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आईटी में मंदी की आशंका

Last Updated- February 13, 2023 | 11:59 PM IST
Job cut in May

सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में कर्मचारियों की नियु​क्ति में आ रहा धीमापन एक चेतावनी है। इस बात के पर्याप्त प्रमाण और आंकड़े मौजूद हैं कि इस क्षेत्र में मंदी की दस्तक है। ऐसे में यह चिंता बढ़ रही है कि वै​श्विक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं में नजर आ रही मंदी आईटी सेवाओं की मांग को भी प्रभावित करेगी।

कम से कम अगली कुछ तिमाहियों तक तो ऐसा ही परिदृश्य बने रहने की संभावना है। कई इंजीनियरिंग कॉलेजों का कहना है कि इन्फोसिस और विप्रो जैसी बड़ी आईटी कंपनियों ने इस वर्ष कैंपस में आकर नए युवाओं की भर्ती नहीं की।

ऐसे में हम कह सकते हैं कि इस अकादमिक वर्ष में कम युवाओं को पहली नौकरी मिलेगी और चूंकि इन युवाओं को कई महीनों तक प्र​शिक्षण की आवश्यकता होती है इसलिए यह माना जा सकता है कि बड़ी आईटी सेवा कंपनियां ऐसी मंदी का अनुमान पेश कर रही हैं जो कुछ समय तक जारी रहेगी।

रोजगार संबंधी पोर्टल नौकरीडॉटकॉम की मातृ कंपनी इन्फो एज ने दिसंबर तिमाही के नतीजे जारी करते हुए कहा कि आईटी क्षेत्र में खासतौर पर कमजोरी का माहौल बन रहा है। नौकरीडॉटकॉम देश का सबसे बड़ा रोजगार पोर्टल है और उसके कुल कारोबार में 36 फीसदी​ हिस्सेदारी आईटी क्षेत्र की नौकरियों की रहती है, संकेत यही है कि इसमें काफी कमजोरी आ रही है।

निश्चित तौर पर ​टीसीएस ने ​तीसरी तिमाही में अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती की है और पिछली कई तिमाहियों में पहली बार ऐसा हुआ है। समान तिमाही में इन्फोसिस ने केवल 1,600 कर्मचारियों को काम पर रखा है। उसने यह भी कहा है कि रोजगार नहीं देने की अनिच्छा केवल शुरुआती स्तर की नौकरियों तक सीमित नहीं है। ब​ल्कि मझोले और वरिष्ठ स्तर के अनुभवी कर्मचारियों के साथ भी यही ​स्थिति है।

ऐसे प्रमाण भी हैं जिनसे पता चलता है कि नौकरी बदलने की चाह रखने वाले आईटी कर्मियों की तादाद उपलब्ध नौकरियों से अ​धिक हो सकती है। ऐसी अन्य वजह भी हैं जो इस दिशा में संकेत करती हैं। अब बहुत कम नई स्टार्टअप शुरू हो रही हैं। इसकी वजह से आईटी क्षेत्र में रोजगार का एक अहम जरिया कम हो रहा है।

फेसबुक, ट्विटर और गूगल जैसी प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है। इसके चलते हजारों की तादाद में अनुभवी कर्मचारी बाजार में हैं जिनके पास वैक​ल्पिक रोजगार नहीं हैं। अब वेबसाइटों पर भी ऐसी सूचनाएं कम ही आती हैं जहां आईटी क्षेत्र के फ्रीलांस काम करने वालों को अनुबं​धित रोजगार मिल सके।

बड़ी कंपनियों को भी अब उन कर्मचारियों को लेकर ​शिकायत नहीं हैं जो नियमित काम के अलावा बाकी के घंटों में कुछ और काम कर रहे हैं। हालिया नतीजों के बाद दिग्गज आईटी कंपनियों ने भी मंदी का संकेत दिया है। अ​धिकांश बड़ी कंपनियों ने आईटी व्यय पर एक तरह से रोक सी लगा दी है।

इसका अर्थ यह है कि केवल उन्हीं प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है जिनसे आय पर तत्काल सकारात्मक असर पड़ने वाला हो या फिर जिनसे व्यय को नियंत्रित करने में मदद मिले। उदाहरण के लिए डिजिटलीकरण के प्रयास तथा क्लाउड और साइबर सुरक्षा की मांग मजबूत बनी हुई है।

आईटी उद्योग आ​र्थिक गतिव​धियों से मजबूती से जुड़ा होता है, यह भी संभावित मंदी की एक बड़ी वजह है। भारतीय आईटी उद्योग का अ​धिकांश राजस्व उत्तरी अमेरिका से आता है और क्षेत्र के मुताबिक यूरोप दूसरा बड़ा योगदानकर्ता है। फिलहाल सभी आ​र्थिक क्षेत्र प्रभावित हैं।

वृहद रुझान बताते हैं कि प​श्चिमी यूरोप अभी भी यूक्रेन युद्ध के असर से जूझ रहा है जबकि ब्रिटेन ब्रे​​क्सिट के असर से ही नहीं निकल पाया है। जापान और अमेरिका मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं। चीन लंबे लॉकडाउन से उबर रहा है। रुझान बताते हैं कि आईटी क्षेत्र में रोजगार संकट बढ़ सकता है। वृहद आ​र्थिक प्रभाव की बात करें तो सेवा निर्यात से होने वाली आय में कमी के कारण देश के बाह्य खाते पर दबाव बन सकता है।

First Published - February 13, 2023 | 11:25 PM IST

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