facebookmetapixel
GST में सुधारों से अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति, महंगाई बढ़ने का जोखिम नहीं: सीतारमणइजरायल के वित्त मंत्री बेजालेल स्मोटरिच 8 सितंबर को भारत आएंगे, दोनों देशों के बीच BIT करार हो सकता है फाइनलGold Outlook: हो जाए तैयार, सस्ता हो सकता है सोना! एक्सपर्ट्स ने दिए संकेतVedanta ने JAL को अभी ₹4,000 करोड़ देने की पेशकश की, बाकी पैसा अगले 5-6 सालों में चुकाने का दिया प्रस्ताव1 करोड़ का घर खरीदने के लिए कैश दें या होम लोन लें? जानें चार्टर्ड अकाउंटेंट की रायदुनियाभर में हालात बिगड़ते जा रहे, निवेश करते समय….‘रिच डैड पुअर डैड’ के लेखक ने निवेशकों को क्या सलाह दी?SEBI की 12 सितंबर को बोर्ड मीटिंग: म्युचुअल फंड, IPO, FPIs और AIFs में बड़े सुधार की तैयारी!Coal Import: अप्रैल-जुलाई में कोयला आयात घटा, गैर-कोकिंग कोयले की खपत कमUpcoming NFO: पैसा रखें तैयार! दो नई स्कीमें लॉन्च को तैयार, ₹100 से निवेश शुरूDividend Stocks: 100% का तगड़ा डिविडेंड! BSE 500 कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट इसी हफ्ते

जाम से कितना निजात दिला सकेंगी एयर टैक्सी

ईवीटीओएल एयरक्राफ्ट (एयर टैक्सी) से शहरी परिवहन को बदलने की योजना, क्या यह होगा आम लोगों के लिए किफायती?

Last Updated- April 23, 2025 | 10:44 PM IST
Maruti Suzuki Flying cars

आप एक ऐसे भविष्य की कल्पना करें जहां व्यस्त लोग, सड़कों की भीड़ को छोड़कर बिजली से संचालित होने वाली हवाई टैक्सियों में उड़कर घंटों के बजाय मिनटों में अपनी मंजिल तक पहुंचेंगे। गुरुग्राम से कनॉट प्लेस तक और मुंबई हवाई अड्डे से नरीमन प्वाइंट तक शहरी परिवहन का एक नया रूप सामने आने वाला है क्योंकि शहरों में की जाने वाली यात्रा की स्थिति में बदलाव लाने के लिए इलेक्ट्रिक-वर्टिकल-टेक ऑफ ऐंड लैंडिंग (ईवीटीओएलएस) एयरक्राफ्ट तैयार हैं जिन्हें एयर टैक्सी भी कहा जाता है।

नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अनुसार वीटीओएलएस ऐसे विमान हैं जो गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से चलते हैं जिनकी वजन ले जाने की अधिकतम क्षमता 5,700 किलोग्राम से कम होती है। इन्हें पायलट चलाते हैं और विजुअल उड़ान नियमों के तहत इनका संचालन दिन के समय तक ही सीमित होता है।

ये ईवीटीओएलएस बड़े ड्रोन की तरह दिखते हैं और इन्हें देखकर तैरते हुए बड़े बुलबुले की तस्वीर उभरती है। पारंपरिक विमानों को रनवे की आवश्यकता होती है लेकिन इसके उलट ये लंबवत तरीके से उड़ान भर सकते हैं और लैंड भी कर सकते हैं। ऐसे में ये उन घने शहरी वातावरण के लिहाज से उपयुक्त होते हैं जहां जगह सीमित है। ये विमान इलेक्ट्रिक प्रणोदक का इस्तेमाल करते हैं जिसके कारण ये पारंपरिक हेलिकॉप्टर की तुलना में ज्यादा पर्यावरण अनुकूल होते हैं। आधुनिक हवाई यातायात प्रबंधन प्रणालियों का मकसद सुरक्षित और कुशल संचालन सुनिश्चित करना है। समय के साथ ही पायलट रहित एयर टैक्सी के भी तैयार होने की उम्मीद है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एयर टैक्सी कारोबार तेजी से विकसित हो रहा है। दुबई 2026 तक चार वर्टिपोर्ट के साथ पूर्ण पैमाने पर इनका वाणिज्यिक संचालन शुरू करने के लिए तैयार है। वाणिज्यिक संचालन के लिए सक्रिय रूप से तैयारी करने वाले अन्य शहरों में लॉस एंजिलिस, न्यूयॉर्क, शिकागो, पेरिस और सिंगापुर शामिल हैं। कुछ शहर 2025 की अंतिम तिमाही की शुरुआत में ही इन टैक्सी का संचालन शुरू कर सकते हैं।

भारत का नियामकीय क्षेत्र भी ईवीटीओएलएस को समायोजित करने के लिए तैयार हो रहा है। डीजीसीए ने नियम तैयार करने और परिचालन फ्रेमवर्क बनाने के लिए छह विशेष कार्य समूहों का गठन किया है। प्रत्येक समूह को एक विशेष क्षेत्र पर ध्यान देना है जिनमें वर्टिपोर्ट (टेक ऑफ और लैंडिंग की जगह), विमान की किस्म का प्रमाणन, चालक दल की लाइसेंसिंग, परिचालन परमिट, हवाई यातायात प्रबंधन और एमआरओ (रखरखाव, मरम्मत, ओवरहॉल) तथा सुरक्षा पर ध्यान देना शामिल है।

इन कार्य समूहों की रिपोर्ट पेश की जा चुकी हैं और सितंबर 2024 में डीजीसीए ने अपनी वेबसाइट पर एक व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। हालांकि आज तक कोई परिचालन लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। डीजीसीए के साथ-साथ भारतीय निजी क्षेत्र भी इस तकनीक के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। आईआईटी मद्रास से सहयोग पाने वाली ईप्लेन कंपनी ने अपने ईवीटीओएल विमान, ई200एक्स के लिए डीजीसीए से टाइप सर्टिफिकेशन मंजूरी पाने वाली पहली निजी भारतीय कंपनी बनकर इतिहास रच दिया है।

इसी तरह इंडिगो की मूल कंपनी, इंटरग्लोब एंटरप्राइजेज और अमेरिका की आर्चर एविएशन 2026 तक अपनी ईवीटीओएल सेवाएं शुरू करने की तैयारी कर रही हैं। उबिफ्लाई टेक्नोलॉजीज और नलवा एरो सहित अन्य भारतीय स्टार्टअप भी ईवीटीओएल के लिए तैयार हो रहे हैं जबकि स्काईड्राइव और जेटसेटगो जैसे वैश्विक खिलाड़ी, भारत में वाणिज्यिक ईवीटीओएल मार्गों पर काम कर रहे हैं। उबिफ्लाई टेक्नोलॉजीज पहली निजी भारतीय कंपनी है जिसे एक इलेक्ट्रिक विमान के लिए डीजीसीए की ओर से डिजाइन ऑर्गनाइजेशन अप्रूवल मिला है।

इस तरह की सक्रियता देखते हुए प्रमुख भारतीय हवाई अड्डे वीटीओएल विमानों के लिए विशेष केंद्र के रूप में वर्टिपोर्ट बनाने की तैयारी कर रहे हैं जिनमें समर्पित एयरस्पेस कॉरिडोर, आधुनिक हवाई यातायात प्रबंधन प्रणाली और चार्जिंग स्टेशन शामिल हैं। ड्रोन और एयर टैक्सी जैसे कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाले विमानों के समन्वय के लिए विशेष हवाई यातायात नियंत्रकों के एक नए कैडर की भी आवश्यकता हो सकती है।

एक प्रमुख समस्या यह है कि सहायक बुनियादी ढांचे का विकास काफी कम हुआ है जो चिंता का विषय है। दरअसल इस क्षेत्र की वृद्धि वर्टिपोर्ट लोकेशन के रणनीतिक चयन पर निर्भर करती है। ये टेकऑफ और लैंडिंग साइट, अधिक मांग वाले क्षेत्रों, मुख्य रूप से शहरी केंद्रों और उनके आसपास के क्षेत्रों में मौजूद होने चाहिए। हालांकि सीमित शहरी जगहों, अचल संपत्ति की बढ़ती लागत और संवेदनशील क्षेत्रों के आसपास हवाई यातायात प्रतिबंध, विमान लैंडिंग जोन और पार्किंग सुविधाओं के निर्माण के लिए चुनौतियां पेश करते हैं।

एक और मुश्किल बिजली की आपूर्ति है। इलेक्ट्रिक वाहनों के इतर ईवीटीओएलएस बड़ी और भारी बैटरियों पर निर्भर हैं। परिचालन सुचारु रखने के लिए इन विमानों को जल्दी उड़ान के लिए तैयार करना होता है जिसके लिए 10-12 मिनट के भीतर ही तेज चार्जिंग की जरूरत होती है। इसके अलावा ईवीटीओएल बनाने वाली अलग-अलग कंपनियां अलग तरह की बैटरी का इस्तेमाल करती हैं जो उड़ान की दूरी और क्षमता को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन की गई हैं। इन अलग-अलग चार्जिंग की जरूरतों को भी अवश्य पूरा करना होगा।

ऐसे में ईवीटीओएल को समर्थन देने के लिए नई श्रेणी के बुनियादी ढांचे को बनाने के लिए कई क्षेत्रों के जानकारों की जरूरत होगी जिसमें शहरी योजना, ऊर्जा प्रबंधन, वर्टिपोर्ट का निर्माण और नियामकीय विशेषज्ञता शामिल है। लेकिन इस नई तकनीक को शुरू करना आधी लड़ाई है, दूसरी आधी लड़ाई, लोगों द्वारा इसे स्वीकारने में है। पारंपरिक परिवहन विकल्पों की तुलना में किराया भी ज्यादा होने की उम्मीद है। ऐसे में सवाल यह है कि जिन यात्रियों के पास समय कम है वे भी ईवीटीओएलएस को अधिक किराया देने लायक समझेंगे? शुरुआती आकलन से अंदाजा मिलता है कि कनॉट प्लेस से गुरुग्राम तक की 7 मिनट की उड़ान में एक यात्री के लिए लगभग 4,500 रुपये का खर्च आ सकता है जबकि उबर की सवारी में करीब दो घंटे लगते हैं और लगभग 1,700 का खर्च आता है।

आलोचक यह आरोप लगा सकते हैं कि सरकार ऐसे समय में अमीरों का पक्ष ले रही है जब आम शहरी परिवहन व्यवस्था कई तरह की दिक्कतों से जूझ रही है। ऐसे में शुरुआती चर्चा, बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरुआत के दौरान जाहिर की गई कुछ नकारात्मक धारणाओं की तरह ही होगी। अच्छी बात यह है कि एयर टैक्सी पहल शत-प्रतिशत निजी उद्यम होने की उम्मीद है जिसमें कोई सार्वजनिक खर्च नहीं होगा। उड़ान योजना ने पहले ही इस नजरिये को बदल दिया है जिसमें हवाई यात्रा को लक्जरी का माध्यम नहीं बल्कि कनेक्टिविटी के लिए एक आवश्यकता के रूप में देखा जा रहा है। इसके अलावा इलाज आदि के लिए आपातकालीन परिवहन एक बड़ा वरदान साबित होगा।

अंत में, ईवीटीओएल को एक एकीकृत परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र के भविष्यवादी व्यवस्था के रूप में देखा जाना चाहिए। अगर यह शहरी आवागमन की मुश्किलों को आंशिक रूप से भी कम कर पाता है तो ईवीटीओएलएस अपना मकसद पूरा करने में कामयाब हो जाएगा। अब 2026 में पहली एयर टैक्सी की सवारी के लिए तैयार हो जाइए!
(लेखक बुनियादी ढांचे के विशेषज्ञ हैं और इन्फ्राविजन फाउंडेशन के संस्थापक तथा प्रबंध न्यासी हैं। शोध में वृंदा सिंह का भी योगदान है)

First Published - April 23, 2025 | 10:44 PM IST

संबंधित पोस्ट