निर्माण करता है। इसके अलावा यशराज फिल्म्स का स्टूडियो अलग-अलग तरह की कई फिल्मों की रिलीज सुनिश्चित करने में भूमिका निभाता है।


यह प्रक्रिया अगले साल भी जारी रहनी चाहिए। हमारी आने वाली ‘टशन’ विजयकृष्ण आचार्य की निर्देशक के रूप में पहली फिल्म है। विजयकृष्ण धूम और धूम 2 के स्क्रिप्टराइटर रह चुके हैं। यश राज बैनर की अगली फिल्म ‘बचना ऐ हसीनों’ होगी, जिसमें रणवीर कपूर हीरो होंगे। इसका निर्देशन कुणाल कोहली कर रहे हैं। इसके अलावा इस साल हम एक एनिमेडेट फिल्म ‘रोडसाइड रोमियो’ का भी निर्माण कर रहे हैं।

First Published - April 5, 2008 | 12:03 AM IST

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