हमने आपको कुछ दिनों पहले अपने ‘चर्चा में’ कॉलम में नेविल तूली के बारे में तो बताया ही था। तब हो सकता है, आपको लगा होगा कि हमने उनके बारे में बढ़ा-चढ़कर बताया है।
अगर ऐसा है, तो आज हम आपको उनकी शॉपिंग हॉबीज के बारे में बताते हैं। कम से कम, अपने मुल्क में तो उनके जैसी शॉपिंग हॉबी तो किसी और की नहीं है। भरोसा नहीं होता? तो हम आपको बताते दें कि दोनों हाथों में पैसे दबोचे तूली आजकल फिल्मी खिलौने खरीदने में व्यस्त हैं। खिलौने भी विदेशी हैं।
आपको हालीवुड की फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ का वह भयानक डायनासोर तो याद ही होगा। तूली ने उन्हीं को अमेरिकी शहर लॉस एंजलिस में खरीदा है। घबराइए मत ये असली डायनासोर नहीं, बल्कि उन डायनासोरों के पुतले हैं। इन्हीं पुतलों का इस्तेमाल उस फिल्म में डायनासोरों में जान फूंकने के लिए किया गया था। इनका इस्तेमाल वह अपने अनूठे म्यूजियम ‘द ओसियननामा’ को सजाने के लिए करेंगे।
यह म्यूजियम मुंबई में उसी जगह बनाया जा रहा है, जहां कभी मिनर्वा सिनेमा हुआ करता था। आप सोच रहे होंगे कि इस सब के लिए उनके पास पैसे कहां से आए। दरअसल, कुछ ही दिनों पहले दुबई की एक प्राइवेट इक्विटी कंपनी ने तूली की कंपनी ओसियन में मोटी रकम चुकाकर हिस्सेदारी खरीदी है।
इसी के बाद उन्होंने यह म्यूजिम खोलने की सोची। जब यह बात उन्होंने सोच ही ली तो फिर उन्हें तो इसे पूरा करना हा था। इसके तूली भाई साहब चल निकले लॉस एंजलिस की तरफ, जहां फिल्मी पर्दों पर अक्सर दिखाई देने वाले जीव-जंतुओं के मॉडलों की निलामी हो रही थी। इनमें जुरासिक पार्क, एलियंस और बैटमैन रिटर्नंस जैसी नामचीन फिल्मों में दिखाई देने वाले कैरेक्टर भी शामिल थे।
इनमें से इस मशहूर कलाकार ने जुरासिक पार्क के टी-रेक्स, टेरानोडॉन और डिलोफोसॉरस (डायनासोर की प्रजातियां), ‘एलियंस’ में अंतरिक्ष से आए नरभक्षी जीवों की रानी और ‘बैटमैन’ के दुश्मन पेंग्विन का पुतला खरीदा है। इस सबके लिए उन्हें 1.15 करोड़ रुपए की मोटी रकम चुकानी पड़ी। वैसे, नेविल तूली के लिए हॉलीवुड फिल्मों के संग्रहणीय वस्तुओं को खरीदना कोई नई बात नहीं है।
वो तो काफी पहले से इस तरह के सामान खरीदते आ रहे हैं। इसमें से भी वह खास तौर पर साइंस फिक्शन और डरावनी फिल्मों के संग्रहणीय वस्तुओं को खरीदते हैं। वह तो स्टार वार्स, स्क्रीम, स्पाइडरमैन और प्लैनेट ऑफ द एप्स के कई आर्ट वर्क को खरीद चुके हैं।
खुद तूली भी कहते हैं कि,’दुनिया में कोई और ने इस तरह से चीजों का संग्रह नहीं किया होगा, जिस तरह से हम कर रहे हैं। हम इन्हें सही तरह से सजा भी रहे हैं। जब आप एक वेयरवुल्फ (मानव भेड़िया) का पुतला वहीदा रहमान की क्लासिक फिल्म ‘बीस साल बाद’ के पोस्टर के पास में देखेंगे तो आपको अलग-अलग देशों और संस्कृतियों के बीच मौजूद एक तारतम्यता का आभास होगा। इस तरह की बात आपने पहले कभी महसूस नहीं की होगी।’
‘जूरासिक पार्क’ में इस्तेमाल किए गए डाइनासोरों के पुतले पोलीफोम से बने हुए हैं। इनमें से हरेक की पेटिंग हाथ से की गई है और हरेक को लकड़ी के ऊपर चढ़ाया गया है। वैसे, उन्होंने परग्रहियों की रानी का जो पुतला खरीदा है, वह ‘एलियंस’ फिल्म में दिखाई गई रानी की आकार का एक चौथाई भर है। लेकिन आपकी यह शिकायत ‘बैटमैन रिटर्नंस’ का विलेन पेंग्विन दूर कर देगा।
उसके इस आदमकद पुतले का इस्तेमाल तो इस कैरेक्टर को निभाने वाले मशहूर अभिनेता डैनी डिवीटो के मेकअप के लिए भी किया गया था। तूली के मुताबिक ये सभी बेहतरीन कलाकृतियां हैं। उनका यह भी कहना है कि,’मैंने इन्हें छह साल की मेहनत के बाद एक जगह इकट्ठा किया है। ये सभी अब भारत में ही रहेंगे।’
तूली का कहना है कि,’हॉलीवुड में साइंस फिक्शन या डरावनी फिल्में के कैरेक्टर आज एक प्रकार से प्रतीक बन चुके हैं। वैसे, मेरी मानिए तो सिनेमा कला का एक विश्व व्यापक प्रकार है। साथ ही, यह लोगों को अच्छी तरह से जोड़ता है।’ उनके इस अनूठे म्यूजियम की शुरुआत अप्रैल-मई, 2009 में होने वाली है। इस बारे में बात करते ही उनके चेहरे पर मुस्कुराहट खेल जाती है।
उनका कहना है कि,’मेरी इस पेशकश का ताल्लुक न तो हॉलीवुड से होगा और न ही बॉलीवुड से। यह तो सपनों का एक अलग संसार होगा। हमारे इस म्यूजियम में छह अलग-अलग सेक्शन होंगे। इसके बीचोंबीच बातचीत और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक कमरा होगा।
मेरी ख्वाहिश यह है कि प्रर्दशनों, शोज और किताबों के मामले में दुनिया के बेहतरीन बहस अपने देश हो। हो सकता है कि किसी एक दिन बहस जापानी समुराई के मुद्दे पर हो और दूसरे दिन एलियंस पर।’ सचमुच इस शख्स का तो दिल तो बॉक्स ऑफिस के लिए ही धड़कता है।