इस बार बजट में प्रोजेक्ट इम्पोर्ट रेगुलेशंस के तहत शुल्क को घटाकर पांच फीसदी पर ले आया गया है। ईपीसीजी योजना के तहत भी ऐसा ही हुआ। वैसे, इन दोनों में अंतर क्या है?
आपको प्रोजेक्ट इम्पोर्ट रेगुलेशंस के तहत सीमा शुल्क की अतिरिक्त डयूटीज भी चुकानी पड़ती हैं। इसकी वजह से आपको कुल 25.57 फीसदी का टैक्स का पेमेंट करना पड़ेगा।
इसमें से 19.97 फीसदी का इस्तेमाल सेनवैट क्रेडिट के रूप में कर सकते हैं, लेकिन बाकी के 5.6 फीसदी पर आपको कोई छूट नहीं मिलेगी। वहीं, ईपीसीजी योजना में आप कोई अतिरिक्त डयूटी नहीं देनी पड़ती है। इसके तहत आपको केवल 5.15 फीसदी का शुल्क चुकाना पड़ता है।
वैसे इस शुल्क पर आप सेनवैट से छूट की मांग नहीं कर सकते। इस तरह से भी यह योजना प्रोजेक्ट इम्पोर्ट रेगुलेशंस के तहत चुकाई जाने वाली रकम से 0.45 फीसदी तक सस्ती हुई।
वैसे, ईपीसीजी के तहत आपको निर्यात प्रतिबध्दता का भी पालन करना पड़ता है, प्रोजेक्ट इम्पोर्ट रेगुलेशंस में इस बात से साफ छूट मिली हुई है। प्रोजेक्ट इम्पोर्ट रेगुलेशंस के तहत मिलने वाली छूट दरअसल किसी बड़ी प्रोजेक्ट की शुरुआत के लिए दी जाती है।
साथ ही, अगर कोई उद्यमी कोई अपनी फैक्टरी की क्षमता में कम से कम 25 फीसदी का इजाफा कर रहा है, तभी वह इसके तहत किसी छूट का फायदा उठा सकता है। इसके तहत आपको केवल एक मशीन को आयात करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
वहीं, ईपीसीजी स्कीम के तहत ऐसी कोई रोक नहीं है। प्रोजेक्ट इम्पोर्ट रेगुलेशंस के तहत आपको प्रायोजकों से संस्तुति हासिल करनी पड़ेगी। आपको अपने खरीदी कंट्रैक्ट भी पंजीकृत करवाने पड़ेंगे। साथ ही, इसके लिए अल्पकालिक डयूटी बॉन्ड के साथ सामान की कीमत का दो फीसदी हिस्सा (अधिकतम 50 लाख रुपए) भी जमा करना पड़ता है।
इसके साथ, आपको एक रिकॉन्सिलेशन स्टेटमेंट भी दाखिल करना पड़ता, जिसके साथ जरूरत पड़ती है कस्टम द्वारा जारी किए गए साइट वेरिफिकेशन प्रूफ की जरूरत पड़ेगी। इसके बाद आपको अपने एसेसमेंट को फाइनलाइज्ड करवाना पड़ेगा।
फिर आप अपने बॉन्ड और जमा रकम को छुड़वा सकते हैं। दूसरी तरफ ईपीसीजी के मामले में आपको स्थानीय लाइसेंसिंग अधिकारी से ईपीसीजी लाइसेंस हासिल करना पड़ेगा। फिर आपको अपना लाइसेंस रजिस्टर करवाना पड़ता है। साथ ही, आपको निर्यात प्रतिबध्दता को लेकर एक बॉन्ड भरना पड़ेगा।
फिर आपको इंस्टॉलेशन सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा। इसके बाद अगर आपने अपनी निर्यात प्रतिबध्दता पूरी कर ली है तो इस बारे में एक दस्तावेज स्थानीय अधिकारियों के समक्ष देना पड़ेगा। साथ में, कस्टम अधिकारी आपसे कुछ और दस्तावेज भी मांग सकते हैं।
उनके द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद आप अपने बॉन्ड और रकम को वापस ले सकते हैं। इस बार बजट में सेवा प्रदाताओं को उनके दूसरी यूनिट्स के चालानबिल इंवॉयसके आधार पर सेनवैट क्रेडिट लेने की छूट दे दी गई है।
तो क्या अब हम अपने किसी भी ऑफिस के बिल के आधार पर यह क्रेडिट ले सकते हैं? सेनवैट क्रेडिट रूल्स, 2004 के नियम सात ए में इस बजट में फेरबदल किया गया है।
हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि यह क्रेडिट आंखे बंद करके इधर-उधर की जा सकेगी।