facebookmetapixel
पांच साल में 479% का रिटर्न देने वाली नवरत्न कंपनी ने 10.50% डिविडेंड देने का किया ऐलान, रिकॉर्ड डेट फिक्सStock Split: 1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! इस स्मॉलकैप कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट जल्दसीतारमण ने सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को लिखा पत्र, कहा: GST 2.0 से ग्राहकों और व्यापारियों को मिलेगा बड़ा फायदाAdani Group की यह कंपनी करने जा रही है स्टॉक स्प्लिट, अब पांच हिस्सों में बंट जाएगा शेयर; चेक करें डिटेलCorporate Actions Next Week: मार्केट में निवेशकों के लिए बोनस, डिविडेंड और स्प्लिट से मुनाफे का सुनहरा मौकाEV और बैटरी सेक्टर में बड़ा दांव, Hinduja ग्रुप लगाएगा ₹7,500 करोड़; मिलेगी 1,000 नौकरियांGST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यान

‘डिजिटल दीदी’ से सर्वसुलभ होंगी वित्तीय सेवाएं

क्या अगर किसी के पास आधार कार्ड है और उनका जन धन खाता खुला है और मोबाइल फोन है तब यह माना जा सकता है कि वे सुलभ वित्तीय सेवाओं के दायरे में शामिल हो चुके हैं?

Last Updated- December 27, 2023 | 11:33 PM IST
'Balance batao', 'digital didi': Fintech transforming financial inclusion

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी ने 2005 में ‘वित्तीय समावेशन’ यानी सबके लिए वित्तीय सेवाएं सुलभ कराने जैसा शब्द गढ़ा और उस वक्त से भारत ने इस दिशा में एक लंबा सफर तय किया है।

रेड्डी ने वित्त वर्ष 2005-06 (20 अप्रैल, 2005 को जारी) की वार्षिक मौद्रिक नीति के दौरान इस शब्द का इस्तेमाल किया। निश्चित रूप से सब तक वित्तीय सेवाओं को सुलभ कराने में जन धन खाते, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर के जुड़ने की अहम भूमिका रही है और हम ऐसा मानते भी हैं।

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के डिजिटल पहचान शोध पहल के प्रोफेसर एवं कार्यकारी निदेशक भगवान चौधरी और इसके शोध विभाग के प्रमुख शोध अधिकारी अनस अहमद ने एक बुनियादी सवाल उठाया है कि वित्तीय रूप से सबको जोड़ने का क्या मतलब है?

क्या अगर किसी के पास आधार कार्ड है और उनका जन धन खाता खुला है और मोबाइल फोन है तब यह माना जा सकता है कि वे सुलभ वित्तीय सेवाओं के दायरे में शामिल हो चुके हैं? क्या सुदूर इलाकों तक वित्तीय योजनाओं का लाभ मिल रहा है और यहां वित्तीय संस्थान मौजूद हैं? क्या वित्तीय प्रौद्योगिकी क्रांति वास्तविक है?

उनकी किताब ‘फिनटेक फॉर बिलियंस’ ने कई असहज करने वाले सवाल उठाए हैं और इस किताब के लिए काफी मेहनत से शोध किया गया है और इन सवालों के गैर-पारंपरिक जवाब खोजने की कोशिश की गई। इस शोध में भारत के कई राज्यों के छोटे शहरों और गांवों को शामिल करते हुए समाज के तथाकथित निचले वर्ग तक पहुंचने की कोशिश की गई है।

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में वित्तीय प्रौद्योगिकी क्रांति का लाभ सबसे गरीब व्यक्ति की पहुंच के दायरे में नहीं है। इसके लिए यह किताब कई सरल समाधानों का सुझाव भी देती है।

नकद पैसे कहीं भी और कोई भी स्वीकार कर सकता है लेकिन इसकी सीमाएं हैं और इसका इस्तेमाल ऑनलाइन माध्यमों के लिए नहीं किया जा सकता है। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सरल हैं लेकिन उनमें मानवीय पहलू की कमी दिखती है और यह सबके लिए सुलभ नहीं है। अक्सर बैंक कर्मचारी गरीब और अशिक्षित लोगों से कठोरता से पेश आते हैं और सुदूर इलाकों में बैंकिंग सेवाएं देने वाले बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट हर जगह मौजूद नहीं होते हैं।

सवाल यह भी है कि प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) के 51.11 करोड़ खाताधारकों में से कितने खाते की ओवरड्राफ्ट सुविधा के बारे में जानते हैं? इनमें से कई लोगों को अपने खाते की शेष राशि की जानकारी लेने का तरीका भी मालूम नहीं है।

दोनों लेखकों न

First Published - December 27, 2023 | 11:24 PM IST

संबंधित पोस्ट